Junoon Se Bhara Ishq - 32 books and stories free download online pdf in Hindi

Junoon Se Bhara Ishq - 32

priya ki ghar wapsi






रुबी हैरानी से अपने गाल पर हाथ रखे उसे देखने लगी। जिस लडकीने उसे कभी उसी आवाज मे बात तक ना कि हो, हमेशा शांत रहने वाली और सॉफ्ट होकर प्रिया ने उसे थप्पड मारा।

रुबी ने जैसे ही उसे पलटकर थप्पड मारना चाहा तो प्रिया ने उसका हाथ पकड़ लिया।

प्रिया :- कोशिश भी मत करना अब तक चुप चाप सुना वो इसलिए क्योकी कहने वाली मेरी मां थी। उन्हे मेरे बारे मे कुछ भी बोलने का हक है।

क्योकी उन्होने मुझे जन्म दिया है। पर तुम कौन हो ? और किसने तुम्हे हक दिया मेरे बारे मे या मेरे अफेयर के बारे मे बोलने का . ?

आइंदा कुछ भी बोलने से पहले इस थप्पड को याद रखना।

अब जाओ यहा से।

रुबीना प्रिया की आंखो मे देखा जो दिखने मे तो शांत लग रही थी। पर जैसे बहुत कुछ अपने अंदर समाया हो। उसे देख नजाने क्यू पर रुबी की आगे बोलने की हिम्मत नही हुई।  उसने तुरंत प्रिया के मुह पर दरवाजा बंद कर दिया।

दरवाजा बंद होते ही प्रिया ने एक नजर उठा कर दरवाजे को देखा। और अगले ही पल इतनी देर से उसका रुका हुआ आंसु का समंदर बह उठा।

प्रिया ने दीवार पर अपना हाथ रख दिया सहारा लेने के लिए।  अब उसके लिए अपने आपको संभालना मुश्किल हो रहा था। वो धीरे धीरे कर आगे बढने लगी।

बहार बहुत जोरो की बारिश हो रही थी। कुछ ही देर मे बारिश की बुंदो ने उसे पूरा भीगो दिया। उसके आंसु बारिश मे मिल कर अपना अस्तित्व खो रहे थे। वो धीमे धीमे कदमो से आगे बढ रही थी। उसे समज नही आ रहा था की वो कहा जाये।





अब तो उसके पास कुछ भी नही बचा था। पहले कम से कम एक परिवार तो था। अपना एक घर तो था। कहने को ही सही पर कुछ तो था जो उसका अपना था। पर अब उसके पास कुछ भी नही था।

इस पूरी दुनिया मे अब वो अकेली हो चुकी थी। कहा जाये ? किसके पास जाये ? उसे कुछ समज नही आ रहा था। वो धीमे धीमे लडखडाते हुए चल रही थी। तभी अचानक ही गिर जाती तो अगले पल कोशिश कर दोबारा चलने लगती है।

उसकी जिंदगी के सारे मकसद जैसे खत्म हो गये थे। वो चल ही रही थी की अचानक उसके सामने ब्लैक कलर की लंबी गाडी आकर रुकी। गाडी दरवाजा खुलतेसे कुछ आदमी बहार आये। ही उसमे और उसे चारो तरफ से घेर कर खडे हो गये।

उनमे से एक आदमी आगे आया और उसे छाते के नीचे कर लिया। ता की बारिश उस पर ना गिरे।

बॉडीगार्ड :- मैम ! हमे मिस्टर राठौर ने भेजा है। उनका ओडॅर है की आपको घर पहुंचाया जाये। तो प्लिस आप कार मे बैठ जाइऐ।

ता की हम आपको घर ले जाये।

उस आदमी की बात सुन प्रिया खुद की ही जिंदगी पर व्यंग से मुस्कुराने लगी। कौन सा घर, अब तो उसके पास कुछ था ही नही। वो कुछ रियेक्ट कर पाती उससे पहले ही वो अपने होश खो बैठी।

जब उसकी निंद खुली तो उसने हैरानी से अपने आस पास देखा। उसे कुछ भी क्लीयरली याद नही आ रहा था। वो रास्ते पर थी, बारिश मे भीग चुकी थी। फिर गाडी का रुकना और एक आदमी का उसके उपर छाता लगाना उसके बाद सब कुछ उसकी मेमरी से मिट चुका था।

उसने ध्यान से देखा तो वो वही कमरा था, जिसमे वोषितनी रातो से उस सनकी के साथ रह रही थी। मतलब वो वापस वही आ गई थी। ये सोच उसकी आंखो मे आंसु आ गए। उसकी दिल फिर एक कड़वाहट से भर गया।

नजाने कैसे वो होश खो बैठी थी। तभी किसी ने दरवाजे नॉक किया। प्रिया ने जल्दी से अपने आंसु ओको पौछा। उसे अपना ददॅ और परेशानी किसी को भी दिखाना पसंद नही था।

और अब भी वो नही चाहती थी की कोई उसे रोता देखे।

प्रिया :- अंदर आ जाइये।

उसके कहते ही जैनी अंदर आई। उसके हाथो मे ट्रे थी। जिसमे कॉफी और सूप रखे हुए थे।

जैनी :- मैम ! आप ठीक है ? कोई प्रोम्बेम तो नही है ? अगर है तो हम डॉक्टर को बुला लेते है। आपको देखने के लिए।

प्रिया :- नही ! मै ठीक हू। डॉक्टर को बुला ने की जरूरत नही है।

जैनी :- ओके ! प्लिस अगर कोई प्रोम्बेम हो तो आप हमे बता दिजिएगा।

ये सूप और कॉफी है आप इसे प्लिस पी लिजिए। ता की आपकी बॉडी गमॅ रहे। और आपको सदीॅ न हो।

उसे डर था की कही प्रिया इन सब के लिए मना न कर दे।

जैनी :- प्लिस मना मत करयेगा। क्यूकी अगर आप हुई तो मिस्टर राठौर बहुत गुस्सा होगे।

उन्होने स्ट्रीकली आपका ध्यान रखने का कहा था। लास्ट टाइम भी आपकी तबियत खराब हुई थी। तो वो बहुत पैनिक हो गये थे।

उन्हे आपकी बहुत फिक्र है। इसलिए आप ये ले लिजिए।  इनसे आप बिमार नही पडेगी। वरना मिस्टर माथुर सर को सब बता देगे।

प्रिया उसकी बात सुन हैरान रह गई। फिक्र और वो भी वो सनकी। वो इंसान कभी मेरी फिक्र नही कर सकता। बस वो पागल है। मेरे शरीर के लिए और इसलिए नही चाहता की मै बिमार रहु।

वर्ना फिर उसका यहा मुझे रखने का मतलब ही क्या रह जायेगा। वो सिर्फ अपनी मन मर्जी चलाने वाला इंसान है। ऐसे इंसान ना किसी की फिल्लिंग समज सकते है और ना किसी की फिक्र कर सकते है।

वो जानती थी की वो जैनी को सच नही बता पाये। की उसकी असली फिक्र का मतलब क्या है इसलिए वो चुप रही।

प्रिया :- आप चिंता न करे अपना ध्यान रखुंगी। और जुकाम भी नही होने दूंगी अपने आपको। आप बस मुझे एक सवाल का जवाब दे सकती है।

जैनी :- जी मैम !

प्रिया :- मुझे यहा कौन लेकर आया ? मो तो बहार थी ना।

जैनी :- वो मिस्टर माथुर के कुछ बॉडीगार्ड हमेशा से आपको पीछे फॉलो करते है। आपको पसंद नही है । इसलिए वो हमेशा आपसे दूर ही रहते है।

उन्होने ही आपको देखा था। जब आप बारिश मे पूरी भीग चुकी थी। वही आपको यहा लेकर आये है।

प्रिया :- ओके ! ठीक है ! आप उन्हे मेरी तरफ से थैंक यू बोल दिजिएगा।

जैनी :- ओके, मैम।

इतना कह कर जैनी वापस चली गई। उसके तुरंत बाद ही मिस्टर माथुर ने दरवाजा नॉक किया।

मिस्टर माथुर :- कैसी है आप मिस मेहरा ? एनी प्रोम्बेम !

प्रिया :- नो ! थैंक्स मै ठीक हू अब।

प्रिया को मिस्टर माथुर की नजरो मे आज कुछ अजीब लग रहा था। ये नजर पहले जैसी नही थी। हर बार वो नोमॅली आकर ही उसे ग्रीट करते थे। पर आज कुछ तो अजीब था। जैसे एक चालाक नजर शायद !

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