Junoon Se Bhara Ishq - 28 books and stories free download online pdf in Hindi

Junoon Se Bhara Ishq - 28

Kya yahi pyaar hai ?







जिस अभय को गंदकी से सख्त नफरत थी। जो ऐसी चीपचीपी सी चीजो से छूने से दूर भागता था। वो आज अपने हाथो से अनार को छू रहा था। जो अभय ऐसी किसी को हाथ लगाना टाइम वेस्ट समझता था वो खुद अपने काम के वक्त को यहा लगा रहा था।





मिस्टर माथुर हैरान थे क्योकी जब से उन्होने अभय के साथ काम करना शुरु किया था, ये पहली बार जब उन्होने अभय को ऐसे देखा था।



कुछ देर बाद अपने हिस्से के सारे अनार छीलने के बाद अभय खडा हो गया। और अपने हाथो को साफ करने लगा। प्रिया देख रही थी की कैसे उसने कुछ ही देर मे इतनी फास्ट ये सब कर लिया।

अभय ने बिना उसे पता चले टेढी नजरो से उसे देखा और फिर अपनी नजरे हटाली।

अभय :- जानता हू तुम इन चीजो के लिए मुझे ऐडमायर करोगी। पर कहने की जरूरत नही है। मै ने तुम्हारी तारीफ को ऐक्सेप्ट कर लिया है।

प्रिया उसे आंखे फाड़े उसे देखने लगी। उसने तो कुछ भी नही कहा था। उस इंसान के मनमे कॉम्पिटिशन की कितनी भावनाए है। अब उसे समज आया था की वो उसको आलसी और लापरवाह दिखना चाहता था।


अभय के खडे होते ही मिस्टर माथुर उसके सामने आकर खडे हो गये।

मिस्टर माथुर :- मिस्टर राठौर ! आपने जैसा कहा था, ये information कलेक्ट कर ली है।

उसकी बात सुन अभय की आंखे दोबारा से सदॅ हो गई वही क्रूरता फिर लौट आई थी। ये देख मिस्टर माथुर ने चेन की सांस ली। कि ये अब भी वैसे ही है वरना कुछ देर पहले का सीन देख वो तो चौंक गए थे।

की ये अभय राठौर है भी या नही। अभय ने पलटकर प्रिया को देखा जो उसे ही देख रही थी।

अभय :- प्रिया ! ये सब कुछ खा लेना। कुछ भी छूटना नही चाहिए।

ऐना इस पर नजर रखो। और जैसे ही खाना हो जाये। मेरी स्टडी रुम मे प्लिस भेज देना।

ऐसा :- जी, सर !

इतना कह अभय मिस्टर माथुर के साथ चला गया। प्रिया झिझकते हुए वो अनार खाने लगी। जो उन दोनो ने मिल कर छीले थे। तभी प्रिया को कुछ याद आया।

प्रिया :- मिस्टर राठौर ने आपको ऐना क्यू कहा ? जब की कल ही जेनी को ऐना कहा था।

ऐसा :- मैम ! सर को हर एक नौकर का नाम नही पता इसलिए वो हम सबको ऐना ही कहते है।

ड्राइवर और बॉडीगार्ड की यूनिफोमॅ पर नंबर्स लिखे हुए है। तो उन्हे नंबर्स से ही बुलाया जाता है।

प्रिया :- ओह !

उसने तो सोचा भी नही था की इन सबके पीछे ये भी रीजन हो सकता है। पर उसे हर बार नाम से ही बुलाता था। उसे उसका अजीब बिहेवियर उसे समज नही आता था।

खैर वो अपना खाना कंम्पलिट करने लगी। पर कुछ देर बाद ही उसका पेट फूल हो गया। और अब उसे आगे खाया नही जा रहा था। पर वो इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ थी की उसने ये सब छोडा तो उसे अभय का गुस्सा झेलना पड़ेगा।







वैसे भी ये सब उसने छीला था। अभय कीस बात पर गुस्सा हो जाये ये कोई भी अंदाजा नही लगा सकता था। की सब वो उसके साथ अच्छा बिहेव करेगा और कब नही।



इसलिए अभय की बात मानने उसके लिए मजबूरी थी। प्रिया के खाना फिनिश करने के बाद उसके लिए अब कुछ भी करना मुश्किल हो रहा था। वो बस जाकर रेस्ट करना चाहती थी। पर उसे अभी स्टडी रुम मे जाना था।



मेरी उसे स्टडी रुम के बहार ले गई। और वहा से धीरे कदमो से ग्रीट करके वापस चली गई। प्रिया उसे जाते हुए देख रही थी। उसके चेहरे पर हडबडी और डर दोनो ही झलक रहे थे।

जैसे अगर वो नही गई, तो उसे अभी यहा खडा कर फांसी देती जाएगी। प्रिया ने दरवाजे की तरफ देखा। वो कंफ्यूज थी की दरवाजा नॉक करे या नही।

क्या पता अभय कोई काम कर रहा हो। और उसके डिस्टर्ब करने पर भडक उठे। वो यही सब सोच ही रही थी तभी उसे किसी के गुराॅने की आवाज आई।



अभय :- बहार खडी खडी क्या कर रही हो ? अंदर आओ।

आवाज सुनते ही प्रिया धीमे धीमे कदमो से चल कर अंदर चली गई। अंदर जाकर देखता तो अभय अपनी चैर पर बैठ कर कुछ डॉक्यूमेंट देख रहा था।

उसका सर नीचे था। प्रियाने डर के कारण उसे डिस्ट्रीब करना ठीक नही समझा। उसने हल्के नजर से पूरे कमरे को देखा। जहा हर तरफ बूक सेल्फ रखी हुई थी। साथ ही एक सोफे अंगोला टेबल के अलावा कुछ भी extra नही था।

प्रिया ने हल्के से देख अपना सर झुका लिया।वो नही चाहती थी की अभय को उसे टोचॅर करने का एक भी या कोई भी मौका मिले। प्रिया उसे ठीक ठाक दूरी पर थी। उसी के लिए इतनी दूरी काफी थी।



वो इस दूरी को कम करने के मूड मे नही थी। जब काफी वक्त तक प्रिया अभय के पास नही आई तो उसने अपने सर को उपर उठाया।

अभय :- वहा क्यो खडी हो ? यहा मेरे पास आओ।



अभय के कहते ही प्रिया ने जल्दी से अपने सर को हिलाया। और उसके पास चली गई। जैसे ही प्रिया अभय के पास आई। अभय ने उसे अपनी गिरफ्त मे ले लिया। और अपनी गोद मे खींच लिया।



प्रिया अचानक हुई इस हरकत से चौंक गई।

प्रिया :- ये . . . . . ये . . . . . . . ये ।

अभय :- हिलने की कोशिश मत करना। वरना अच्छा नही होगा।

अभय की बात न मानना उसके लिए नही था। इसलिए उसके कहते ही वो चुप चाप बैठ गई।

अभय :- क्योकी अब तुम ठीक हो गई हो। तो बेहतर है की हम पीछला हिसाब पूरा करले।

प्रिया :- कैसा हिसाब ?

अभय :- तुम डेट पर गई थी। वो भी उस आदमी के साथ तो अब उसका हिसाब भी तो करना पडेगा ना।

तो बताओ क्या करु मै तुम्हारे साथ  ? हं, क्योकी तुम हर बार ये बात भूल रही हो की अब तुम मेरी हो तुम्हारी जिंदगी का हर एक फैसला मुझसे होकर ही तैय होगा।

पर फिर भी तुमने हिम्मत की किसी और आदमी के साथ डेट पर जाने की।



उसकी बात सुन प्रिया कांप गई। उसे समज नहीशा रहा था कि वो क्या कहे।

प्रिया :- वो . . . . . .

वो चाहकर भी सच अभय से नही कह सकती की उसकी मां ने उसे ये सब करने को कहा था। हो सकता था की वो ये सब कहे तो अभय सीधे उसकी मां को टार्गेट करेगा।

इसलिए उसने चुप रहना बेहतर समझा।

प्रिया :- दोबारा ऐसा नही होगा। प्रोमिस।

अभय :- ओह ! सच मे पर लगता तो नही है मुझे की तुम अगली बार ये सब करोगी। 

क्या गारंटी है ? दुबारा किसी आदमी को नजर उठाकर नही देखोगी।

तुम बस मुझे इतना बताओ। की अब ऐसा क्या करु मै तुम्हारे साथ जिसे तुम्हे मेरी एक एक बात रटी हुई हो।

हालाकि की ये कहने को तो एक सवाल था जो अभय प्रिया से पूछ रहा था। पर वो सवाल भी प्रिया के मनमे खौफ पैदा करने लिए काफी था। वो अपनी कंपकंपाती आवाज को छिपाने की पूरी कोशिश कर रही थी।

प्रिया :- आगे से क . . . . .कभी ऐसा नही होगा। पक्का ! आप जो कहेगे हमेशा वो मै करुगी।

वो बोल ही रही थी अचानक अभय ने टेबल साइड डोर से एक स्टेन्प निकाली और उसकी नजर एक पल के लिए भी प्रिया के चेहरे से नही हटी।

अभय :- अब क्योकी तुम्हे चीजे याद नही रहती तो। कुछ ऐसा करते है की लोगो देख कर पता चल जाये की तुम मेरी हो। और कभी कोई तुम्हे छूने की हिम्मत ना करे।

इतना कह कर उसने प्रिया का हाथ अपने हाथ लिया और उसकी स्लीव्स को कलाई से उपर कर दिया। और उस स्टेन्प को उसकी कलाई पर छाप दिया।

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Hii guys

Sare chapter me comments karna please

Bas yahi ek request hai 🙏🙏🙏

Bye 💐