EK KAHANI AISI BHI - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

एक कहानी ऐसी भी - भाग 2

अगले  भागमे  हमने  देखा  की  |

एक  खुस- खुशाल  अनुज  का  परिवार  किसी  अनजानी  शक्ति  की  चपेट  मे  आ  जाता  है |

आए  दिन  उसके  घर पे  जघड़े  होते  रहते  है  |

पर  हद  तो  तब  होती  है  |

जब वो  कहता  है  की  वो मुजे  मार  डालेगी  |

सब  के  समजाने  पर  सब  ठीक  हो  जाता है  |

 

अब  आगे |

इन  सबकी  नजर  से  दूर  कोई  मंगल  मेंसन  पे  अपनी  नजर  टिकाए  खड़ा  है |

आखिर  है  कोन  वो  ओरत  या  मर्द  |

ये  थी  सुनैना  |

 

अनुज  की  जिसके  साथ  सादी  होने  वाली  थी  |

ओर  अनुज  को  कोई  ओर  लड़की  पसंद  थी  |

पर  वो  अपने  परिवार  के  खिलाफ  जा  नहीं  सकता  था  |

इसलिए   उसने  सादी  के  लिए  हा  कहेदी  |

पर  वो  सादी  के  दिन  आया  ही  नहीं  |

 

सब ने  बहोत  फोन  किए |

पर  कोई  प्रत्युतर  सामने  से  नहीं  मिला  |

समयानुसार  अनुज  की  मम्मी  को  सबको  सब  कुछ  बता  देना  मुतासीर  समजा |

ओर  उन्होंने  सब  बात  सुनैना  ओर  उसके  माता - पिता  को  बता  दी  |

 

ये  सब  सुनकर  वो  तीनों  अंदर  से  टूट  चुके  थे  |

अब  मेरी बेटी  से  कोन  सादी  करेगा  इसी  खयाल  ने  सुनैना  के  माता - पिता  को  अंदर  से  जिनजोड़  के  रख  दिया  था |

अनुज  के  माता  - पिता  ने  सब से माफी  मांगी  ओर  सब  महेमान  अपने - अपने  घर  चले  गए  |

अनुज  के  परिवार  ने भी  उन  तीनों  से  तहे  दिल  से  माफी  मांगी  |

ओर  उनका  परिवार  भी  अपने  घर  चला  गया |

 

इस  अपमान  ओर  बदनामी  के  डर  से  सुनैना  के  माता - पिता  ने  |

उसी  जगह  आत्महत्या  कर  ली  उसी  मंडप  के  नीचे  |

उसी  जगह  उसी  हवन  कुंड  मे  |

 

अपने  मा - बाप  को  अपनी  आँखों  के  सामने  मरता  देख  |

सुनैना  ने  वचन  लिया  की  वो  अनुज  से बदला  लेगी  |

वो  उसे  बर्बाद  कर  देगी  |

 

अगले  दिन  जब   अनुज  के  परिवार  को  पता  चला  की   सुनैना  के  माता - पिता  ने  आत्मा - हत्या  कर  ली  |

तो  उन्होंने  सहर  छोड़ने  का  फैसला  लिया  ओर  मंगल  मेंसन  मे  शिफ्ट  हो  गए  |

 ये  तो  थी  अब  तक  की  कहानी  |

 

अब  आगे  |

साम  को  जब  अनुज  घर  वापस  लॉट  रहा  था  तो  काली  बिल्ली  ने  रास्ता  काट  दिया  |

वो  कुछ  आगे ही  गया  होगा  की   उसकी  बाइक  का  पंचर  हो  गया  |

पता  नहीं  क्यू  पर  आज  सब  संजोग  होने  वाली  कुछ  अनहोनी  की  तरफ  इसारा  करती  थी  |

थोड़े  आगे  जाके  उसने  थोड़ी  चैन  की  सास  ली  क्योंकि  सामने  ही  गेराज  था  |

पर  जब  उसने  नीचे  की  ओर देखा  तो  उसे  ज्ञात  हुआ  की  वो  किसे  बड़े  से  गोल  कुंडाले  के  बीचों बीच  खड़ा  था  |

 

मानो  जिसने  भी  इस  चक्रव्यूह  को  रचा  था  उसने  अनुज  भेद  दिया  |

अब  वो  पूरी  तरह  से  काले   जादू  की  गिरफ़त  मे  था |

उसने  देखा  सामने  गेराज  है  |

वो  वहा  गया  ओर  उसने  पंचर  बनवाया  |

ओर  घर  की  ओर  चल पड़ा  |

घर  पहुचते  ही  वो  नॉर्मल  सा  बिहेव  करने  लगा  ओर  सबको  लगा  की  सब ठीक  हो  गया |

पर  जैसे  ही  अनुज  डिनर  करके  उठा  |

वो  धम  से  नीचे  गिरा  |

वो  थोड़ा  खडा  हुआ  पर  ये  क्या  उसे  उलटी  हुई  ओर  वो भी  खून  की |

खून  भी  तो  कैसा  काला  जैसा  नाम  वैसा  काम  काला |

उसे  रातों  रात  अस्पताल  ले जाना  पड़ा  |

ऐसा  तो  कैसा  जादू  किया  की  पूरा  खून  ही  काला  हो  गया  |

 

जानने  के  लिए  पढे   -  एक  कहानी  ऐसी  भी  - भाग  - ३