Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 17 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 17

Love by ️️Duty Singham - Series 3 - Part 17


“तुम जानती थी, और तुमने कुछ नही कहा, और तुम तब भी मुझसे दोस्ती रखना चाहती थी?“ अब नील की बारी थी सवाल पूछने की।

“तुम्हे पहले मेरे सवाल का जवाब देना चाहिए। तुम अचानक क्यूं चले गए थे जबकि तुम्हारा काम खतम होने के बाद भी तुम वहीं अटके हुए थे?“ नर्मदा नील को इतनी आसानी से जाने नही देना चाहती थी।

“मैं इतने दिनो तक इसलिए रुका रहा था ताकी कोई मुझ पर शक ना करे।”

“बस इतने दिनो तक की तुम मुझे किस कर सको?“ नर्मदा अब उस पर फट पड़ी थी।

“फक!“

“ओह हाँ, तुम्हे फ्रस्ट्रेटिंग लगता है तुमसे सवाल पूछना? यह वोह सवाल है जो मैने अपने आप से लाखों बार पूछा है।” नर्मदा रो पड़ी थी।

“आई एम सॉरी....आई....”

“अन एक्सेप्टेबल, नील, तुम्हारा यह सो कॉल्ड सॉरी इस सवाल को काट नही सकता, की तुम गायब क्यूं हो गए थे।”

नील को अपने सीने पर जो बोझ महसूस हो रहा था वोह इतना बढ़ गया था की अब उस से बर्दाश्त नही हो रहा था। “क्योंकि मेरे पास एक लंबी लिस्ट थी लोगों को मारने के लिए,” नील गुर्राया।

“क्या? क्यों?“

“तुम नही समझोगी।”

“कोशिश तो करो।”

“मैं निकला था उस कमीने को मारने जिसने उस इंसान की जान ले ली थी जिसने मुझे बचाया था, अपने घर का हिस्सा बनाया था, और जब मैं यह सोचने लगा की मुझे सब कुछ मिल गया....“ नील अपनी बात पूरी नही कर पा रहा था, मानो उसका गला ही चोक हो गया था जैसे बहुत दर्द हो रहा हो बोलने में।

नर्मदा ने अपने कदम आगे बढ़ाए और दोनो के बीच दूरियां को कम करते हुए अपनी बाहें उसके चारों ओर फैला दी। “क्या हुआ?“

“मैं उस बारे में बात नही कर पाऊंगा...“

“तुम्हे जरूरत है, तुम मुझे बता सकते हो।” आखिर नर्मदा सही थी, अगर कोई है जिसके सामने नील खुल सकता था, तो वो नर्मदा थी—यहाँ तक की वोह भी नही जिनके साथ वोह बड़ा हुआ था—सिर्फ वोही थी, और यह नील की भी समझ से बाहर था की वोह उसके बारे में ऐसा क्यों महसूस करता था।

“वॉक करते हैं।” नर्मदा की आवाज़ बहुत नर्म थी। उसने नील का हाथ अपने हाथों में ले लिया और अंधेरे में ही मिट्टी की पगडंडी पर चलने लगी। “यह आदमी कौन है?“

“वोह आदमी जिसने मुझे गुंडों से बचाया था, जो मुझे दरिंदा बनने की ट्रेनिंग दे रहा था।”

“क्या?“

“मैं बस पाँच साल का था, जब मैने पहली बार पिस्टल से गोली चलाई थी। मुझे बताया गया था की मैं पैदा ही लोगों को मारने के लिए हुआ हूं.....और उसके बाद मैं ऐसा बन गया जिस से मैं खुद भी आज तक निकल नही पा रहा हूं।”

“किस से निकल नही पा रहे हो?“ नर्मदा ने अपनी उंगलियों को उसकी उंगलियों में फसा कर मुठ्ठी बना ली।

“किलर बनने से।”

“तुम्हे किलर ही क्यों होना चाहिए था?“ नर्मदा का सवाल बहुत ही मासूम सा था।

“मेरे पास और कोई रास्ता नही था, मुझे वोह खतम करना ही था जो शुरू किया था,” नील ने बेरुखी से कहा।

“क्या ये....“

नील ने उसे बात पूरी करनी नही दी। “पहले कुछ खा लो, हम उसके बाद बात करेंगे।”

“नील...”

“अभी नहीं।”

“ठीक है, जाओ अपनी बाइक ले कर आओ। मैं भी नही चलूंगी अगर तुम मुझसे बात नही करोगे।” नर्मदा ने गुर्राते हुए कहा और वापिस पीछे की ओर चलने लगी।

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आधे घंटे बाद, नील, गांव के मेले में, एक जगमगती हुई रोशनी के नीचे एक टेबल पर बैठा था और नर्मदा को उसके और अपने लिए स्टॉल से खाना लाते हुए देख रहा था।

नर्मदा बहुत एक्साइटेड थी की फाइनली वोह और लोगों के साथ थी और साथ ही वोह उन लोगों से बात भी कर रही थी जिससे उसकी नज़रे मिलती थी। नर्मदा ने अपने बातों का मुख मोड़ कर कॉलेज की बातों पर लगा लिया यह जब उसे यह महसूस हुआ की नील के पास्ट की बातें करने से उसके लिए थोड़ा मुश्किल हो रहा है।

नर्मदा ने खाने की ट्रे टेबल पर रखी और खुद भी कुर्सी पर बैठ गई। “मुझे बहुत खुशी हो रही है की हम यहाँ रुक गए.....क्या मैं तुम्हारे लिए सही ऑर्डर लाई हूं?“

“हाँ, सही है। थैंक यू। मैने ही कहा था की खाना ले कर आओ।” नील मुस्कुरा गया।

“हे, तुमने खाना ऑर्डर किया था, और मैं ले आई।” नर्मदा को कोई लेडी की तरह ट्रीट करे यह बिल्कुल भी पसंद नही था। उसकी पूरी जिंदगी उसे ऐसे ही ट्रीट किया गया था जैसे की वोह अपने से या अपने लिए कोई काम कर ही नही सकती है, और अब वोह यह बहुत बर्दाश्त कर चुकी थी।

नर्मदा को यह महसूस ही नही हुआ था की उसे कितनी भूख लगी थी जब तक की वहाँ का लोकल खाने का एक बाइट उसने नही लिया।

“यह तो बहुत अच्छा है,” फाइनली नर्मदा ने अपनी प्लेट से नज़रे ऊपर कर देखा।

नील नही खा रहा था। उसने अपनी प्लेट में से खाने को टच भी नही किया था। वोह नर्मदा के पीछे कुछ देख रहा था लगभग आसमान की ओर। नर्मदा ने पलट कर देखा और नील की नजरों का पीछा कीया तो पाया की नील फेरिस व्हील को तरफ देख रहा है।

“कभी इतना बड़ा, व्हील शेप का रोलर, कार्निवल में नही देखा है क्या?“

नील ने उसकी तरफ देखा और अपनी गर्दन ना में हिला दी। “जब भी मैं फेरिस व्हील या जायंट व्हील को देखता हूं, यह मुझे किसी चीज़ की याद दिलाता है पर क्या पता नही।”

“तुम्हे जरूर इस से रिलेटेड कोई बैड एक्सपीरियंस है।” नर्मदा हँस पड़ी।

“नही.... मैं कभी इस पर बैठा भी नही।”

नर्मदा के गले में एक दम से खाना फंस गया और वो खाँसने लगी। “और मैं सोचती थी की सिर्फ मेरा ही बचपन इतना ट्राउमेटिक है।”

“सीरियसली, तुम्हे क्या याद आता है इससे?“ नील उसी फेरिस व्हील को अब धीरे धीरे घूमता हुआ देख रहा था जिस पर लोग बहुत एंजॉय कर रहे थे।

“शायद एक वाटर मिल, एक बड़ा सा वाटर मिल।”

“नही।”

“एक विंडमिल, एक एयरोप्लेन टरबाइन.....ओह....द लंदन आई?“

नील ने अपनी नाक पर उंगली से खुजाया और ना में सिर हिला दिया।

“यह मिनी लंदन आई की तरह है, यूरोप का सबसे बड़ा और ऊंचा फेरिस व्हील।” नर्मदा ने हँसते हुए कहा।








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कहानी अगले भाग में अभी जारी रहेगी...
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