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Rewind ज़िंदगी - Chapter-6.2: रियालिटी शो एवं पुनर्मिलन

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फिर एक के बाद एक सुरीले गानों का सिलसिला शुरू हुआ। सभी गाने गाए जा रहे थे और उधर दूसरी ओर माधव कीर्ति को घूरे जा रहा था। कीर्ति उसकी तरफ देख भी नहीं रही थी। एक के बाद एक सुरीले गानों के बाद माधव और कीर्ति का क्रम आया, उन दोनों ने गाने की शुरुआत की पर दोनों की टयूनिंग इतनी खराब थी कि जज ने उन दोनों को बीच में ही रोक दिया।
एक जज ने कहा, “यक़ीन नहीं होता माधव जैसा एक इतना सुलझा हुआ गायक इतना खराब कैसे गा सकता है? और कीर्ति को मैं कोई दोष नहीं देना चाहता। कीर्ति आपने अच्छा गाया पर आप इससे और भी बेहतर गा सकती है। अगली बार अपने सुर ताल पर अच्छे से ध्यान दीजिएगा।” बाकी के जज ने भी पहले जज की बातों में सहमति दिखाई और नतीजन माधव और कीर्ति को दूसरों के मामले सब से कम मार्क्स हासिल हुए।

“तुम मेरा पीछा करते हुए यहां तक आ पहुंचे? तुम्हें शर्म नहीं आती?” कीर्ति ने माधव से कहा।
“हैल्लो! मैं तुम्हारा पीछा नहीं कर रहा हूं, तुम्ही ने कहा था ना ज़माने के साथ चलो, तो मैं ज़माने के हिसाब से चल रहा हूं। जज ने हम दोनों की जोड़ी बनाई, अब इसमें मेरी क्या गलती है कि तुम मुझ पर बरस रही हो?”
“तुम अमीर आदमी हो, क्या पता तुम्हारी जज और प्रोड्यूसर के साथ जान पहचान हो।”
“मैं यहां पर किसी को नहीं जानता और तुम्हें क्या लगता है? मैं इतना बड़ा आदमी हूं कि लोग मेरे इशारे पर नाचेंगे? इतना ही बड़ा होता तो तुम मुझे छोड़कर गई ही ना होती।”
“तू अभी तक उसी ग़म में डूबा हुआ है? कब तक उसी बात को पकड़ कर बैठा रहेगा?”
माधव और कीर्ति आपस में झगड़ ही रहे थे कि तभी वहां की असिस्टेंट डायरेक्टर माधवी ने बीच में उन दोनों को टोका, “माफ़ी चाहती हूं पर हमारे इस शो के प्रोड्यूसर आप दोनों से मिलना चाहते है। वो आप दोनों का ऑफिस में इंतज़ार कर रहे है।”
माधव और कीर्ति अपना झगड़ा भूलकर ऑफिस की ओर चल दिए। दोनों के मन में यहीं बात थी की कहीं दोनों को इतनी घटिया परफॉर्मेंस के बाद शो में से निकाल ना दिया जाए।
ऑफिस के अंदर जाते ही उन दोनों के आश्चर्य के बीच वहां पर प्रोड्यूसर की कुर्सी पर अजित बिराजमान था।
“अजित तुम?” माधव ने पूछा
“तो ये सच है, मैंने कहा था कि प्रोड्यूसर तुम्हारा जान पहचान वाला होगा।” कीर्ति ने कहा।
“आइए बैठिए।” अजित ने कुर्सी की ओर इशारा करते हुए कहा।
माधव और कीर्ति दोनों वहां पर बैठ गए, “तो आप इस शो के प्रोड्यूसर है?” कीर्ति ने पूछा।
“जी हां!” अजित ने कहा।
“ये कैसे हुआ?” माधव ने पूछा।
“मैं शुक्रगुजार हूं कीर्ति का, अगर उस दिन उसने मुझे थप्पड़ मार के बाहर का रास्ता ना दिखाया होता तो आज मैं यहां नहीं होता।”
“क्या मतलब?” कीर्ति ने पूछा।
“मतलब ये की उस दिन तुमने तो मुझे वहां से निकलवा ही दिया पर मैंने हार नहीं मानी, मैंने कई जगह पर ऑडिशन दिए, पर कुछ जगह मैं फैल हो जाता था और कुछ जगह तुम्हारी वज़ह से मुझे कहीं जगह नहीं मिलती थी। फिर मेरे दिमाग में एक आईडिया आया, मैंने मेरे जैसे लोगों को इकट्ठा किया, और सब को एक एक गाना गाने को कहा, जिससे मैंने एक एल्बम बनाने का सोचा, पर मेरे पास पैसे नहीं थे। इसीलिए मैंने उन लोगों को लेकर एक शो का आईडिया आया। शो के लिए मैंने कुछ लोगों से उधारी ली और एक जगह किराए पर लिया। शो हिट हुआ, और इसी पर मैंने अंदाज़ा लगाया कि ये शो कितना हिट हो सकता है। मैंने मेरे जैसे सारे लूज़र्स को इकट्ठा कर के उनके लिए शो बनाने की नई शुरुआत की। अब देखो मैं कहां हूं और तुम लोग कहां! कल जो विनर्स थे आज वो लूज़र्स हो गए और जो लूज़र था वो आज विनर हो गया।”
“तो अब तू हमसे क्या चाहता है?” माधव ने पूछा।
“आप!”
“क्या?”
“तू नहीं आप।” अजित ने कहा।
“सॉरी! आप हमसे क्या चाहते है?”
“तुम दोनों को क्या लगता है, तुम दोनों यहां किसी संयोग से इकट्ठा हो गए? नहीं! बिलकुल नहीं। तुम दोनों को यहां पर मेरे कहने पर लाया गया। मैंने ही माधव को प्रतियोगी के तौर पर और कीर्ति को तुम्हारी जोड़ी के तौर पर लाने को कहा था।”
“यानी मैं सही थी, ये सब तेरी करतूत है।” कीर्ति ने माधव की ओर देखकर कहा।



Chapter 6.3 will be continued soon…

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✍️ Anil Patel (Bunny)