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मे और महाराज - ( हमला_१) 33

" किसी काम के नही हो तुम। एक काम दिया था उसे भी खराब कर दिया।" शायरा की बहन ने अपना मुंह दूसरी ओर घुमाते हुए कहा।

" इसमें मेरी कोई गलती नहीं थी राजकुमार अमन गलत वक्त गलत जगह थे।" उस नकाबपोश कातिल ने अपना पक्ष रखा।

" अपनी गंदी जुबान से राजकुमार अमन का नाम भी मत लेना। दफा हो जाओ यहां से फिर कभी दिखना मत इस रियासत में।" बड़ी राजकुमारी ने सोने की कुछ अशरफिया उस नकाबपोश को दी और वहां से जाने के लिए कह दिया।

जैसे ही वह वहां से चला गया एक दासी के हाथों उन्होंने कहीं पर संदेश भेजा । " उनसे कहना शायरा फिर बच गई। लेकिन अगली बार हम उसे बचने का एक भी मौका नहीं देंगे। जाओ यहां से।" उसके बाद उन्होंने अपना सिर ढका और वहां से निकल गई।

दूसरी तरफ,

"आप ठीक तो है ?" सिराज ने अपनी बाहों में हैरान खड़ी समायरा से पूछा।

समायरा ने नजरें उठाकर उसे देखा और फिर एक चैन की सांस ली। मानो उसे इन बाहों में एक सुरक्षित भावना आती हो। " मैं बिल्कुल ठीक हूं। क्या आप ठीक है मेरे महाराज ?" उसने पूछा।

" हम बिल्कुल ठीक है।" सिराज ने समायरा को गले लगाते हुए कहा।

" हमारी राजकुमारी की मदद करने के लिए आपका बहुत शुक्रिया बड़े राजकुमार। क्या हम जान सकते हैं हमारे राज्य में आने की वजह ? यकीनन कोई खास काम होगा आपको। इसीलिए तो राजकुमारी शायरा से मिलने चले आए आप।" सिराज।

" नहीं राजकुमार आप गलत समझ रहे हैं। हम बस यहां से गुजर रहे थे और हमारी मुलाकात राजकुमारी से हो गई।" अमन ने कहा।

" फिर भी आप इस वक्त यहां पर मौजूद थे। इसलिए आपका शुक्रिया। आपने हमारे खास इंसान की रक्षा की है।" इतना कह सिराज समायरा को वहां से लेकर चला गया।

राजकुमार अमन उसे अपने आप से दूर जाते हुए देख रहे थे। लेकिन वह समझ चुके थे कि, अब शायरा पर उनका कोई हक नहीं है। काले कपड़ों में एक साया राजकुमार अमन के पास आकर रुका।

" सुना आपने उसने उन्हें क्या कह कर पुकारा। मेरे महाराज।" उस काले साए ने अमन के कान में कहा, " अब वह तुम्हारी नहीं रही। वह तुम्हें कभी नहीं मिल सकती। तुम उसके लिए अब भी इंतजार कर रहे हो। लेकिन उसने अपनी मंजिल किसी और को बना लिया है। हम तुम्हें एक और मौका दे रहे हैं। ठीक से सोच लो कि, आगे क्या करना है। जल्द मुलाकात होगी।" इतना कह वो काला साया वहां से चला गया।

स्थल राजकुमारी शायरा का कमरा,

" क्या ? सच में ऐसा हुआ ?" मौली ने समायरा के कपड़े तैयार करते हुए कहा।

" हां इतना ही नहीं राजकुमार सिराज ने उसे 2 बार शुक्रिया कहा। तुम्हें क्या लगता है वो मेरे साथ इतना अच्छा बिहेव क्यों कर रहे हैं ?" समायरा नहाने के लिए पानी में उतरी।

" बी... बीभेद मतलब ?" मौली ने उस शब्द को समझने की कोशिश की।

" बीभेद नहीं बिहेव बिहेव। बिहेव याने की बर्ताव। मतलब वह मेरे साथ इतना अच्छा बर्ताव क्यों कर रहा है? वैसे उसने गलत बर्ताव कभी नहीं किया। लेकिन वह राजकुमार अमन को कुछ खास पसंद नहीं करता और अपने दुश्मन को शुक्रिया कहना कितना अजीब लगता है नहीं।" समायरा गहरी सोच में डूबी हुई थी।

" जो भी हो। मुझे नहीं लगता सैम, कि तुम्हें इस राजनीति में पडना चाहिए। तुम राजकुमार अमन और राजकुमार सिराज दोनों से दूर रहो। और अपनी वापसी की तैयारी करलो। मैं तुम्हारी हर तरीके से मदद करूंगी। मैं आती हूं।" इतना कह मौली बाथरूम से बाहर चली गई।

कुछ देर बाद मौली धुले हुए कपड़े लेकर वापस लौटी। तभी राजकुमार सिराज उसे दरवाजे पर मिले।
"राजकुमार" उसने सर झुका कर उन्हें सलाम किया।
राजकुमार सिराज ने उसे चुप रहने का इशारा किया और कपड़े अपने हाथों में लेकर उसे वहां से बाहर जाने के लिए कहा।

जैसे ही वह अंदर गए उनसे थोड़ी सी आहट हो गई। आहट सुन समायरा को लगा कि मौली वापस आ गई है। बिना सोचे समझे उसने अपनी बातें शुरू कर दी।

" पता है मौली राजकुमार अमन ने मुझे बचायाना। मतलब तुम थी वहां पर लेकिन फिर भी वह पूरा मंजर एक फिल्म की तरह था एक लाइव एक्शन मूवी।" समायरा ने कहा। " और लाइव एक्शन मूवी का मतलब है एक नाटक। यह समझ लो कि मतलब वह पूरा मंजर कोई कह ही नहीं सकता कि सच है। मतलब जिस साल से मैं हूं वहां ऐसा सब नहीं होता। वहां लोग एक दूसरे को इस तरीके से नहीं मारते। यह सब दिखावे की दुनिया में होता है। लेकिन यहां पर ओ माय गॉड। और तो और तुमने देखा राजकुमार अमन एकदम हीरो जैसे लग रहे थे। खूबसूरत बहुत खूबसूरत और आ..........." सिराज को सामने देख समायरा की चीख निकल गई।

" क्या कहा आपने ? फिर से तो कहिए। हमने कितनी बार कहा है‌ आपसे, कि आप को किसी और मर्द के बारे में बात तो क्या नाम लेने का तक अधिकार नहीं है ‌?" सिराज में समायरा को पकड़ते हुए कहा।

" तुम्हें अक्ल नहीं है क्या ? मैं अभी नहा रही हूं जाओ यहां से।" समायरा ने सिराज पर पानी उड़ाया।

" आपके शरीर का ऐसा कौनसा हिस्सा है, जो हमने नही देखा ?" सिराज ने एक शरारती मुस्कान से कहा।

" छी....... तुम इतने पुराने जमाने के हो और ऐसी बाते ???" समायरा ने अपनी नजरे उस से दूर हटा ली।

" और आप हमारी पत्नी है। हमारे जमाने से। अब बताएं राजकुमार अमन के बारे में क्या कह रही थी आप" सिराज ने उसे अपने पास खींचते हुए कहा।

" इस वक्त ऐसी हालत में आप यकीनन हमसे ये बातें करने तो नही आए।" समायरा ने एक मुस्कान देते हुए अपने हाथ सिराज के गले में डाले। धीरे से उसे अपने पास खींचा, करीब, बोहोत करीब और चुम्बन बस होने ही वाला था, तभी बाहर से तलवारों के भिड़ने की आवाजे आई। समायरा चीखें उस से पहले, सिराज ने अपना हाथ उसके मुंह पर रख दूसरे हाथ से अपना लबादा उसे ओढ़ा दिया।