Junoon Se Bhara Ishq - 14 books and stories free download online pdf in Hindi

Junoon Se Bhara Ishq - 14

Priya ka gussa


अभय बाथटब मे उतर गया। प्रिया उसे गुस्से से घूरे जा रही थी।

प्रिया ( अपने मनमे ) :- कैसा इंसान है ये ? शमॅ नाम की चीज ही नही है कोई।

अभय ने देखा की प्रिया बस उसे देखे जा रही थी।

अभय :- हंहहह . . . . . . . ऐसे क्या देख रही हो ? यहा आकर मेरी मदद करो।

प्रिया को समज नही आ रहा था की वो क्या करे। उसकी बात मानने के अलावा उसके पास और कोई चोइस भी नही थी। पर उसके पास जाने मे ही उसकी हालत खराब हो गई।


वो डरते हुए उसके पास गई। प्रिया के हाथ उसकी शटॅ को पकडते वक्त कांपने लगे। उसने थर्राती ऊंगलीयो के साथ उसकी शटॅ के बटन खोलना शुरु किये।




हर एक बटन के साथ उसका चेहरा शमॅ से सुखॅ हो गया था।

अभय :- अच्छे से नहलाओ मुझे ! वरना फिर रिजटॅ देखने के लिए तैयार रहना।


और आंख बंद करके लेट गया। और उसके हाथो के टच को महसूस करने लगा।


प्रिया के हाथो का मुलायम टच उसे एक अलग अह्सास करवा देता था। वही, प्रिया का मन कर रहा था की वो कही भाग जाये। वो मन ही मन उसे गालिया दे रही थी।


ये इंसान हमेशा उसे अजीबोगरीब स्थिति मे लाकर खडा कर देता था। वो आराम आराम से उसके जिस्म पर हाथ फैलाए रही थी। जैसे कोई मशीन हो पर जैसे ही उसके हाथ कमर के नीचे गये।



उसकी सांसे अटक गई। इसे आगे बढने की उसमे हिम्मत नही हुई। इसलिए वो अपने हाथ हटाने लगी। पर वो हाथो को अलग कर पाती की उसकी कलाई फिर अभय के गिरफ्त मे थी।


जिसकी आंखे अब तक बंद थी। अभय जो अब तक बंद आंखे किये उसके टच को महसूस कर रहा था। उसने अपनी आंखे खोल दी और उसकी तरफ देखा।

अभय :- तुम काम चोरी भी करती हो, हाथ रोक क्यू दिये ?

प्रिया अभय की आंखो मे देख कांपने लगी। उसकी आंखे आंखे कभी कभी बहुत खतरनाक लग रही थी।

अभय :- हंहहह ! काम चोरी मेरी सामने नही चलेगी। ये मेरा ओडॅर है। अच्छे से पूछो मेरे शरीर को। एक भी इंच नही छूटना चाहिए।


प्रिया को बहुत गुस्सा आ रहा था। पर वो कुछ नही कर सकती थी। उसने एक लंबी सांस ली। यही एक तरीका था उसे अपने गुस्से को कंट्रोल करने का।



वो अपने होठो को काटने के साथ ही अपने आपको दोबारा से तैयार करने लगी।

प्रिया ( मनमे ) :- हहह, कैसा घिनौना इंसान है ये !

अभय ने उसका हाथ पकड फिर से उसी जगह रख दिया जहा से उसने हाथ हटाया था।

अभय :- continue करो।

प्रिया को शमॅ आ रही थी। ये सब कहते हुए उसके हाथ जलते हुए से महसूस हो रहे थे। जैसे जैसे उसके हाथ उसके जिस्म पर आगे बढ रहे थे।



इससे ज्यादा उसे शमॅनाक और सहनशीलता क्या होगी उसके लिए। पर ये अंत नही था बल्कि ये शुरुआत थी। इस डरावने सपने की जो अब उसकी जिंदगी बन चुकी थी।



वो खुद से ही बात कर रही थी की अभय ने उसकी कलाई पकडी और अपने उपर खींच कर उसे अपनी बाहो मे ले लिया।



अभय :- हम्म्म्म ! मेरे ख्याल से तुमने मुझे ठीक से नहला दिया है अब, तो अब आगे का काम करे। अब हमे बेड पर चलना चाहिए। धीरे धीरे ऐसे ही रुल्स को याद करवाता रहुगा।

जैसे agreement मे लिखा था। क्योकी वो मेरे ओडॅर थे। जिन्हे मानना और पूरा करना तुम्हारा काम है।

वो भी बिना किसी नखरे के।


प्रिया हैरान होते हुए :- क्या ? ? ?


अभय उसे बिना कुछ कहे बाथटब से बहार ले आया। प्रिया की नजर अंजाने मे ही घडी पर गई। जहा उसने देखा की सच मे वो दोनो बाथटब मे थे।



अभय ने एक मिनिट भी वेस्ट नही किया था। अभय था भी पंच्यूयल इंसान जिसे अच्छे से पता था की एक एक मिनिट कैसे और कहा मैनेज करना है।




सुबह जब अभय की निंद खुली तो वो अपने आप को एक दम ताजा महसूस कर रहा था। उठ कर वो सीधे बाथरूम मे चला गया। वही, प्रिया गहरी नींद मे सो गई।



हालांकि प्रिया की निंद भूख की वजह से आधी रात मे खुली थी। आधी रात को उसने धीरे से आंख खोली। जिसकी उदासी अभी तक छुप नही पा रही थी।



प्रिया बस किसी भी तरह वो सब भूल जाना चाहती थी। जो कुछ घंटे पहले जो हुआ था। अभय ने उसे हर एक सेक्शन याद करवाया था। अगर वो गलती से भी भूली तो वो उसे सजा देगा।


इन सब से प्रिया शमिॅदा महसूस कर रही थी। बाकी कुछ भी उसके हाथ मे नही था। हालाकि उसे कुछ चीजे ही याद थी। पर उसे जबरदस्ती हर एक सेक्शन रिपीट करवाया गया था। वरना वो उसे कभी भी यहा से नही जाने देता।


कैसे कोई इंसान इतना बेशमॅ और निदॅयी हो सकता है। उसे डर था की कही ये सब याद करके उसका दिमाग ही ना फट जाये। यही सब सोचते हुए उसकी नजर अभय के चेहरे पर पडी।





जो गहरी नींद मे सो रहा था। वो कभी नही सोच सकती थी की इतना मासूम और प्रिंस के जैसे चेहरे वाला इंसान राक्षसी की तरह क्रूर सकता है।





उसके पेट से भूख के मारे आवाज आने लगी। वो पूरी कोशिश कर रही थी को वो पूरी कोशिश करे भूख सहन करने की। पर जब भूख बदाॅश से बहार हो गई तो वो हिम्मत कर उठी और धीमे धीमे कदमो से वो बहार आ गई।



किसी चोर की तरह। ता की उसके कदमो की आवाज अभय के कानो तक ना पहुचे। जैसे ही वो बहार आई, तो उसने देखा वहा कुछ सवेॅट सर झुकाए आधी रात को भी उनके ओडॅर को मानने के लिए खडे थे।



एक पल को प्रिया को उन पर तरस आ गया। पर फिर वो किचन का रास्ता पूछ उस तरफ चली गई। किसी भी सवेॅट मे इतनी हिम्मत नही थी की वो उसे रोक सके।



और फिर उन्हे कहा भी गया था की प्रिया को किसी भी हाल मे बंगलो से बहार न जाने दिया जाये। इसलिए वो बिना कुछ कहे उसका कहा मान रहे थे। और उसके पास खडे थे।




उन्ही मे से एक फिमेल सवेॅट जिसका नाम रेशमा था। उसने प्रिया को किचन तक पहुचाया।

रेशमा ( सवेॅट ) :- मैम, क्या मै आपकी मदद कर सकती हू ?

प्रिया :- नही ! जरुरत नही है ! आप जाकर आराम कर लो। मै यहा देख लूंगी।





वो नही चाहती थी की कुछ भी ऐसा हो जो अभय तक पहुचे। इसलिए वो रेश्मा ने पूछते ही वो परेशान हो गई। रेशमा उसकी बात सुन सर हिलाकर पीछे हट गई।



और किचन से बहार चली गई। प्रिया ने उसके जाते ही खाना बनाना शुरु कर दिया। किचन बहुत बडा और हर लग्ज्यूरी से फूल था। वहा हर एक सामान ताजा रखा हुआ था।





Cooking प्रिया की hobby थी।
खास कर तब जब वो खुद के लिए बनाये। वैसे भी उसके हाथो का खाना कोई भी पसंद नही करता था, उसके घर पर।



वो गुनगुनाते हुए खाना बना रही थी। उस बीच उसे किसीने भी उसे distrub नही किया। और ना ही किचन मे आया। कुछ ही देर उसका खाना तैयार हो गया।


जिसमे चार डीश थी। पनीर टिक्का, वैज सैंडविच, वाइट शोश पास्ता और कस्टडॅ। खाना देखते ही उसके चेहरे पर प्यारी सी स्माइल आ गई।



खाना बनाते वक्त हमेशा उसका दिमाग शांत और फ्रेश फिल करता था। जैसा आज कर रहा था, पर उसकी ये शांती कुछ वक्त ही टीक पाई और मुस्कुराहट एक झटके मे गायब हो गई।


जब उसके कानो मे अभय की आवाज आई।

अभय :- तुम यहा क्या कर रही हो ?



उसकी आवाज कानो मे पडते ही प्रिया के रोंगटे खडे हो गए। उसने तुरंत पलटकर देखा तो सामने अभय नाइट शुट पहने हाथ बांधे खडा था। वो दरवाजे से टीककर बडे ही गौर से उसे देख रहा था।



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