Jinnat ki Dulhan - 6 books and stories free download online pdf in Hindi

जिन्नात की दुल्हन-6

कुछ बाते जिंदगी मे अचानक बनती है!

और हमने जो कभी सोचा भी न हो एसी होती है!

गुलशन की अम्मी के साथ भी यही हुआ था!

उन्होने सोचा भी नही था कि बेटी की चिंता मे उसका पिछा करना अपनी जान के लिये खत्रा भी बन सकता है!

औऱ कुछ भय़ानक हादसो की वो शिकार भी हो सकती है!

अपनी जान बचाकर वो जैसे ही अपने कमरे मे पहोंची तो कमरे का नजारा देखकर उनके हलख से चिख निकली..!

उऩकी चिख सूनने वाला अब कोई नही था!

सामने ही उनके शौहर का गला दबोच कर गुलशन बैठी थी..!

उसको नग्न देखने से पहेले उन्हें नींद मे हीं गुलशनने राख्शसी ताकत लगाकर उनकी साँसे छीन ली थी!

उऩके शौहर की मूंडी एक और लुढक गई थी!

उसके चहेरे पर विजई चमक थी!

वो अपनी माँ को कातिलाना निगाहो से घूर रही थी

मै जानती थी बूढीया...!

तू छटपटाती हुई अपने शौहर से चूगली करने जरुर आयेगी!

तु कुछ कर पाती उससे पहेले मैने सारा खेल ही खत्म कर दिया..!

"ये तूने क्या कर दिया मेरी बच्ची..!"

पहेली बार वो सिसक पडी.!

बच्ची नही हू मैं तेरी..!

जिन्नात हूं में...! एक मुव्वकिल मुजको तेरी बेटी लेकर आई है..!

औऱ अब उस पर मेरा दिल आ गया है..!

उसको छोडकर मैं कही जाना नहीं चाहता..!

शादी करना चाहता हूं उससे.. !

औऱ तेरी बेटी को मेरी दुल्हन बनाना चाहता हूं..।

मेरी ईस ख्वाईश को तु पूरी करेगी!

वरना तेरा भी हश्र यही होगा..!

बोल करेगी ना पूरी मेरे दिल की तमन्ना..?"

उसके बोलने का तरीका सपाट और ईतना सख्त था की वो मना नही कर पाई

उसने अपनी मूडीं हिलाई।

वह अपनी बेबसी पर रोने लगी थी!

अब उसकी कोई मदद नही कर सकता था!

अब उसकी लाईफ उसके लिये अभिशाप बन चूकि थी!

एसा अभिशाप जिसने उनकी सारी खुशिंयाँ को तबाह कर दिया था!

उनके जीवन मे थी सिर्फ चिखे.. कानो के परदे चीरने वाली गूंजे.. जो सिर्फ उन्हे सूनाई दे रही थी।

कभी सोचा नही था उन्होने की ये दिनभी देखना पडेगा !

"तू मुजे खुश रखेगी तो तेरी जिंदगी मै बख्श दुंगा..!

बस तु अपनी बेटी को शादी के लिये तैयार कर.. मै अपना मकसद पूरा कर लूंगा..!

तेरे शोहर का मरना तेरे लिये बडा सदमा हो सकता है! मगर बात को संभाल कर अब तूजे अपनी बेटी की बिदाई के बारे में सोचना है.. समजी..!"

गुलशन की माँ सहेम कर रेह गई उसने आंखो से ही सहमती मे सिर हिलाया.!

फिर गुलशन वहाँ से उठकर अपने कमरे मे चली गई..

उसका शारिरिक सौंदर्य ही उसके लिये मुसिबत हुआ था!

गुलशन की माँ उसके बदन को आँखे फाड फाड कर देखती रही...!

***

गुलशन की अम्मि अपने शोहर की डेड बोडी से लिपट कर फफक रही थी।

इस वक्त कौन उनकी मदद को आता..?

खौफ की गिरफ्त मे उनकी सांसे फंसी थी।

वो बार बार अपने शोहर के निर्लेप चहेरे पर अपना हाथ फेरते हुए ऱो रही थी।

वो समज चूकि थी की जिन्नात की हरकत के बारे मे जब अपने पति को ईत्तला करने के ईरादे से निकली तब जिन्नात बात को ताड गया होगा.।. वरना उनका शौहर जिंदा होता।

अपनी ही गलती की वजह से उन्होने अपने शौहर की जान गवां दी।

अब रोने से भी तो कुछ फायदा नही था।

अब वह सोच रही थी की ईस वक्त टूटना नही है। बल्कि हिम्मत से काम लेना है.. ।

ईस मौत के बारे मे देवर जेठ के फेमिली को अवगत कराना जरूरी था।

पर कैसे..?

आखिर क्या कहेगी उन लोगो से..?

यही की अपनी ही बच्चीने उनका गला दबा दिया..?

नही मुजे ईस मौत को आम मोत साबित करना होगा..।

कोई जूठीमूठी कहानी पेश करनी होगी जिससे सबको अपनी बात पर एतबार आ जाये ।

औऱ जल्ह ही ईनकी दफन विधि खत्म हो जाये ।

जिन्नात ने गुलशऩ से शादी का मन बनाया है ईसके लिये अब वो कोई बखेडा करने वाला नई है।

पर गुलशन के लिये अच्छा लडका कहां से ढूंढुंगी मै ...?

गुलशन को ही पूछना पडेगा।

उसको कोई लडका पसंद होगा उसके साथ निकाह कर देंगे।

वो अपने शोहर की लाश को गोदमे लेकर बेटी के निकाह के बारे मे सोचने वाली दुनिया की पहेली ओऱत होगी।

क्यो कि जिन्नात की बात को टालने का मतलब था अपनी मौत को दावत देना।

उसने अपने पति को ठीक से सूला दिया।

जो होगा सुब्हा देखा जायेगा।

मगर अभी लाश के पास सोने से भी मन घबरा रहा था

पर क्या करती सोना तो था ही।

भले ही निंद ना आय़े पर ये कयामत सी रात निकाल नी थी।

डेडबोडी के पास रह कर..।

वो बेड के सामने रखे सोफे पर पसर गई।

औऱ अपनी रक्तिम आंखो से खौफजदा होकर पूरे कमरे को देखने लगी।

अब भी धडकने तेज थी ।

कही गुलशऩ वही रूप मे दुबारा यहां न आ जाये..।

गुलशन की हालत भी तो अच्छी नही थी।

जिन्नात ने उस पर कबजा कर रखा था।

मै बार बार उसे ईसिलिये टोकती थी की वो ईतना सजधझ कर कहीं बाहर ना जाया करे।

पर वो कहां किसी की सुनती थी।

मेहदीं ओऱ ईत्र तो जिन्नात की पहेली पसंद है बहोत जल्द वो उससे हावी हो जाता है।

ईन्सान के शरीर मे प्रवेश करना इनकी वजह से आसान हो गया ...।

पर अब कुछ ऩही हो सकता..

खेर... अब वो किसी को बकरा बनायेगा।

शादी करवायेगा औऱ फिर उसकी जिंदगी भी खुद बरबाद करेगा।

सबकुछ जानते हूये भी मै कुछ ऩही कर पाउंगी।

क्योकि मेरे बोलने से मेरी जान जायेगी अपनी शादी मे वो रूकावट नही आने देगा।

बडा ही शातिर दिमाग है उसका...।

औऱ मुजे अभी मरना नही है..

चूप रहेना ही बहेतर है..।

जो करेगा जिन्नात करेगा..।

वही रास्ता दिखायेगा ....।

उसने चेन की एक लंम्बी सांस ली..।

औऱ वो अपने शोहर की लाश को देखती रही...।

( क्रमश:)

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