Saat fere Hum tere - 15 books and stories free download online pdf in Hindi

सात फेरे हम तेरे - भाग 15

नैना ने कहा दीदी मुझे निलेश के बातों पर पुरा भरोसा है एक बार हमें जाना चाहिए। माया ने कहा कितने साल बीत गए पता है ।अब कहां होगा कैसा होगा। नैना ने कहा हां दीदी ठीक है एक बार कोशिश करने में क्या दिक्कत है। माया ने कहा हां ठीक है लेकिन अब तो हमे जाना है। नैना ने कहा हां ठीक है वहां से आने के बाद हम जरूर जायेंगे। माया ने कहा हां ठीक है। नैना ने कहा दीदी मैं चाहती हूं कि निलेश का हर एक सपना जो उसने देखा था उसको मैं पुरा करूं। उसके लिए मुझे जो जो करना होगा मैं करूंगी। मैं चाहती हूं कि निलेश का ये कला देश में विदेशों में प्रदर्शन हो और लोगों के अन्दर एक अनोखा आकर्षक हो। माया ने कहा हां नैना जरूर होगा ये सब। निलेश हमेशा कहा करता था कि दीदी अगर परदेश से कभी बुलावा आया तो मैं जरूर जाऊंगा।पर कभी उसने अपनी कला भेजा ही नहीं। नैना ने कहा देखना दी मैं कहा से कहा तक लेकर जाती हुं।आज जहां कहीं भी हो निलेश तुम जरूर खुश हो रहे हो कहते कहते नैना रो पड़ी। फिर माया ने उसे गले से लगा लिया। फिर दोनों ही अपने अपने काम पर निकल पड़े। नैना जल्दी आ जाती थी और फिर नैना सीधे निलेश के रूम में जाकर सब पुराने पुराने पेंटिंग को निकल कर साफ़ करने लगी। और फिर बोली निलेश काश हम पहले मिले होते तो कम से कम साथ निभा पाते क्यों तुम मेरा साथ छोड़ दिए। मैं क्या कभी नहीं देख सकती तुम्हें। देखो तो सही मैं तुम्हारे लिए जी रही हूं इतनी बड़ी सजा कैसे दे सकते हो निलेश। फिर सारे पेंटिंग को अच्छी तरह देखने लगी। क्या बनाएं हो जैसे जान डाल दिया हर एक पेंटिंग तुम्हारी बहुत अच्छी है। फिर बात करते करते कब आंख लग गई पता नहीं चल पाया। कुदरत का खेल ही तो है दो चाहने वाले क्या हमेशा अलग हो जाते हैं। ये क्यों हुआ नैना के साथ। नियति है या फिर कुछ और।
फिर महीने निकल गए और फिर दस तारीख को हमें जाना है चलो पैकिंग शुरू करते हैं।बिमल ने कहा नैना कोई भी चीज चाहिए तो बोलना हां। नैना ने कहा हां ज़रूर। आज आठ तारीख हो गया है। माया ने कहा चलो सब खाना खाते हैं।

फिर सभी मिल कर ख़ाना खाने लगे। आज भी खाने की टेबल पर निलेश की जगह ख़ाली है। माया को शायद कहीं ना कहीं यकीन है कि निलेश आएगा। फिर सब बात करते हुए खाना खाने लगे। नैना ने कहा दीदी मैं पुरे भारत में निलेश का पेंटिंग दिखाना चाहती हूं। अतुल ने कहा हां मैं भी पुरी कोशिश करूंगा कि कुछ कर सकूं।
शाम को माया के बच्चे पढ़ने आ गए। नैना ने कहा दीदी मैं बुई से मिल कर आती हूं। माया ने कहा हां ठीक है।
नैना अपने घर गई ऐसा लग रहा था कि शादी के बाद जा रही हो पर भगवान ने शायद कुछ और ही सोच रखा है नैना के लिए। क्या उसके दुखों को कोई भी दूर नहीं कर सकता है क्या नैना को युही जिंदगी में अकेले बिताना होगा।।

बुई ने देखते ही कहा कि कितने दिन बाद आई । नैना ने कहा हां परसों जा रहें हैं तो मिल लूं। अपना ख्याल रखना।बुई ने कहा हां तू तो पराई हो गई है अब।। नैना ने कहा हां ठीक कहा आपने मैं पराई हो गई हुं भले ही मेरी शादी नहीं हुई निलेश से पर मैं ही उसकी विधवा हुं ये कहते हुए नैना के आंखों से अश्रु बहाने लगें। कोकिला ने कहा अच्छा हुआ कि आज भाभी नहीं रहें अगर होते तो तेरा दुःख कैसे देख पाते। नैना ने कहा हां ठीक है मैं अपना कुछ सामान लेने आईं हुं कह कर नैना अपने कमरे के तरफ बढ़ गई।
फिर कुछ जरूरी सामान समेटा और जाने लगी। कोकिला ने कहा कुछ खाकर जा।बेसन का लड्डू बनाई थी। नैना ने कहा जाने दो बुई अब न खाया जाएगा बेसन का लड्डू। कोकिला ने कहा अरे पहले तो कितना पसंद था। नैना ने कहा हां पहले तो बहुत कुछ पसंद था पर अब शौक बदल गया है और फिर निलेश को भी बेसन का लड्डू पसंद था ना इसलिए अब कभी नहीं खा सकती हुं। कोकिला ने कहा कितना तकलीफ देंगी खुद को? नैना ने कहा ये तकलीफ नहीं तकदीर है जो भगवान ने तय किया है देखा जाए तो मैं ही मनहूस हुं निलेश की जिंदगी मेरी वजह से गई। कोकिला ने कहा अच्छा ठीक है जाने दो। खुशी खुशी जाकर आओ। नैना ने पैर छुए और फिर बोली बुई मुझे आशीर्वाद दिजिए मैं निलेश का सपना पूरा कर पाऊं।
कोकिला ने कहा हां हर समय मेरा आशिर्वाद है। फिर नैना वहां से निकल गई। कोकिला अपने भाई भाभी के फोटो को देखते हुए कहा क्या नसीब लेकर आईं हैं।
फिर घर पहुंच कर नैना ने कहा दीदी चलो सब पैकिंग कर लेते हैं। माया ने कहा हां नैना चलो पर जानती हो मुझे एक अनजाना सा डर लग रहा है। नैना ने कहा हां ऐसा क्यों?हम तो साथ जाएंगे। माया ने कहा हां पर कितनी दूर जाना है अनजान देश , अनजान लोगों के बीच। नैना ने कहा नहीं दीदी अब हम पीछे नहीं हट सकते हैं। हमें हर हाल में जाना होगा। वहां निलेश को सम्मानित किया जाएगा और फिर आप ही तो वो जो निलेश की जगह उसके मेहनत का फल मिलेगा। माया ने कहा हां मुझे गर्व है इस बात का कि निलेश मेरा भाई है। नैना ने कहा हिम्मत रखियेगा सब अच्छा होगा।
माया ने कहा हां कहा से तू इतनी हिम्मत जुटा पाती है? नैना ने कहा है ना निलेश मेरे दिल में, मेरी जिंदगी में, मेरी सांसों में, मेरी आंखों में, मेरे दिन में, मेरी रात में, माया ने नैना को गले से लगाया और कहा हां मैं समझ सकती हुं। नैना ने कहा दीदी निलेश मेरी आत्मा में बसा हुआ है। माया ने कहा हां ठीक है चल सो जाते हैं।
फिर दूसरे दिन सुबह सब अपने अपने निकल गए। नैना स्कूल में बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाया करती थी उसके स्कूल में बहुत ही जल्द नैना ने अपने को साबित कर दिया था। सभी टीचर्स से दोस्ती भी हो गई थी सबको चिंता थी कि एक इतनी सुन्दर लड़की जिसकी आंखें नहीं थी और जब आंख मिली तो उसने अपने जीवन साथी को ही खो दिया।कितनों को यकीन नहीं हो रहा था और फिर ये सब कहां हमें असली जिंदगी में देखने को मिलता है वो सब तो फिल्मों में किताबों में रहता है। सबको लगता है कि नैना को एक नई जिंदगी शुरू कर देनी चाहिए।पर नैना तो कभी सोच भी नहीं सकती इस बारे में।
स्कूल की छुट्टी के बाद सीमा बोली अरे नैना कब वापस आओगी? नैना ने कहा इस महीने के आखिरी में। सीमा ने कहा हम बहुत मिस करेंगे तुमको।पर हां एक नेक काम करने जा रही हो। नैना ने कहा हां मैं कोशिश करती रहुंगी।
फिर नैना घर वापस आ गई थी और कुछ देर बाद माया भी आ गई। नैना ने कहा चलो दी चाय पीते हैं। फिर दोनों मिलकर कर बात करने लगे और फिर चाय भी पीने लगे। नैना ने कहा दीदी सारे डोक्युमेंट कापी करवाया ना? बिमल लेकर आता होगा ये माया ने कहा। नैना ने कहा ओके।

कुछ देर बाद बिमल आ गया और फिर बोला कि ये सब लेकर आया हूं और कुछ भी जरूरत होगा तो बोलना। नैना ने कहा हां तुम लोग एयरपोर्ट तो चलोगे? विमल ने कहा हां ज़रूर। माया ने कहा विमल खाना खा लो।विमल ने कहा हां दीदी बस अभी आता हूं। फिर नैना अपने कमरे में जाकर बेड पे लेट गई और बोली निलेश अगर तुम होते तो देख पाते कि आज तुम्हारी कला कहां तक पहुंच गई है।
फिर नैना को नींद आ गई और फिर वो सो गई।

कमश: