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मर्यादा की अर्थी

मर्यादा की अर्थी

जमीला ने जैसे हमेशा के लिए ही चारपाई पकड़ ली थी, सलीम जो भी कमाकर लाता सब उसकी दवा चिकित्सा पर ही खर्च हो जाता। रिहाना बारह वर्ष की हुई थी, स्कूल जाती व घर पर माँ की देखभाल के साथ साथ घर का भी सारा काम देखती, सलीम तो रात को आठ नौ बजे तक ही घर लौटता था।

पूरे दिन काम करके थका हुआ सलीम थोड़ी देर पत्नी जमीला के पास बैठता, उसका हाल जानता तब तक रिहाना वहीं पर खाना लगाकर ले आती। सलीम बड़े प्यार से एक एक कौर दोनों को खिलाता और फिर तीनों खाना खाते।

खाना खाने के बाद बात करते करते सलीम को नींद घेरने लगती तो वह वहीं सो जाता, रिहाना घर का बाकी काम निबटा कर थोड़ी देर पढ़ती। पढ़ते पढ़ते रिहाना को भी नींद आ जाती, बच्ची ही तो थी, पूरा दिन काम में ही लगी रहती, स्कूल भी जाती थी तो थक जाती थी।

उस दिन सुबह उठकर स्कूल जाने को तैयार हो रही थी, रिहाना ने देखा उसके पिता सलीम अभी भी गहरी नींद में सो रहे हैं जबकि सलीम तो हमेशा रिहाना से पहले जाग कर फिर रिहाना को जगाता था।

रिहाना ने दो तीन बार आवाज लगाई अब्बा-अब्बा , लेकिन कोई जवाब न पाकर वह स्वयं ही सलीम को उठाने चली गयी, दोनों हाथों से पकड़ कर हिलाया तो रिहाना देख कर सन्न रह गयी, सलीम का शरीर निष्प्राण पड़ा था, रिहाना के मुंह से ज़ोर की चीख निकल गयी। जमीला ने अपने बिस्तर से उठने की नाकाम कोशिश की लेकिन वह उठ न सकी, चाचा चाची को रिहाना ने फोन पर रोते रोते बताया तो वो दोनों भी दौड़ कर आ गए, मन में तो यही सोच कर आए कि शायद जमीला भाभी को कुछ हो गया लेकिन यहाँ आकर देखा तो सलीम भाई का देहांत हो गया था।

चाचा इकराम ने बारह वर्ष की बच्ची रिहाना को अपने शरीर से अपने दोनों हाथों से कस कर चिपटा कर सांत्वना देने लगा, लेकिन तभी रिहाना को अपने शरीर पर कुछ चुभता हुआ लगने लगा तो वह छिटक कर अपने चाचा इकराम से दूर हो गयी एवं अपने पिता की निर्जीव देह से लिपट कर रोने लगी।

बड़े भाई सलीम की मृत्यु के बाद इकराम की नजर नन्ही रिहाना पर थी, रिहाना देखने में बहुत खूबसूरत लगती थी लेकिन अभी उसके बचपन के दिन थे फिर भी उस पर पूरे घर की ज़िम्मेदारी आन पड़ी।

इकराम ने रिहाना की पढ़ाई छुड़वा कर उसे एक ब्यूटी पार्लर में काम करने के लिए रखवा दिया। जमीला ने भी सोचा कि अब पढ़ेगी कैसे, काम सीखने जाएगी तो काम भी सीख लेगी व कुछ पैसे भी कमा लेगी जिससे घर का खर्च चल जाएगा, किसी की तरफ हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा।

एक दिन इकराम की घरवाली यानि की रिहाना की चाची घर पर नहीं थी, इकराम बहाना बनाकर रिहाना को ब्यूटी पार्लर से छुट्टी दिलवाकर अपने घर ले आया।

रिहाना कुछ समझ पाती इससे पहले ही इकराम ने दरवाजे बंद कर दिये, रिहाना के पूछने पर इकराम ने बताया कि वह कुछ खास बातें उसको समझाना चाहता है, इतना कहकर इकराम रिहाना के कोमल अंगो से छेड़छाड़ करने लगा जब रिहाना ने ऐतराज किया तो उसको समझाया कि इस्लाम के मुताबिक मैं तुम्हारे साथ संबंध बना सकता हूँ।

रिहाना बोली, ‘मैं तुम्हारे मरहूम सगे भाई की बेटी हूँ’ इकराम बोला कि बारह वर्ष से ज्यादा उम्र होने पर लड़की के साथ संबंध बनाना जायज है चाहे वह लड़की अपने सगे भाई की ही क्यों ना हो।

रिहाना के भरपूर प्रतिरोध के बावजूद भी इकराम ने उसके साथ जबर्दस्ती संबंध बनाया जिससे रिहाना बुरी तरह जख्मी भी हो गयी और अंत में बेहोश होकर वहीं गिर गयी। उस दिन इकराम ने मर्यादा की अर्थी उठा दी।

इस बारे में इकराम ने किसी से कुछ नहीं बताया, बल्कि रिहाना को अपने घर पर ही रखा एवं उसकी माँ को संदेशा भिजवा दिया कि रिहाना रात को भी काम पर रहेगी।

अगले दिन रिहाना को होश आया तो दर्द से कराहने लगी, इकराम ने उसे दर्द निवारक दवा दी जिससे थोड़ी देर में आराम आ गया। इकराम ने रिहाना को धमकी भरे लहजे में समझाया कि वह इस बारे में किसी से कुछ नहीं बताएगी व उसको उसके घर छोड़ आया।

माँ के पूछने पर वह हाँ हूँ में ही जवाब दे कर सो गयी, माँ ने सोचा रात में भी काम किया है तो नींद आएगी ही। तीन दिन बाद रिहाना चलने फिरने लायक हुई तो ब्यूटी पार्लर पहुंची, पूछने पर बताया कि घर पर गिरने से चोट लग गयी थी इसलिए नहीं आ सकी।

ब्यूटी पार्लर की मालकिन शमा इकराम की अच्छी जानकार थी, दोनों मिल कर ब्यूटी पार्लर की आड़ में लड़कियों का धंधा करते थे उनका विचार रिहाना को भी इस दलदल में उतारने का था लेकिन रिहाना इस सब से बेखबर थी।

शमा ने रिहाना को धीरे धीरे शीशे में उतरना शुरू किया। शमा ने रिहाना के साथ उसकी माँ को ले जाकर एक निजी अस्पताल के बड़े डॉक्टर से इलाज शुरू करवा दिया, सारा खर्चा शमा ही उठा रही थी। धीरे धीरे माँ की तबीयत सुधरने लगी तो रिहाना को भी खुशी हुई। इस इलाज़ में शमा ने लाखों रुपया खर्च कर पूरा हिसाब रिहाना को देकर कहा कि वो इसकी चिंता ना करे थोड़ा थोड़ा करके उसके वेतन से काट लिया जाएगा।

माँ चलने फिरने लगी, घर का छोटा मोटा काम भी करने लगी तो रिहाना थोड़ा खुश रहने लगी।

शमा ने एक अमीरज़ादे से अच्छा खासा धन लेकर पूरी रात का रिहाना का सौदा करके रिहाना को उसके पास भेज दिया।

रिहाना तो दुल्हन के सिंगार की पूरी किट लेकर गयी लेकिन वहाँ पर उसको अमीरजादा मिला जो सिर्फ एक रात के लिए दूल्हा बनना चाह रहा था।

जब रिहाना ने शमा से टेलीफ़ोन करके सब कुछ बताया तो शमा ने रिहाना से कहा, “ये हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण ग्राहक हैं, इन्होने हमारे पार्लर में बहुत पैसा लगा रखा है, तुम्हारी माँ के इलाज़ में लाखों रुपए का खर्चा भी इसी आदमी ने किया है, अगर तुमने कुछ भी उल्टा सीधा किया या उसकी बात ना मानी तो कल ही ये हमारे ब्यूटी पार्लर को नीलाम कर देगा, तुम्हें भी सारा पैसा लौटाना पड़ेगा, अभी तुम्हारे पास तो कुछ है भी नहीं, कहाँ से दे पाओगी इतना धन, बस एक रात की तो बात है, तुम भी कर्ज मुक्त हो जाओगी और यह पार्लर भी बच जाएगा, हमारी रोजी रोटी तो इस पार्लर से ही चलती है।”

रिहाना सोच में पड़ गयी व थोड़ा सोचने के बाद अपने मन को मार कर अमीरज़ादे के पास पहुँच गयी, अमीरजादा पूरी रात उसके शरीर से खिलौने की तरह खेलता रहा पर रिहाना ने उफ़ तक नहीं की।

सुबह रिहाना घर न जाकर शमा के पास गयी और उससे दो टूक कह दिया, “आज मेरा सारा कर्ज उतर गया अतः मैं आपके साथ आगे काम नहीं करूंगी।”

शमा ने भी कच्ची गोलियां नहीं खेली थीं, उसने उस रात का पूरा विडियो रिहाना को दिखा कर कहा, “भेज दूँ यह विडियो तेरी माँ के पास या इंटरनेट पर डाल दूँ?”

रिहाना उनके जाल में फंस कर शमा व इकराम के इशारों पर नाचने लगी।

एक रात होटल में रिहाना को मनोहर मिला, मनोहर ने उसके साथ कुछ नहीं किया बस उसकी कहानी सुनी। वो हमेशा ऐसा ही करता था, जिसको भी बुलाता उसकी कहानी जानने की उत्सुकता उसको रहती व कहानी सुनने के बाद उसको जाने को कह देता।

मनोहर एक वेश्या का बेटा था, उसकी माँ ने हमेशा उसको खुद से दूर रखा लेकिन इस बेरहम समाज ने एक दिन मनोहर को एहसास करा दिया कि वह एक वेश्या की औलाद है। उस दिन मनोहर को बड़ा दुख हुआ और उसने जीवन में उन ऊंचाइयों को छूने की कसम खाई जहां पहुँचने पर कोई उसके ऊपर थूके तो वापस थूकने वाले के मुंह पर ही जाकर गिरे।

आज मनोहर की गिनती शहर के जाने माने कारोबारियों में की जाती थी अतः वह चाहता था कि किसी किस्मत की मारी भेड़ियों के चंगुल में फंसी अबला को अपना कर ही घर बसाऊँ, रिहाना में उसको वो लड़की दिखाई दी तो उसने दो चार मुलाक़ात के बाद ही रिहाना से शादी का प्रस्ताव रख दिया, लेकिन रिहाना ने यह कहते हुए प्रस्ताव ससम्मान मना कर दिया, "मनोहर जी! मेरे अपनों ने तो मुझे वेश्या बनाकर छोड़ दिया अब मैं आपके जीवन में जहर नहीं घोल सकती।"

रिहाना 21 वर्ष की हो गयी थी, सुंदर सुडौल शरीर आकर्षक लगता था जो किसी को भी लुभाने में सक्षम था। मनोहर भी सुंदर आकर्षक नौजवान था, कोई भी लड़की उसके साथ शादी के लिए हाँ कर सकती थी, फिर भी रिहाना ने उसका प्रस्ताव ठुकरा दिया, क्योंकि रिहाना को ऐसे प्रस्ताव हर रात मिलते थे, जो भी उसको बुलाता शादी का प्रस्ताव अवश्य रखता लेकिन रिहाना बड़ी शालीनता से उनको मना कर देती।

एक दिन नकली ग्राहक बनकर पुलिस ने शमा, इकराम व रिहाना तीनों को धर दबोचा, बात पूरे मोहल्ले में फैल गयी, रिहाना की माँ को जब इस बात का पता लगा तो वो चुपचाप रात के अंधेरे में घर छोड़ कर चली गयी।

सड़क पर भीड़ देख मनोहर ने गाड़ी रोक कर देखा एक महिला बेहोश पड़ी है, तभी दो लोगों की सहायता से उसको उठाकर अस्पताल में भर्ती करवा दिया, जब तक ठीक नहीं हुई देख रेख करता रहा। होश आने पर महिला ने बताया कि उसकी एक बेटी है जिसका नाम रिहाना है, मेरी बेटी को ज़ालिमों ने अपने जाल में फंसा कर गलत रास्ते पर डाल दिया जहां से पुलिस उसको पकड़ कर ले गयी है।

रिहाना का नाम सुनते ही उसको नाम कुछ जाना पहचाना सा लगा, मनोहर ने रिहाना की एक फोटो अपने मोबाइल में चुपके से ले रखी थी, जो उसने जमीला को दिखाई, जमीला ने बताया, "हाँ यही है मेरी बेटी, निर्दोष है बस ज़ालिमों के चंगुल में फांसी है।"

मनोहर बोला, "मैं जानता हूँ रिहाना की बदनसीबी के बारे में, अब मैं उसको छुड़वा कर लाऊँगा एवं आपका आशीर्वाद लेकर उसको इज्जत की ज़िंदगी दूंगा।"

मनोहर ने रिहाना का मुकदमा लड़ने के लिए शहर के बड़े वकील को लगा दिया एवं रिहाना को ससम्मान रिहा करवा लिया साथ में ब्यूटी पार्लर की मालकिन व चाचा इकराम को सात सात साल की सजा भी करवा दी।

रिहाना को जेल से छुड़वा कर मनोहर जमीला के पास ले गया रिहाना से मिलकर जमीला बहुत खुश हुई, मनोहर ने जमीला को सब बता दिया था अतः जमीला अपनी बेटी का माथा चूमकर उसके फूल से खिले चेहरे को अपने हाथों में लेकर बोली, “बेटी, मनोहर अच्छा लड़का है, तुझे जीवन भर खुश रखेगा, तू इसका प्रस्ताव स्वीकार कर ले।” एवं उसका हाथ मनोहर के हाथ में दे दिया।

मर्यादा की अर्थी

जमीला ने जैसे हमेशा के लिए ही चारपाई पकड़ ली थी, सलीम जो भी कमाकर लाता सब उसकी दवा चिकित्सा पर ही खर्च हो जाता। रिहाना बारह वर्ष की हुई थी, स्कूल जाती व घर पर माँ की देखभाल के साथ साथ घर का भी सारा काम देखती, सलीम तो रात को आठ नौ बजे तक ही घर लौटता था।

पूरे दिन काम करके थका हुआ सलीम थोड़ी देर पत्नी जमीला के पास बैठता, उसका हाल जानता तब तक रिहाना वहीं पर खाना लगाकर ले आती। सलीम बड़े प्यार से एक एक कौर दोनों को खिलाता और फिर तीनों खाना खाते।

खाना खाने के बाद बात करते करते सलीम को नींद घेरने लगती तो वह वहीं सो जाता, रिहाना घर का बाकी काम निबटा कर थोड़ी देर पढ़ती। पढ़ते पढ़ते रिहाना को भी नींद आ जाती, बच्ची ही तो थी, पूरा दिन काम में ही लगी रहती, स्कूल भी जाती थी तो थक जाती थी।

उस दिन सुबह उठकर स्कूल जाने को तैयार हो रही थी, रिहाना ने देखा उसके पिता सलीम अभी भी गहरी नींद में सो रहे हैं जबकि सलीम तो हमेशा रिहाना से पहले जाग कर फिर रिहाना को जगाता था।

रिहाना ने दो तीन बार आवाज लगाई अब्बा-अब्बा , लेकिन कोई जवाब न पाकर वह स्वयं ही सलीम को उठाने चली गयी, दोनों हाथों से पकड़ कर हिलाया तो रिहाना देख कर सन्न रह गयी, सलीम का शरीर निष्प्राण पड़ा था, रिहाना के मुंह से ज़ोर की चीख निकल गयी। जमीला ने अपने बिस्तर से उठने की नाकाम कोशिश की लेकिन वह उठ न सकी, चाचा चाची को रिहाना ने फोन पर रोते रोते बताया तो वो दोनों भी दौड़ कर आ गए, मन में तो यही सोच कर आए कि शायद जमीला भाभी को कुछ हो गया लेकिन यहाँ आकर देखा तो सलीम भाई का देहांत हो गया था।

चाचा इकराम ने बारह वर्ष की बच्ची रिहाना को अपने शरीर से अपने दोनों हाथों से कस कर चिपटा कर सांत्वना देने लगा, लेकिन तभी रिहाना को अपने शरीर पर कुछ चुभता हुआ लगने लगा तो वह छिटक कर अपने चाचा इकराम से दूर हो गयी एवं अपने पिता की निर्जीव देह से लिपट कर रोने लगी।

बड़े भाई सलीम की मृत्यु के बाद इकराम की नजर नन्ही रिहाना पर थी, रिहाना देखने में बहुत खूबसूरत लगती थी लेकिन अभी उसके बचपन के दिन थे फिर भी उस पर पूरे घर की ज़िम्मेदारी आन पड़ी।

इकराम ने रिहाना की पढ़ाई छुड़वा कर उसे एक ब्यूटी पार्लर में काम करने के लिए रखवा दिया। जमीला ने भी सोचा कि अब पढ़ेगी कैसे, काम सीखने जाएगी तो काम भी सीख लेगी व कुछ पैसे भी कमा लेगी जिससे घर का खर्च चल जाएगा, किसी की तरफ हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा।

एक दिन इकराम की घरवाली यानि की रिहाना की चाची घर पर नहीं थी, इकराम बहाना बनाकर रिहाना को ब्यूटी पार्लर से छुट्टी दिलवाकर अपने घर ले आया।

रिहाना कुछ समझ पाती इससे पहले ही इकराम ने दरवाजे बंद कर दिये, रिहाना के पूछने पर इकराम ने बताया कि वह कुछ खास बातें उसको समझाना चाहता है, इतना कहकर इकराम रिहाना के कोमल अंगो से छेड़छाड़ करने लगा जब रिहाना ने ऐतराज किया तो उसको समझाया कि इस्लाम के मुताबिक मैं तुम्हारे साथ संबंध बना सकता हूँ।

रिहाना बोली, ‘मैं तुम्हारे मरहूम सगे भाई की बेटी हूँ’ इकराम बोला कि बारह वर्ष से ज्यादा उम्र होने पर लड़की के साथ संबंध बनाना जायज है चाहे वह लड़की अपने सगे भाई की ही क्यों ना हो।

रिहाना के भरपूर प्रतिरोध के बावजूद भी इकराम ने उसके साथ जबर्दस्ती संबंध बनाया जिससे रिहाना बुरी तरह जख्मी भी हो गयी और अंत में बेहोश होकर वहीं गिर गयी। उस दिन इकराम ने मर्यादा की अर्थी उठा दी।

इस बारे में इकराम ने किसी से कुछ नहीं बताया, बल्कि रिहाना को अपने घर पर ही रखा एवं उसकी माँ को संदेशा भिजवा दिया कि रिहाना रात को भी काम पर रहेगी।

अगले दिन रिहाना को होश आया तो दर्द से कराहने लगी, इकराम ने उसे दर्द निवारक दवा दी जिससे थोड़ी देर में आराम आ गया। इकराम ने रिहाना को धमकी भरे लहजे में समझाया कि वह इस बारे में किसी से कुछ नहीं बताएगी व उसको उसके घर छोड़ आया।

माँ के पूछने पर वह हाँ हूँ में ही जवाब दे कर सो गयी, माँ ने सोचा रात में भी काम किया है तो नींद आएगी ही। तीन दिन बाद रिहाना चलने फिरने लायक हुई तो ब्यूटी पार्लर पहुंची, पूछने पर बताया कि घर पर गिरने से चोट लग गयी थी इसलिए नहीं आ सकी।

ब्यूटी पार्लर की मालकिन शमा इकराम की अच्छी जानकार थी, दोनों मिल कर ब्यूटी पार्लर की आड़ में लड़कियों का धंधा करते थे उनका विचार रिहाना को भी इस दलदल में उतारने का था लेकिन रिहाना इस सब से बेखबर थी।

शमा ने रिहाना को धीरे धीरे शीशे में उतरना शुरू किया। शमा ने रिहाना के साथ उसकी माँ को ले जाकर एक निजी अस्पताल के बड़े डॉक्टर से इलाज शुरू करवा दिया, सारा खर्चा शमा ही उठा रही थी। धीरे धीरे माँ की तबीयत सुधरने लगी तो रिहाना को भी खुशी हुई। इस इलाज़ में शमा ने लाखों रुपया खर्च कर पूरा हिसाब रिहाना को देकर कहा कि वो इसकी चिंता ना करे थोड़ा थोड़ा करके उसके वेतन से काट लिया जाएगा।

माँ चलने फिरने लगी, घर का छोटा मोटा काम भी करने लगी तो रिहाना थोड़ा खुश रहने लगी।

शमा ने एक अमीरज़ादे से अच्छा खासा धन लेकर पूरी रात का रिहाना का सौदा करके रिहाना को उसके पास भेज दिया।

रिहाना तो दुल्हन के सिंगार की पूरी किट लेकर गयी लेकिन वहाँ पर उसको अमीरजादा मिला जो सिर्फ एक रात के लिए दूल्हा बनना चाह रहा था।

जब रिहाना ने शमा से टेलीफ़ोन करके सब कुछ बताया तो शमा ने रिहाना से कहा, “ये हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण ग्राहक हैं, इन्होने हमारे पार्लर में बहुत पैसा लगा रखा है, तुम्हारी माँ के इलाज़ में लाखों रुपए का खर्चा भी इसी आदमी ने किया है, अगर तुमने कुछ भी उल्टा सीधा किया या उसकी बात ना मानी तो कल ही ये हमारे ब्यूटी पार्लर को नीलाम कर देगा, तुम्हें भी सारा पैसा लौटाना पड़ेगा, अभी तुम्हारे पास तो कुछ है भी नहीं, कहाँ से दे पाओगी इतना धन, बस एक रात की तो बात है, तुम भी कर्ज मुक्त हो जाओगी और यह पार्लर भी बच जाएगा, हमारी रोजी रोटी तो इस पार्लर से ही चलती है।”

रिहाना सोच में पड़ गयी व थोड़ा सोचने के बाद अपने मन को मार कर अमीरज़ादे के पास पहुँच गयी, अमीरजादा पूरी रात उसके शरीर से खिलौने की तरह खेलता रहा पर रिहाना ने उफ़ तक नहीं की।

सुबह रिहाना घर न जाकर शमा के पास गयी और उससे दो टूक कह दिया, “आज मेरा सारा कर्ज उतर गया अतः मैं आपके साथ आगे काम नहीं करूंगी।”

शमा ने भी कच्ची गोलियां नहीं खेली थीं, उसने उस रात का पूरा विडियो रिहाना को दिखा कर कहा, “भेज दूँ यह विडियो तेरी माँ के पास या इंटरनेट पर डाल दूँ?”

रिहाना उनके जाल में फंस कर शमा व इकराम के इशारों पर नाचने लगी।

एक रात होटल में रिहाना को मनोहर मिला, मनोहर ने उसके साथ कुछ नहीं किया बस उसकी कहानी सुनी। वो हमेशा ऐसा ही करता था, जिसको भी बुलाता उसकी कहानी जानने की उत्सुकता उसको रहती व कहानी सुनने के बाद उसको जाने को कह देता।

मनोहर एक वेश्या का बेटा था, उसकी माँ ने हमेशा उसको खुद से दूर रखा लेकिन इस बेरहम समाज ने एक दिन मनोहर को एहसास करा दिया कि वह एक वेश्या की औलाद है। उस दिन मनोहर को बड़ा दुख हुआ और उसने जीवन में उन ऊंचाइयों को छूने की कसम खाई जहां पहुँचने पर कोई उसके ऊपर थूके तो वापस थूकने वाले के मुंह पर ही जाकर गिरे।

आज मनोहर की गिनती शहर के जाने माने कारोबारियों में की जाती थी अतः वह चाहता था कि किसी किस्मत की मारी भेड़ियों के चंगुल में फंसी अबला को अपना कर ही घर बसाऊँ, रिहाना में उसको वो लड़की दिखाई दी तो उसने दो चार मुलाक़ात के बाद ही रिहाना से शादी का प्रस्ताव रख दिया, लेकिन रिहाना ने यह कहते हुए प्रस्ताव ससम्मान मना कर दिया, "मनोहर जी! मेरे अपनों ने तो मुझे वेश्या बनाकर छोड़ दिया अब मैं आपके जीवन में जहर नहीं घोल सकती।"

रिहाना 21 वर्ष की हो गयी थी, सुंदर सुडौल शरीर आकर्षक लगता था जो किसी को भी लुभाने में सक्षम था। मनोहर भी सुंदर आकर्षक नौजवान था, कोई भी लड़की उसके साथ शादी के लिए हाँ कर सकती थी, फिर भी रिहाना ने उसका प्रस्ताव ठुकरा दिया, क्योंकि रिहाना को ऐसे प्रस्ताव हर रात मिलते थे, जो भी उसको बुलाता शादी का प्रस्ताव अवश्य रखता लेकिन रिहाना बड़ी शालीनता से उनको मना कर देती।

एक दिन नकली ग्राहक बनकर पुलिस ने शमा, इकराम व रिहाना तीनों को धर दबोचा, बात पूरे मोहल्ले में फैल गयी, रिहाना की माँ को जब इस बात का पता लगा तो वो चुपचाप रात के अंधेरे में घर छोड़ कर चली गयी।

सड़क पर भीड़ देख मनोहर ने गाड़ी रोक कर देखा एक महिला बेहोश पड़ी है, तभी दो लोगों की सहायता से उसको उठाकर अस्पताल में भर्ती करवा दिया, जब तक ठीक नहीं हुई देख रेख करता रहा। होश आने पर महिला ने बताया कि उसकी एक बेटी है जिसका नाम रिहाना है, मेरी बेटी को ज़ालिमों ने अपने जाल में फंसा कर गलत रास्ते पर डाल दिया जहां से पुलिस उसको पकड़ कर ले गयी है।

रिहाना का नाम सुनते ही उसको नाम कुछ जाना पहचाना सा लगा, मनोहर ने रिहाना की एक फोटो अपने मोबाइल में चुपके से ले रखी थी, जो उसने जमीला को दिखाई, जमीला ने बताया, "हाँ यही है मेरी बेटी, निर्दोष है बस ज़ालिमों के चंगुल में फांसी है।"

मनोहर बोला, "मैं जानता हूँ रिहाना की बदनसीबी के बारे में, अब मैं उसको छुड़वा कर लाऊँगा एवं आपका आशीर्वाद लेकर उसको इज्जत की ज़िंदगी दूंगा।"

मनोहर ने रिहाना का मुकदमा लड़ने के लिए शहर के बड़े वकील को लगा दिया एवं रिहाना को ससम्मान रिहा करवा लिया साथ में ब्यूटी पार्लर की मालकिन व चाचा इकराम को सात सात साल की सजा भी करवा दी।

रिहाना को जेल से छुड़वा कर मनोहर जमीला के पास ले गया रिहाना से मिलकर जमीला बहुत खुश हुई, मनोहर ने जमीला को सब बता दिया था अतः जमीला अपनी बेटी का माथा चूमकर उसके फूल से खिले चेहरे को अपने हाथों में लेकर बोली, “बेटी, मनोहर अच्छा लड़का है, तुझे जीवन भर खुश रखेगा, तू इसका प्रस्ताव स्वीकार कर ले।” एवं उसका हाथ मनोहर के हाथ में दे दिया।