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जिन्नजादी - भाग 12

जिन्नजादी 12

दूसरे दिन सुबह सभी लोग जाग जाते हैं।
लेकिन घर में किसी को शौकत नहीं दिखाई देता।
सब लोग उसे ढूंढने लगते हैं
लेकिन शौकत किसी को नहीं मिलता।
सब लोग सोच में पड़ जाते हैं।
अचानक बिना बताए शौकत कहां चला गया ?
क्यों चला गया ?

लेकिन हिना को समझते देर नहीं लगती
की शौकत क्यों चला गया ।
हिना की परेशानी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी।
उसकी सच्चाई आप हमने ही वाली थी।
वह बहुत डर जाती है।
घरवालों को सच्चाई का पता चलेगा
तो उसे कभी नहीं अपनाएंगे।
युसूफ अली भी उसका साथ छोड़ देगा।
यही डर उसे बहुत सता रहा था।

हिना बहुत मजबूर थी
वह चाह कर भी अपनी सच्चाई छुपा नहीं सकते वाली थी।
उसने ठान लिया
चाहे कुछ भी हो जाए
वह युसूफ अली को अपनी सच्चाई बता देंगी।
अगर सच्चाई का पता बाहर से चलेगा।
तू हमेशा के लिए युसूफ अली को वह देने वाली थी।
उसने फैसला कर लिया आज रात को ही
युसूफ अली को सारा सच बता देंगी।

रात होती है
हिना युसूफ अली को अपनी सच्चाई बतानी थी बहुत कोशिश करती है।
लेकिन उसकी सच बताने की हिम्मत नहीं होती।
2 दिन ऐसे ही गुजर जाते हैं।

उधर तांत्रिक बंगाल शास्त्री
संदूक को खोलने की बहुत कोशिश करता है।
लेकिन संदूक खुलने का नाम नहीं ले रही थी।
तांत्रिक बंगाल शास्त्री को यह समझते देर नहीं लगती
ये कोई मामूली संदूक नहीं है।
एक जादुई संदूक इतनी आसानी से खुलने वाली नहीं है।
इसे खोलने के लिए बहुत मशक्कत करनी होगी।

तांत्रिक बंगाल शास्त्री बहुत बड़ी तंत्र विधि करके
शैतान से संदूक खोलने का तरीका पा लेता है।
संदूक खोलने का तरीका यह होता
किसी तांत्रिक का बली देकर
उसका खून उस संदूक के ऊपर डालना होगा
तभी वह संदूक खुल पाएगी।

तांत्रिक बंगाल शास्त्री
एक अघोरी क्रूर तांत्रिक होता है।
वह बली के लिए उस फकीर को चुनता है।
वह साधना के बहाने से
उस फकीर को संदूक के पास ले जाता है।
वह उस फकीर को साधना में लीन होने के लिए कहता है।
फकीर साधना में लीन हो जाता है।
फकीर साधना में लीन होने के बाद
तांत्रिक बंगाल शास्त्री बहुत ही बेरहमी से
तलवार निकालकर फकीर का सर धड़ से अलग कर देता है।

फकीर के गर्दन से खून का फव्वारा निकलता है।
फकीर की गर्दन से निकलने वाला खून
सीधा जाकर संदूक पर गिरता है।
कुछ ही पल में संदूक का दरवाजा खुल जाता है।
यह देखकर तांत्रिक बनकर शास्त्री बहुत खुश हो जाता है।

हिना का राज अब खुलने ही वाला था।
हिना तय करती है
युसूफ अली को अपना राज बता देंगी।
हिना सोचने लगती है
कैसे युसूफ अली को अपना राज बताया जाए।
हिना एक तरकीब निकलती है।
वह कागज पर लिखकर
युसूफ अली को अपने सारे राज बताने का फैसला करती है।

हिना अपनी सारी हकीकत
एक कागज पर लिख देती हो
और वह कागज युसूफ अली के
तकिए के नीचे रख देती है।
रात हो जाती है युसूफ अली हिना को अपनी बाहों में लेकर सो जाता है।
हिना भी उससे लिपट कर सो जाती है।

क्रमश: