Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 15 books and stories free download online pdf in Hindi

Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 15

छह साल पहले की यादें उसके ज़हन में ताज़ा हो गई जब उसने पहली बार नील को किस किया था और उसके साथ ही वोह बुरी याद और दर्द भी जो अगले दिन उसके अचानक, बिना एक शब्द कहे, गायब हो जाने से उसे मिली थी।

नर्मदा ने बहुत लंबा सफर तै किया था उस डिप्रेसिंग मोमेंट से, पर उसके दिमाग में पीछे कहीं ना कहीं उस से यह भी कहता था की वोह उसे भूली नहीं है। जो फीलिंग्स दोनो के बीच रही थी उस वक्त वोह कहीं ना कहीं इतने सालों से आज भी जिंदा है, पर नर्मदा यह नही जानती थी की इसका मतलब क्या है।

क्या कोई वजह थी की नील को ही चुना गया था उसे किडनैप करने के लिए या फिर नील ने ही उसे किडनैप करने के लिए चुना?

उसने आखिर इसे किडनैप किया क्यूं? किस जानकारी की राज बात कर रहा था?

एक अजीब सी गांठ जैसी बनने लगी नर्मदा के पेट में जब उसने यह महसूस किया की वोह नील बारे में और उसके साथ आज कल यह क्या हो रहा है यह जानने में कितनी इंटरेस्ट है।

उन्नीस साल के नील ने उसे दिखाया था की एक सच्चा दोस्त क्या होता है, और यह पहली बार था जब उसका कोई सच में दोस्त बना था। उसने उसके अंदर वोह एहसास जगाए थे जो उसने कभी भी किसी k लिए महसूस नही किए थे, और क्योंकि उसने तब उसकी जान भी बचाई थी, वोह जान गई थी थी की उसकी हर एक सांस नील की अमानत है।

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“मैं तैयार हूं,” उसी दिन बाद में नर्मदा ने बेडरूम से बाहर कदम लिविंग रूम में रखते ही कहा। नील ने उसे सूरज ढलने से पहले कहीं बाहर ले कर जाने से मना कर दिया था। नर्मदा ने अपना पूरा दिन घर में ही बिताया था और नील ने अपने आप को नियंत्रित रखने की कोशिश की थी।

नर्मदा ने दूसरे बेडरूम से नील की आवाज़ें सुनी थी और सोचती रही थी की नील अंदर क्या कर रहा है जब तक की वोह पसीने से तर तर हो कर अपने कमरे से बाहर नही निकल गया। वोह इस रूप में इतना हॉट लग रहा था की नर्मदा भी गर्मी महसूस करने लगी थी। नील अपने कमरे में वर्कआउट कर रहा था और नर्मदा उसकी बॉडी स्ट्रक्चर देख कर ही उसे निहारती ही रह गई थी।

जब नर्मदा ने देखा की सूरज ढलने लगा है तो वो बेडरूम में चली गई थी और एक शावर ले कर ट्यूनिक्स और लेगिंग पहन लिए थे जो भी वहीं कबोर्ड में रखा हुआ था।

नील डाइनिंग टेबल पर बैठा था और अपनी गन को लोड कर रहा था। उसने भी कपड़े बदल लिए थे और उसके बाल अब अस्त वियस्त नही लग रहे थे। “तुम्हे पहले खाना खाने की जरूरत है।”

“क्या खाना?“ नर्मदा के पेट में से अब गुड़गुड़ की आवाज़ें आने लगी थी।

“यह,” नील ने टेबल पर रखी एक पॉलीथिन की तरफ इशारा करते हुए कहा।

“यह.....बिलकुल भी नही। मैं यह खाना पहले ही दो बार खा चुकी हूं। मैं बाहर खाना खाऊंगी। मुझे बहुत भूख लगी है,” नर्मदा ने विनती करते हुए कहा।

नील ने नर्मदा की तरफ देखा पर गन लोड करता उसका हाथ नही रुका।

“ऐसा लग रहा है जैसे की तुम जानते हो की गन को हैंडल कैसे करते हैं,” नर्मदा ने नील को चिढ़ाते हुए कहा, उई कल रात की बात याद आ गई थी जब नील ने उसके मुंह के अंदर गन रख दी थी।

नील खड़ा हो गया। उसने अपनी गन अपने बूट में छुपा ली, एंकल के पास। “थोड़ा बहुत जनता हूं।”

“गुड, अब चलें।”

“अभी नहीं,” नील नर्मदा के पास बढ़ने लगा। उसके हाथ में एक काले रंग की लंबी पट्टी थी।

नर्मदा फुसफुसाते हुए मुस्कुराने लगी जब उसने यह रियलाइज किया की नील के हाथ में ब्लाइंडफोल्ड है। “मुझे तो पता ही नही था की तुम्हारे ऐसे भी शौक हैं।”

“चुप,” नील ने उसे चेतावनी देते हुए कहा और उसके कंधे को पकड़ का रूस पलट दिया।

“आराम से,” नर्मदा ने धीरे से प्यार से कहा जब नील ने उसके आँखों पर पट्टी बांध दी। “मैं जानती हूं की उस कॉरिडोर और गाड़ी तक कैसे जाना है। तुम क्या करने की कोशिश कर रहे हो।”

“चुप रहो,” कहते वक्त नील की सांसे नर्मदा को अपने कान के पास गरमाहट दे रही थी, और इस गरमाहट से उसका मन कर रहा था की उसे अपने करीब खींच ले।

“ठीक है, मैं कुछ नही देख सकती। पर मैं चलूंगी कैसे?“ जैसे ही नर्मदा के मुंह से यह शब्द निकले उसने महसूस किया की उसका शरीर ऊपर की ओर उठ रहा और इससे वोह सरप्राइज हो गई।

“पकड़ लो,” नील ने उसे अपने कंधे पर पेट के बल लटका दिया था जिस वजह से नर्मदा और भी कन्फ्यूज्ड हो गई थी।

“मुझे मत जाने देना,” नर्मदा ने इल्तेजा करते हुए कहा।

“नही जाने दूंगा। बोलना बंद करो।”

नर्मदा को अपनी आँखों पर पट्टी बंधे होने से सिर्फ अंधेरा नज़र आ रहा था पर उसे इतना पता चल रहा था की नील उसे किसी सीढ़ियों से लेकर जा रहा है, फिर उसने पानी की आवाज़ सुनी, फिर कुछ सख्त सा और भारी सा खिसकाने की, और अगले ही पल उसे ताज़ी हवा का एहसास होने लगा। रात की ठंडी हवा जो उस बिल्डिंग के आस पास के पेड़ पौधों से आ रही थी उस से एक अलग ही खुशबू का एहसास हो रहा था।

“यह खुशबू कितनी अच्छी है।” नर्मदा ने गहरी सांस ली और रात की ताज़ी हवा को अपने अंदर बटोरने लगी जब नील ने उसे उतार कर नीचे खड़ा किया। नील ने उसे फ्लैट जगह पर खड़ा किया था और उसके कुछ देर बाद उसकी आँखों से पट्टी हटा दी थी।

चारों तरफ सिर्फ अंधेरा था और रास्ते पर अंधेरा ही लग रहा था, नर्मदा को समझ नही आ रहा था की इस वक्त समय क्या हुआ होगा। “हम कहां जा रहें हैं?“

“तुमने कहा था की बाहर जाना है, हम बाहर आ गए,” नील की आवाज़ सॉफ्ट थी पर स्थिर थी।

“ड्यूड, मुझे तुम्हारा चेहरा साफ नही दिख रहा है, और मैं नही बता सकती की तुम इस वक्त मुझसे मज़ाक कर रहे हो या सीरियस हो।”

“मैं मज़ाक नहीं करता।”

“ठीक है, राज को फोन लगाओ। मुझे उस से बात करनी है,” नर्मदा ने उसे चैलेंज में बोलते हुए कहा।

नील ने गुस्से से गहरी सांस ली। “चलो।”

“तुम्हारा चलो से कहने का क्या मतलब है। मुझे कुछ भी दिखाई नही दे रहा।”

“ठीक है। मेरे पीछे आओ।”

“क्या बकवास है, मुझे अपना हाथ तो दो, ताकि मैं गिरूं नही और मेरा यह नाज़ुक सा सुंदर फूल से चेहरे पर चोट न लग जाए,” नर्मदा ने बड़बड़ाते हुए कहा। और अगले ही पल उसे हँसने की आवाज़ सुनाई देने लगी, वोह हँसने की आवाज़ जिसे वोह पहचानती थी। वोह नील था जिसकी हँसी को वोह पहचानती थी।

“ओह माय गॉड, मुझे अंधेरे में मेरा सालों पहले खोया हुआ वो पुराना दोस्त मिल गया,” नर्मदा ने उसे चिढ़ाते हुए कहा।

“इधर आओ,” नील ने अपने होंठो पर मुस्कुराहट लिए उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, जिसके बारे में सिर्फ वोही जनता था की वोह मुस्कुरा रहा है।

नर्मदा ने भी खुशी से उसका हाथ थाम लिया और एक अच्छे बच्चे की तरह उसको फॉलो करने लगी। “कोई स्ट्रीट लाइट नही है?“

“यह जंगल है।”

“क्या इस जंगल का कोई नाम है?“

“क्या इस से कोई फर्क पड़ता है।” नील ने भी तर्क किया।

“ठीक है, मत बताओ। हम कहां जा रहें हैं?“

“बाहर।”

“स्टॉप बीइंग डिक!“

थोड़ी देर चलने के बाद, नर्मदा की आँखें अंधेरे में एडजस्ट हो गई, उसके लिए यह सरप्राइज़ था की वोह देख सकती थी की वोह एक रेतीले रास्ते पर चल रही थी और चारों तरफ से लंबे और बड़े बड़े पेड़ों से अंधेरा हो रखा था। जो झोपड़ी थी या यूं कहो की नकली झोपड़ी थी वोह जंगल के ठीक बीचों बीच बनी हुई थी। और वोह ठीक से देख भी नही पा रही थी जब तक की वोह उसके नज़दीक नही आ गए।

“क्या हम सारे रास्ते ऐसे ही चलते जायेंगे, जहाँ पर भी हम जा रहें हैं?“

“शायद।”

“तुम्हे हुआ क्या है? तुम कब से चू** की तरह बात करने लगे?“

“मैं हमेशा से ही था। कभी नही कहा की मैं ऐसा नही हूं।”

“व्हाटेवर.....तो तुम यहाँ रहते हो जब तुम जो काम करते हो वोह काम नही कर रहे होते?“

“तुम्हे क्या लगता है की मैं जीने के लिए क्या काम करते हूं?“ नील को खुद यकीन नही हो रहा था की वोह नर्मदा से बातचीत कर रहा है। सालों हो गए थे उसे किसी दूसरे आदमी से इतना बात करते हुए। जबसे उसने छोड़ा था, जिसे वोह अपना घर कहता था जिंदगी भर के लिए, उसने कुछ शब्दों के अलावा ज्यादा किसी से बात नही की थी। नर्मदा में कुछ तो था जिस से उसने नील को भी मजबूर कर दिया बात करने से, और सीने पर बोझ भी कुछ हल्का होने लगा।

नर्मदा ने नील से अपना हाथ छुड़ा लिया और अपने सीने पर क्रॉस करके फोल्ड कर लिया और साथ ही वोह चलती रही। “मुझे इस तरह से तुमसे कोई बात नही करनी।”

नर्मदा अभी भी कुछ देर तक ऐसे ही चुपचाप आगे चलती रही। कुछ देर बाद नील रुक गया और इंतजार करने लगा की नर्मदा को एहसास हो की नील पीछे ही रुक गया है। और जैसा की उम्मीद था, नर्मदा नील के रुकने के कुछ दूरी पर जा कर रुक गई और पीछे पलट कर नील को देखने लगी। नर्मदा का अस्तित्व काफी गुस्से में लेकिन एक आत्मिविश्वासी औरत का था।

“अब क्या?“ नर्मदा ने पूछा, उसकी आवाज़ रात के सन्नाटे में नील तक तीर की तरह छेद करती हुई पहुंची।

“हैंग ऑन।”

नर्मदा उसे देख रही थी जब अचानक नील गायब हो गया झाड़ियों में, और काफी सारी रफल जैसी आवाजों के बाद, एक इंजन के गड़गड़ाहट की तेज आवाज़ नर्मदा के कानों में बूम से सुनाई दी, और फिर तेज़ फ्लैश लाइट से नर्मदा की आँखें चौंधियां गई। तेज़ रोशनी की वजह से अपनी बार बार बंद होती आँखों से नर्मदा उस रोशनी की तरफ देखने लगी।

नर्मदा हैरानी से नील को मोटरबाइक पर सवार होकर झाड़ियों के पीछे से निकलते हुए देख रही थी जो की उसी की तरफ धीरे धीरे बढ़ रहा था।

“हे,” नील की सॉफ्ट आवाज़ ने नर्मदा को अपनी सोच से बाहर निकाला, और जब उसने नील की आँखों में देखा तो उसे अपने सीने में कुछ अजीब सा एहसास हुआ। उसका दिल उस से कुछ कहने की कोशिश कर रहा था, पर वोह जानती थी की उस का दिल उस से झूठ बोल रहा है। एक बार उस का दिल उसे धोखा दे चुका था— वोह पहली और आखरी बार जब उस ने किसी को अपने करीब आने दिया था— वोह इंसान उस की जिंदगी से अचानक गायब हो गया था। भले ही तब वोह बहुत यंग लड़की थी, उसके दिल ने उस से कहा था की वोह इंसान भी उसके लिए कुछ महसूस करता है, पर नर्मदा जानती थी की ऐसा नही है, और इस से उसे सिर्फ अपने आप को बेवकूफ होने का एहसास होता है। एक टूटा हुआ बेवकूफ दिल, और अब तक उसे वोह खुद जोड़ नही पाई थी। उसका दिमाग ही उसका हथियार बना हुआ था, और उसी के सहारे वोह अपने शरीर के आवेग और दिल की चाहत से लड़ रही थी जब वोह नील के पीछे उसकी बाइक पर बैठी।

वोह बाइक पर बैठी, अपने हथेली को अपनी थाईज पर रख लिया, कमर एकदम सीधी, और नील से दूरी बनाए हुए थी।

“कुछ पकड़ लो या फिर गिरने के लिए तैयार रहो,” नील ने उसे चेतावनी देते हुए कहा।

नर्मदा ने धीरे से नील के कंधे पर अपने दोनो हाथ रख दिए, वोह इस से और ज्यादा चाहती थी, पर उसे पता था की उसे अपने आप पर काबू रखना होगा।

इंजन की गड़गड़ाहट ने उस के दिल को तेज़ धड़का दिया और उस की पुरानी यादें ताज़ा हो गई जब वोह नील के साथ थी, पढ़ाई करते वक्त, प्रोजेक्ट पर काम करते वक्त,— जो की उस की पूरी जिंदगी का सबसे अच्छा समय था।















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कहानी अगले भाग में अभी जारी रहेगी...
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