Saat fere Hum tere - 48 books and stories free download online pdf in Hindi

सात फेरे हम तेरे - भाग 48

पौधों को हम पानी क्यों देते हैं? विक्की ने पूछा। नैना ने कहा अरे ये कैसा सवाल है।
विक्की ने कहा बोलो।
नैना ने कहा क्योंकि पौधों में जीवन है।
विक्की ने कहा सही कहा पर देखा जाएं तो ये वेजूबान होते हैं। हम अगर पानी नहीं देंगे तो ये मर जाएंगे लेकिन कुछ कह नहीं सकते हैं कि आपने हमें क्यों मार दिया।हम इंसान के साथ ऐसा नहीं हो सकता है। अगर किसी को तकलीफ़ में देख कर हम उसकी तरफ नहीं बढ़ेंगे तो हो सकता है एक दिन वो मर जाएगा और हम जिंदगी भर खुद को दोषी मान कर जिंदगी बिता देंगे।
नैना ने कहा हां ठीक कहा तुमने।
फिर माया ने बुलाया नाश्ता करने के लिए।
सब एक साथ बैठ कर नाश्ता करने लगे।
विक्की ने कहा दीदी आज रात खिचड़ी आलू दम बनाइए।
माया ने कहा हां ठीक है।
अतुल और बिमल ने कहा कल हम वापस जाएंगे और फिर होली में आएंगे ।
फिर रात को डिनर करने बैठे तो नैना पापड़ दही भाजी सब थाली में परोस कर दे रही थी।

विक्की ने कहा वाह वाह क्या खुशबू है खिचड़ी लाजबाव बना है। माया ने कहा हां ठीक है ये नैना ने बनाया है इसे मसाला खिचड़ी कहते हैं।
विक्की ने कहा वाह बहुत खूब। मुझे दम आलू और दिजिए ये अतुल ने कहा।
नैना ने कहा हां हां ज़रूर।
फिर सब मन से खाना खाने के बाद खीर का इंतजार करने लगे।
विक्की ने कहा अरे बाबा रात को डिनर के बाद कुछ मीठा हो जाए तो क्या बात है।
तभी नैना ने खीर से भरी हुई कटोरी विक्की को देते हुए कहा हां मुझे पता था इसलिए तो खीर बना दिया।
और फिर तुम्हें काजू बादाम पसंद है वैसे ही बनाया है।
विक्की ने कहा हां सच कितना पसंद का ख्याल है तुमको। वैसे ऐसा सबके साथ ही होता है कि सिर्फ मेरे।। इतना कहना ही नैना को एक दम दिल तक छू गया था वो बोली आप लोग खाओ मै आती हूं।नैना चली गई ।।

विक्की खाने लगा और वो बोला दीदी और है क्या खीर? माया ने कहा हां, हां ज़रूर। फिर एक कटोरी और लाकर दिया।
अतुल ने कहा लगता है नैना को विक्की की बात अच्छी नहीं लगी।
विक्की ने कहा हां कुछ ऐसा लगा मुझे लेकिन अभी कुछ दिन बीत जाने देते है।

फिर सब सोने चले गए पर नैना बालकनी में बैठ गई थी। विक्की ने कहा अरे नैना सोई नहीं।
नैना ने कहा हां नींद नहीं आ रही है।
विक्की ने कहा कल वो सब आकर तुम्हारा सपना पूरा कर देंगे।

नैना जाने लगीं तो विक्की ने नैना का हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचा पर नैना कुछ अनमानी सी रही। विक्की ने कहा क्या बात है नाराज हो। नैना ने कहा नहीं हम भला नाराज क्यों होंगे।
विक्की ने कहा अच्छा तो बिना कुछ कहे जा रही थी। नैना ने कहा क्या कहें हम।
विक्की ने कहा जो कहना चाहते हो वो कहो।
नैना ने कहा अब हाथ छोड़ो मेरा। विक्की ने कहा अब छोड़ने के लिए नहीं पकड़ा है हां।
नैना ने कहा हमें जाना है।
विक्की ने कहा चली जाना पर बात तो पुरी कर लो।


नैना ने कहा मुझे लगता है कि आप बेकार में यहां हो।।
विक्की ने कहा अच्छा ठीक है फिर मैं भी निलेश की तरह चला जाता हूं। फिर तो खुशी से रहोगी।
नैना ने कहा मैंने एक बार भी ऐसा नहीं कहा हां।

विक्की ने कहा हां ठीक है कहते हुए हाथों को छोड़ दिया।

नैना ने कहा अच्छा गुड नाईट।
विक्की ने कहा हममममम।

विक्की बालकनी में बैठ गए और सोचने लगे।
कि क्या अब करना चाहिए मुझे वापस जाना चाहिए या फिर यही पर रुकना चाहिए।

फिर विक्की भी जाकर सो गया।
दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर सब तैयार हो गए। अतुल और बिमल भी अपने कपड़े बैग में डाल कर तैयार हो गया।
विक्की और अतुल बाहर जाकर कचौड़ी सब्जी जलेबी लस्सी लेकर आ गए।

फिर सब मिलकर नाश्ता करने लगे। आज शनिवार की छुट्टी थी दोनों की।
फिर अतुल और बिमल निकलने लगें।
विक्की ने कहा दोस्तों होली पर आ जाना।बिमल ने कहा हां भाई जरूर।

फिर दोनों निकल गए।
कुछ देर बाद ही कोरियर कंपनी से दो लोग आ गए और फिर काफी देर तक नैना के गुड़िया घर को सजाने लगे।
उनको भी चाय नाश्ता करवाया गया।
दो घंटे बाद तक सजाने के बाद वो लोग चले गए।
विक्की के कहने पर माया ने नैना के आंखों को रुमाल से बांध दिया और फिर नैना के रूम में लेकर गई।
फिर नैना के आंखों से पट्टी हटा दिया।
नैना ने अपनी आंखें खोली तो देखा कि उसकी बचपन का जो सपना था वो उसके सामने था।
वहां पर गुड़िया की पुरी टोली थी साथ ही परिवार के सदस्यों को देखा। गुड़िया का रुम बेड, टीवी, फ्रिज,सोफा,टेबल, कुर्सी, अलग-अलग रूम, कुछ कुछ अलमारी और न जाने क्या क्या। मतलब कि पुरे घर का सेट अप था।
नैना रोने लगी और फिर बोली विक्की ये क्या कर दिया।
विक्की ने कहा देखो तुम्हारा बचपन। यहां तुम्हारे सब सपने पुरे हो जाएंगे।
क्या क्या है। साड़ी, सूटकेस मोबाइल ब्रीफकेस, और फिर मेकअप का सामान, किचन में उपयोगी चीज़ें।
वाह वाह वाह। ये माया ने कहा। देखा अगर मुझे किसी ने दिया होता तो मैं पता नहीं क्या करती।

नैना ने कहा मेरे पास तो शब्द नहीं है। मेरे पापा मम्मी भी होते तो शायद ये नहीं कर पाते पर हां निलेश ने कहा था कि वो जरूर एक दिन मेरे सपनों को पूरा करेगा।
और शायद निलेश भी ये चाहता है कि ये सपना आपके हाथों से हो।
विक्की ने कहा ये तो नहीं पता पर हां चाहना चाहना किसके बस की बात है दिल का आ जाना किसी पर किस्मतो के हाथ है। शायद तुम ठीक कहते हो मैैंनेकभी ऐसा सोोचाही नहीं था कि निलेश के जाने के बाद भी मेरी जिंदगी मेंतरह से बदलाव आएगा।

पर हां भगवान है ऐसा लगता है वरना हमने तो जीना ही छोड़ दिया था और फिर दिल के हाथों मजबूर भी थी।पर अब जीने की चाहत बाकी है अब फिर से एक आस, बाकी है, एक प्यास बाकी है।

क्रमशः