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स्त्री.... - (भाग-38)

स्त्री ........(भाग-38)

उनकी बात माननी पड़ी और हम घर आ गए.....गेट फूलों से सजा हुआ था और गेट से लेकर घर की चौखट तक फूल बिछे हुए थे। बहुत सुंदर लग रहा था सब कुछ और अविश्वसनीय भी.....चौखट पर गृह प्रवेश की तैयारी हो रखी थी। माँ और केयर टेकर जिन्हें सोमेश जी ममता कह रहे थे....मेरी आरती उतार रहे थे। कलश को गिरा मैंने अपना पैर अंदर आलता के थाल में रखे वहाँ सफेद चादर बिछी थी। मैं उस चादर पर पैर रखती हुई अंदर चली गयी....। अंदर माँ ने अपने पास सोफे पर बिठाया....तब तक चाय नाश्ता आ गया। माँ ने बताया कि दोनो बडे़ भैया और उनका परिवार डिनर पर आने वाला है तुमसे मिलने.....तुम चाय पी कर आराम करो, जब सब आएँगे तब तैयार हो कर आ जाना। सोमेश जी के साथ मैं रूममें आ गयी। रूम बहुत बड़ा था और सब कुछ मौजूद था वहाँ। टी वी, फ्रिज और सोफा। बड़ा सा बेड। कमरे में हल्के क्रीम कलर की दीवारें थी और छत पर चारो कोनो में छोटे छोटे झूमर लगे थे। एक पूरी दीवार में अलमारियाँ बनी हुई थी और एक कोने में ड्रैसिंग रखा था। एक छोटा सा स्टोर भी बना हुआ था, जिसमें सूटकेस वगैरह रखे हुए थे। सब कुछ बहुत ही सुंदर सपना सा लग रहा था। मैं जो घर से मैं अपना सामान लायी थी, वो मुझसे पहले ही कमरे में आ गया था।मैंने अपने सारे गहने उतारे और सोमेश जी को दे दिए। सोमेश जी ने अपनी अलमारी खोल कर दिखायी और उसके अंदर बना लॉकर भी दिखाया और चाभी कौनसी बताई और ये भी की उनकी ये चाभी कहाँ रखी रहती है, उनके लॉकर में वो सब तोहफे थे जो बड़ी भाभियों ने मुझे दिए थे और वो भी जो मुझे सोमेश जी की मम्मीने दिए थे। मैं कपड़े बदल कर आ गयी तो सोमेश जी बेड में लेटे कोई किताब पढ रहे थे। मैं सोफे पर बैठने लगी तो वो बोले, इधर बेड पर आ कर बैठो तो मैं उनके पास जा कर बैठ गयी। रात को सब आ रहे हैं, तो परेशान तो नहीं हो न तुम? नहीं परेशान नहीं हूँ, बस मैं उन्हें ठीक से जानती नहीं हूँ तो सोच रही हूँ कि कैसे बात करनी चाहिए, दोनो भाभी को क्या कहूँ? भाभी या दीदी? क्या अच्छा लगेगा बस यही सब सोच रही हूँ। ठीक है तो मैं बताता जाता हूँ, तुम ध्यान रखना। सबसे बड़े सौरभ भाई हैं और बडी भाभी का नाम सुनैना है, जो एक बड़े बिजनेस मैन की बेटी है और भाई का काम ज्यूलरी का है। उनसे छोटे भाई का नाम संजीव है और भाभी अपर्णा हैं। भाभी बैंग्लोर से हैं और भैया का काम भी पापा वाला ही है उनका शोरूम यहीं है, पर ट्रैफिक देखते हुए दोनो भाई हमसे अलग रहते हैं। पापा का साड़ी लहंगे का काम है और संजीव भैया का जैंट्स वियर का है। दोनों भैया सिंपल हैं, पर मेरी भाभियाँ एक दम टिप टॉप रहती हैं, बड़े भैया के दो बच्चे स्वाति और सयंम हैं। स्कूल में हैं और छोटे भाई की बच्चे तन्वी और तन्मय हैं जो अभी छोटी क्लासेज में हैं। दोनों भाभियों के घर में कुक हैं, तो उनसे खाने की बातें भूल कर भी मत करना। मैं उनकी बातें सुन कर हँस दी। आज हमारे यहाँ खाना कौन बना रहा है? जब से मम्मी बीमार हुईं है, तब से हम भी कुक के हाथ का खाना खा रहे हैं। उनसे ही माँ खाना बनवाती हैं, अपने तरीके से। अब तुम आ गयी हो तो दिन में एक बार तुम खाना बनाओगी, तो अच्छा लगेगा हम सबको। मैं बड़े ध्यान से उनकी बात सुन रही थी, ऐसा लग रहा था कि वो हर बात कितनी सहजता से कह रहे हैं, जिसमे आर्डर कहीं नही बस रिक्वेस्ट थी।
अच्छा ये सब छोड़ो और ये बताओ कि तुम घूमने कहाँ जाना पसंद करोगी? सोमेश जी अभी घूमने नहीं जाएँगे। मुझे थोड़ा काम खत्म करना है, उसके बाद चलेंगे। ठीक है, जब फ्री हो जाओ तो बताना, फिर प्रोग्राम बना लेंगे। सोमेश जी मुझे आपसे एक बात पूछनी थी? हाँ पूछो! आपने या माँ पापा ने ये जानना नहीं चाहा कि मेरा तलाक क्यों हुआ? आमतौर पर तो लोग जरूर पूछते हैं और डिवोर्सी लड़की की ही कमियाँ मानते है्, फिर आप लोगो ने कुछ नहीं पूछा, क्यों?
सोमेश जी फिर मुस्कुरा दिए और बोले, जानकी सब आमतौर पर क्या करते हैं, मैं इस चक्कर में नहीं पडूँगा फिर तुमने भी मेरी वाइफ के बारे में नहीं पूछा तो तुम्हें नहीं जानना था कुछ? वो इस दुनिया में ही नही रही, इसलिए क्या जानना रह गया। मेरा जवाब सुन कर सोमेश जी बोले, पापा तुम्हें तुम्हारे तलाक से पहले से जानते हैं, उन्हें तुम अच्छी लगी और हमेशा तुम्हारी तारीफ सुनी उनसे और तुम्हारे काम की फैन तो मम्मी भी हैं। तुम्हारा डिवोर्स हो गया तो उन्हें बहुत बुरा लगा था, वो तुम्हारी बहादुरी की तारीफ अक्सर करते और तुम्हारे बिजनेस स्किल के भी कायल हैं। तुम्हें याद नहीं होगा पर एक बार जब तुम डिलीवरी देने आयी थी तो मैं भी वहाँ बैठा था, पापा और तुम्हारी बातें सुन रहा था। तुम्हारे जाने के बाद पापा ने बताया कि यही जानकी है। मुझे तुम्हारा खुद को कैरी करना अच्छा लगा। मेरी पहली वाइफ सुहासी बड़ी भाभी की चाचा जी की ही बेटी थी। मैं बहुत सिंपल लाइफ पसंद करता हूँ और वो मुझसे बिल्कुल अलग थी, पर हम दोनो में कभी इस बात को ले कर अनबन नहीं हुई, क्योंकि व अपने दोस्तों और दीदी के साथ घूम फिर लेती थी। शायद बिजनेसमैन की बेटी होने की वजह से वो समझती थी कि काम में आदमी बिजी रहते हैं! वो ऐसे ही कुछ दिनों के लिए अपने मायके रहने गयी थी, जैसे कि पापा ने भी बताया होगा। वो शॉपिंग करके आ रही थी,जब उसका एक्सीडेंट हुआ। सिर्फ 6 महीने की शादी में हमें साथ रहने का मौका बहुत कम मिला। बस ज्यादातर सुबह मुलाकात होती थी और फिर सीधा रात को। 6 महीने में 1-2 महीने तो उसने मायके में ही बिता दिए। उसके जाने का दुख बहुत हुआ था, पर हम सच्चे मन से कभी ठीक से जुड़ ही नहीं पाए थे। उसको मेरी सरकारी नौकरी खास पसंद नहीं थी, पर पिताजी की वजह से हम इतने लैविशली रह रहे हैं और सोसाइटी में हमारा स्टेटस है, वरना मैं तो एक डॉ. ही हूँ, जिसकी सैलरी भी बहुत ज्यादा नहीं है, कह कर वो मुस्कुरा दिए। मैं न तो आप जितनी एजुकेटेड हूँ और न ही हमारा स्टेटस मैच करता था, फिर मैं आपको कैसे पसंद आ गयी ? मैंने झट से दूसरा सवाल पूछ लिया। जानकी मैं बहुत साधारणसा इंसान हूँ और मुझे तुम्हारी सादगी पसंद आ गयी, तुम्हारा कांफिडेंस और समझदारी मुझे भा गयी और ऊपर से तुम खाना भी इतना अच्छा बनाती हो, वो मुझे देख कर हँसते हुए बोले तो मैं भी हँस दी। अब तुम बताओ जानकी! मैं तो सांवला हूँ और तुम इतनी सुंदर, तुम्हें मुझमें क्या पसंद आया? आप में पेशेंस बहुत हैं और पर्सनेलिटी में ठहराव है, मुझे आप मेरे पिताजी से मिलते जुलते लगे, इसलिए पंसद आ गए....बहुत अलग सा जवाब दिया है तुमने, बस यही छोटी छोटी तुम्हारी बातें मुझे हमारी दो मुलाकातों में ही भा गयीं और अब हम साथ हैं। जी बिल्कुल ठीक कहा आपने....बातों में टाइम का पता ही नहीं चला।किसी ने डोर नॉक किया तो सोमेश जी ने खोला तो ममता जी अंदर आ गयीं, उनके हाथ में कुछ सामान था, ये सामान बहु जी आप के लिए है, आप तैयार हो जाइए। पिंक कलर शिफॉन की साड़ी उस पर मकेश का काम किया हुआ था। उस समय मकेश का बहुत फैशन था। साथ में हल्का सा सेट था.....मैं जल्दी से तैयार हो गयी और मेरे बाद सोमेश जी भी चेंज करके आए तो हम दोनो नीचे चले गए।
माँ की पंसद बहुत अच्छी है, ये तो मैं समझ गयी थी......दोनो भाभी और बच्चे तो 7 बजे ही आ गए और दोनो भैया सीधा अपने काम से 9:30 बजे आए। पापा भी तब तक आ गए थे...डिनर के साथ साथ बातें भी कर रहे थे, बिजनेस, हमारा घूमना और मेरा काम सब डिस्कस हो रहा था। दोनो भाभी बड़े घर की बेटियाँ हैं तो उनके नखरे भी उसी तरह के ही थे...मैं उनके स्टैंडर्ड की नहीं हूँ, ये तो मैं शुरू से ही जानती थी और जो जानना बाकी था वो उन्होंने हर बात में जता दिया था......मुझे खास फर्क नहीं पड़ा क्योंकि ये सब मैंने पहले भी बहुत देखा है। बड़ी भाभी थोड़ी इमोशनल हो गयीं क्योंकि उनकी बहन की जगह मैं अब सोमेश जी के साथ हूँ तो उन्होंने कहा कि तुम मेरे लिए सुहासी की तरह हो और साथ में सुहासी के गुणों को भी बताना नहीं भूली। छोटी भाभी इंग्लिश में बात कर रही थी, मैं चुप करके बैठी थी।उनका कहना कि सॉरी जानकी को समझ नहीं आया होगा मुझे याद नहीं रहा कि अब हमारे बीच तुम हो। मैंने सोमेश जी की तरफ देखा तो उन्होंने मेरे हाथ पर हाथ रख दिया। Thanks for your concern and you are so sweet bhabhi, if you are comfortable with english than please continue.......मेरी बात सुन कर वो झेंप गयी और माँ खुश हो कर मेरी तरफ देखने लगी। माफ करना जानकी, अपर्णा को तुमसे ऐसे बात नहीं करनी चाहिए थी। संजीव भैया ने भाभी की तरफ से माफी माँगते हुए कहा। नहीं, भैया माफी माँगने की कोई बात ही नहीं हैं, भाभी जी ने मेरे कंफर्ट को ध्यान में रख कर कहा है.....रात को बहुत देर हो गयी थी तो सब यहीं रूक गए। सुबह दोनो भाई यहीं से काम पर चले जाँएगे और भाभी और बच्चे सुबह नाश्ता करके चले जाएँगे सोच सब सोने के लिए चले गए। मैं, सोमेश जी, माँ और पापा रह गए.....। जानकी को अँग्रेजी भी आती है, ये तो मुझे किसी ने बताया ही नहीं, माँ पापा की तरफ देख कर कह रही थीं। पापा कह रहे थे,"मुझे भी नहीं पता थी ये बात तो"! जी पापा, दरअसल आप से बात करते हुए जरूरत ही नहीं लगी इंग्लिश बोलने की इसलिए आपको नहीं पता चला। अच्छा बेटा, सुबह 8 बजे तक तैयार हो कर नीचे आ जाना। कल तुम्हें किचन में कुछ मीठा बनाना है, पहली बार। ठीक है माँ, मैं आ जाऊँगी। हम लोग अपने रूम में आ गए।
सोमेश जी ने मुझे मेरी अलमारी दिखायी। उसमें काफी सारी साडियाँ, सूट, नाइट वियर, टॉवल और गहने रखे हुए थे। ये सब तुम्हारा है तो तुमअब जो मरजी पहनो....यहाँ सलवार सूट, स्कर्ट जो मरजी पहनो कोई मना नहीं है....सब कुछ बहुत ही परफेक्ट था और जब इतना परफेक्ट होता है तो डर लगना भी वाजिब है। मैं नाइटी ले कर बाथरूम में चली गयी...चेंज करके आयी तब तक सोमेश जी भी चेंज कर चुके थे। मैं बेड पर बैठ गयी, भाभी को जवाब तो दे दिया था, पप सोच रही थी कि सोमेश जी किया सोच रहे होंगे सो कुछ और बात क्या बोलूँ सोच वही पूछ लिया, मुझे भाभी जी को ऐसे जवाब नहीं देना चाहिए था न ? कह मैं उनके चेहरे के भाव देखने लगी पर वो हमेशा की तरह सहज ही दिख रहे थे, जानकी तुमने पहली ही बार उन्हें जवाब दे कर सही किया, उनका तरीका भी ठीक नहीं लगा मुझे पर उन्हें टोक नहीं पाया फिर सोचा तुम ही कहो तो ज्यादा सही रहेगा। मैं तो जानता था कि तुम्हें इंग्लिश आती है, तुम्हारे घर में इंग्लिश मैग्जीन्स और बुक्स देखी थी मैंने। मैं भी सब कुछ पीछे का छोड़ देना चाहती थी। सोमेश जी मैं 8वीं तर पढी थी, जब मेरी शादी कर दी गयी, बस 15-16 साल की उम्र में मेरे पति ने मुझे पढाया, उनका कहना था कि मुझे इंग्लिश नहीं आती इसलिए वो अपने दोस्तो और कलीग्स से मुझे नहीं मिला सकते थे ,क्योंकि उन्हें शरम महसूस होती थी....मैं पढने में बहुत अच्छी थी तो मैंने दिनरात एक कर दिया इस भाषा को सीखने में। सुनील भैया, सुमन दीदीऔर सुजाता दीदी सबने मेरा बहुत साथ दिया। जब इस लायक हो गयी तब हमारा तलाक हो गया, वजह वही की शादी बेमेल है, उनके मेंटल स्टेटस से मैं मैच नहीं करती। मुझे जरा भी दुख नहीं हुआ इतनी साल की शादी के बाद उसके टूटने का....क्योंकि हममें किसी भी तरह का कोई रिश्ता कभी ठीक से बन ही नहीं पाया....अच्छा है न जानकी, अगर तुम्हारी शादी टिकी रहती तो तुम मुझे कैसे मिलती। मुझे आज तुम पर प्राउड फील हो रहा है कि तुम मेरी बीवी हो, कह कर उन्होंने मुझे अपनी सीने से लगा लिया....उस रात हम दोनो ने ही अपनी पिछली जिंदगी को कभी पलट कर न देखने का वादा कर नयी जिंदगी की शुरूआत की.....आखिर मुझे उस रात वो सब मिला जो मैं चाहती थी। बहुत खूबसूरत रात थी वो....जिसकी याद आज भी जेहन में तरोताजा हैं....अगली सुबह की खूबसूरत शुरूआत के लिए हम कब सो गए पता ही नहीं चला।
क्रमश:
मौलिक एवं स्वरचित
सीमा बी.