gargi movie review in Hindi Film Reviews by Mahendra Sharma books and stories PDF | गार्गी फिल्म रिव्यू

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गार्गी फिल्म रिव्यू

गार्गी फिल्म एक ऐसी बेटी की कहानी है जो अपने पिता को एक बलात्कार के आरोप से बचाना चाहती है। उसकी नजर में उसका पिता एक आदर्श पिता है और उसे लगता है की उसके पिता पर लगे आरोप बे बुनियाद हैं। क्या वो जो सोच रही है वह सच है?

तमिल में बनी यह फिल्म जुलाई २०२२ में सिनेमाघरों में प्रसारित की गई और तमिल के साथ हिंदी और अन्य भाषाओं में भी अनुवादित हुई। सोनी लिव ओटीटी पर हिंदी में यह उपलब्ध है। कोर्ट रूम ड्रामा, उत्तम निर्देशन, अति उत्तम कहानी और साई पल्लवी की उत्कृष्ठ अदाकारी के लिए इसे देखना आवश्यक है।

एक लाचार बेटी जिसकी आमदनी बस घर चल जाए उतनी ही है, एक बूढ़ी मां जो डोसा का आटा बेचकर थोड़ा बहुत कमा रही है और एक छोटी बहन जो अभी स्कूल में पढ़ रही है, और फिर अचानक पिता पर लगा बलात्कार का आरोप, यह सब काफी थे गार्गी को एक नई चुनौति देने के लिए, उसपर फिर मीडिया जो 24 घंटे गार्गी के परिवार पर नजर रख रही है । अगर इतना सब कुछ हो तो कोई भी मजबूत इंसान टूट जाए पर गार्गी नहीं टूटी।

गार्गी की नौकरी छूट गई, पिता जेल में, मां का रोजगार बंद और बहन भी स्कूल नहीं जा पाती। यहां पिता के खिलाफ जो आरोप लगे हैं उसके सबूत इकट्ठा करना, एक नाकामयाब वकील को प्रोत्साहित करना ताकि वह केस ठीक से लड़े, यह सब एक ही फिल्म और एक ही कहानी में हो रहा है, गार्गी एक मजबूत चट्टान की तरह खड़ी है और हर मुसीबत का मुकाबला कर रही है और जीत भी रही है।

पुलिस की लापरवाही एक सीन में दिखाई गई । पीड़ित लड़की ने जब गुनहगारों की शनाख्त की तब उसे मानसिक बीमारी मतलब मेंटल स्ट्रेस हुआ। उसको पुलिस ने दवाई खिलाई। अब कोर्ट में जब उस दवाई का डॉज पूछा गया तो पुलिस के पास डॉज की जानकारी नहीं थी। असल में लडकी को दवाई का बड़ा डॉज दिया गया था जिससे लडकी ज्यादा कमज़ोर हुई और उसके उस समय की शनाखत को कोर्ट में नामंजूर किया गया। यह निर्णय गार्गी के पिता के पक्ष में जाता दिखा।

कई बार पुलिस खुद अधूरी जानकारी पर आरोपी को शक की बिना पर गिरफ्तार करती है पर अगर अच्छा वकील हो तो सच सामने आने में देर नहीं लगती।

एक महिला किरदार को इतना मजबूत दिखाना और वह भी किसी रुआबदार पेशे के बगैर। आज तक महिला को मजबूत दिखाने के लिए पुलिस या डिटेक्टिव दिखाया गया या फिर गैंगस्टर दिखाया गया, यहां सबसे अच्छी बात है गार्गी का एक बहुत ही सामान्य टीचर होना और एक मध्यम वर्गीय परिवार से होकर भी मन का मजबूत होना। इसलिए यह फिल्म आपको प्रोत्साहित करेगी।

केस के आस पास पीड़ित लड़की और उसके परिवार की मनोस्थिति, गार्गी के बचपन की कहानी के कुछ दृश्य और कोर्ट में वकीलों और जज की बहस, सब कुछ बहुत ही सुंदर तरीके से पेश किया गया है। निर्देशक गौतम राजचंद्रन ने 3 फिल्में करीब हर 5 वर्षों के अंतराल में बनाई हैं, सभी फिल्मों में इनको बहुत सराहा गया है। सह कलाकार और गार्गी के वकील हैं काली वेंकट, उनकी बहुत उम्दा अदाकारी रही, ये उड़ान मतलब सुराराई पुट्टू में एक्टर सूर्या के साथ भी काम कर चुके हैं।

यह फिल्म अंत तक देखें। क्योंकि अंत आपको निशब्द कर देगा। जहां पूरी फिल्म एक बेटी पर केंद्रित है जो अपने पिता को बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है वह बेटी अंत में एक करिश्मा कर दिखाती है और एक मिसाल बन जाती है।

आपको फिल्म कैसी लगी जरूर बताएं।

– महेंद्र शर्मा 18.06.2023