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Rewind ज़िंदगी - Chapter-5.2:  प्यार एवं जुदाई

Chapter-5.2: प्यार एवं जुदाई

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कीर्ति के घर से उसकी शादी के लिए प्रेसर आ रहा था, पर कीर्ति को पहले अपने कैरियर पर फोकस करना था। उसे कुछ बन के दिखाना था। जो सफलता उसे चाहिए थी वो उसे हासिल नहीं हो रही थी। कीर्ति को फिल्मों में, अवार्ड सेरेमनी में और शादी एवं समारंभ में गाने के लिए बुलाया जाता था, पर उसकी चाहत थी कि आशा भोंसले की तरह सफलता उसके कदम चूमें।

बेटी अब लड़के वाले और इंतज़ार नहीं कर सकते, आखिर कब तक हम उन्हें टालते रहेंगे। कभी ना कभी तो तुझे उन लोगों से मिलना होगा। लड़का पढ़ा लिखा है, अच्छा कमाता है, इंजीनियर है, और क्या चाहिए बेटी?अमिष जी ने फोन पर अपनी बेटी कीर्ति से बात करते हुए कहा।

मुझे किसी से नहीं मिलना, मैंने आपसे कितनी बार कहा कि मुझे पहले अपने कैरियर पर ध्यान देना है। इन सब फालतू कामों के लिए मेरे पास वक़्त नहीं है।

बेटी ये फालतू काम नहीं है, ये कभी ना कभी तो करना ही होगा और यही सही वक़्त है, एक बार उम्र निकल गई तो वापस नहीं आ पाएगी, और ऐसे रिश्ते भी नहीं आएंगे।

तो ना आए, पर मुझे किसीसे नहीं मिलना। अगर मेरी शादी ना भी हो तो भी मुझे कोई अफ़सोस नहीं। वैसे भी मुझे शादी पे भरोसा नहीं।ये कहकर कीर्ति ने फोन काट दिया। उधर अमिष जी ने फोन रखते ही कुमुद जी ने कहा,हमारे लाड़ प्यार की वज़ह से ही ये लड़की अब हमारे हाथ से निकल गई है।

अमिष जी और कुमुद जी को अपनी बेटी की शादी की चिंता होना स्वाभाविक था, पर कीर्ति किसी की सुनने को तैयार नहीं थी।

समय बीतता गया, माधव अपनी ज़िंदगी में व्यस्त हो गया था, उधर कीर्ति भी अपनी ज़िंदगी में व्यस्त हो गई। दोनों का संपर्क एक दम से टूट गया था। माधव को काम से फुरसत ही नहीं मिलती थी, पर वो जब भी अपने काम से फ्री होता था तब तब उसको कीर्ति और अरुण की बहुत याद आती थी।

वक़्त भी कैसा जादूगर है, अगर आपके पास किसी के लिए वक़्त ना हो तो धीरे धीरे आप के सारे रिश्ते भी गायब होने लगते है। वैसे भी समय पे आप किसी के काम नहीं आते तो सामने वाला भी आपको याद नहीं रखता।

माधव की ज़िंदगी में कीर्ति और अरुण के अलावा और कोई नहीं था। चाहने वाले बहुत थे पर किसी को अपना कह सके ऐसा कोई नहीं था। माधव को भी शादी के लिए कई प्रपोजल आने लगे, पर माधव को कोई पसंद ही नहीं आता था।

सुबह उठना, व्यायाम करना, नाश्ता करना, स्टूडियो जाना, गाने की रिहर्सल करना, गीत गाना, भोजन करना, शाम को घूमने जाना, जिम में जाना, रात का भोजन करना और किताबें पढ़ना, पढ़ते हुए गाने सुनना और सो जाना। यह माधव की नियमित दिनचर्या बन चुकी थी।

इंसान का एक वक़्त आता है जब वो अपनी दिनचर्या से ऊब जाता है, और कुछ नया करना चाहता है। माधव को भी कुछ ऐसा करना था। सब कुछ तो था उसके पास, गाड़ी, दौलत, शोहरत, इज्ज़त, फैन्स फिर किस चीज़ की कमी महसूस हो रही थी माधव को? अब माधव को चैन की नींद भी नहीं आती थी। धीरे धीरे माधव की तबीयत बिगड़ने लगी, गाने में उसका मन नहीं लग रहा था। एक दिन एक गाना गाते समय ही उसको उलटी हुई। माधव को अस्पताल में चेक-अप के लिए ले जाया गया। डॉक्टर ने जांच के बाद माधव से बात की,

तो माधव जी क्या दिक्कत है?

पता नहीं डॉक्टर! पर अब भूख नहीं लगती, नींद नहीं आती, गाने का भी मन नहीं होता, कुछ भी अच्छा नहीं लगता। सोने की कोशिश भी करु तो अजीब से सपने आते है, और फिर डर के उठ जाता हूं।

आपके घर में कौन कौन है?

मैं हूं, ड्राइवर है, माली है, सेक्रेटरी है, कुक है…

अरे! मेरा मतलब घर में रिश्तेदार कौन कौन रहते है?

जी कोई नहीं, मेरा इस दुनिया में कोई रिश्तेदार नहीं है, माँ-बाप चल बसे, रिश्तेदार कोई था नहीं, दोस्त लोग अपने काम में व्यस्त है। मैं अकेला हूं डॉक्टर!

समझ गया, आप अकेलेपन के शिकार है माधव जी।

क्या मतलब डॉक्टर? मैं कुछ समझा नहीं!

आप को किसी दवा की नहीं बल्कि किसी अपने की जरूरत है। दुनिया भर की लड़कियां आप के पीछे पड़ी है, पर आप है कि किसी को अपनाना ही नहीं चाहते।

अभी भी नहीं समझा मैं डॉक्टर!

सिम्पल शब्दों में कहूं तो आप शादी कर लीजिए। वैसे भी आप की उम्र शादी लायक तो हो ही गई है।

आप मज़ाक कर रहे है डॉक्टर?

जी बिलकुल नहीं, मज़ाक आप समझ रहे है। मैं बिलकुल सीरियस हूं।

ये कौन सा इलाज है डॉक्टर?

देखो आप को मेरी बात अजीब लगेंगी पर मैंने दुनिया देखी है, और मैं ह्यूमन साइकोलॉजी का स्टूडेंट भी रह चुका हूं, सो मेरी बात ग़लत नहीं हो सकती। आप को अकेलापन खाए जा रहा है। बुरा ना माने तो एक बात पुछ सकता हूं?

हां पूछिए!

आपको किसी से प्यार था? या फिर है?

नहीं, बिलकुल नहीं। मेरे लिए मेरा काम और पैसा ही सब कुछ है।

कोई बात नहीं, मैं आपको कुछ दवाइयां लिख देता हूं, उसे कायम समय पे पी लीजिएगा डरने की कोई बात नहीं है। एक खास बात और, मेरी बात पे गौर जरूर कीजिएगा।

Chapter 5.3 will be continued soon…

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Anil Patel (Bunny)