Huaang Chaau ki Beti - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

हुआंग चाउ की बेटी - 5

हुआंग चाउ की बेटी

5 - लाला हुआंग

"नहीं," लाला हुआंग ने कहा। "मुझे लन्दन पसंद नहीं है, लन्दन का यह हिस्सा तो बिलकुल नहीं।"

"तुम कहाँ होना पसंद करोगी?" डरहम ने पूछा। "चीन में?"

धुंधलके ने लाइमहाउस पर एक पर्दा सा डाल दिया था, और वेस्ट इंडिया डॉक रोड पर दोनों जब धीरे-धीरे चल रहे थे, डिटेक्टिव को लग रहा था कि दृश्य में थोडा ग्लैमर प्रवेश कर गया है।

अपनी सीमाओं में वह चालाक व्यक्ति था और एक हद तक सुसंस्कृत भी पर वह उतना दार्शनिक भी नहीं था कि वह जान पाता कि वह लाइमहाउस के अडोस-पड़ोस को अपनी साथी की बातचीत से बुने ओरिएण्टल रहस्य की धुंध के ज़रिये देख रहा था। मंदिर की घंटियाँ सड़क पर चल रही कारों के शोर में भी सुनाई दे रही थीं। धुंए की चिमनियाँ पगोडा जैसी दिख रही थीं। उसके सामने उसने बर्मा और चाइना और उन द्वीपों का खाका खींचा था जहाँ उसने पहले रौशनी का अहसास किया था। क्योंकि यूरोपीय वंश की होने के बावजूद लाला में कनक रक्त भी था जो उसमें ऐसा आकर्षण पैदा कर रहा था, जो डरहम के लिए नया था, छलावापूर्ण था और इसलिए खतरनाक भी।

"चीन नहीं," उसने जवाब दिया। "पता नहीं क्यों मुझे नहीं लगता कि फिर कभी चीन देख पाऊंगी। पर मेरे पिता अमीर हैं और यह सोचते डर भी लगता है कि हम यहाँ रहते हैं जबकि रहने के लिहाज़ से इतनी खूबसूरत जगहें हैं।"

"तो फिर वह यहाँ क्यों रहते हैं?" डरहम ने उत्सुकता से पुछा।

"पैसे के लिए, हमेशा पैसे के लिए," लाला ने कंधे उचकाते हुए जवाब दिया। "इसके बावजूद ख़ुशी न मिले तो फायदा क्या?"

"सचमुच क्या फायदा?" डरहम बुदबुदाया।

"मुझे बिलकुल मज़ा नहीं आता," लड़की ने पीड़ा से कहा। "कभी-कभी कोई अच्छा इंसान कारोबार के सिलसिले में आ जाता है, पर अधिकाँश यहूदी ही आते हैं, हमेशा यहूदी और।।।"

उसने फिर अर्थपूर्ण ढंग से कंधे उचकाये।

डरहम को जैसे बातचीत का वह सिरा मिल गया जो वह चाहता था।।।

"तुम्हें यहूदी पसंद नहीं हैं।" उसने कहा ऐसे दर्शाते हुए जैसे हलके अंदाज़ में कह रहा हो।

"नहीं," लड़की बुदबुदाई, "मुझे नहीं लगता वह मुझे पसंद हैं। हालांकि कुछ अच्छे होते हैं, मुझे लगता है ऐसा सभी तरह के लोगों के साथ होता है, कुछ अच्छे होते हैं और कुछ बुरे।"

"क्या तुम कभी अमेरिका गयी हो?" डरहम ने पूछा

"नहीं।"

"मुझे लगता है," उसने समझाया, "मैं कई ऐसे अमेरिकी यहूदियों को जानता हूँ जो बहुत अच्छे लोग थे।"

"अच्छा?" लाला ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, "मैं हाल ही में एक से मिली थी। वह कहीं से अच्छा नहीं था।"

"ओह!" डरहम के मुंह से निकला, उसे झटका लगा था क्योंकि उसे आशा नहीं थी की वह ऐसे स्वीकार करेगी। "तुम्हारे पिता का कोई ग्राहक?"

"हाँ, उसका नाम कोहेन था।"

"कोहेन?"

"वह छोटा सा मजेदार इंसान।" उसने कहना जारी रखा। "उसने मुझे प्यार करने की कोशिश की। उसने अपनी पलकें धूर्तता से झपकायीं। "मैं शुरू से जानती थी कि वह अभिनय कर रहा था। वह चोर था। मुझे लगा, मैं उससे डरती थी।"

डरहम ने तेज़ी से कुछ सोचा और:

"क्या तुमने उसका नाम कोहेन बताया?" उसने पूछा।

"उसने तो यही नाम बताया था।"

"कोहेन नाम का एक अमेरिकी हाल में नदी में मरा पाया गया था।"

लाला जैसे थम गयी और उसने उसकी बांह कसकर पकड़ी।

"तुम्हें कैसे पता?" उसने जानना चाहा।

"सुबह के अखबार में खबर थी।"

वह झिझकी। फिर:

"क्या उसके बारे में कुछ विस्तार से बताया गया था?" उसने पूछा।

"नहीं," डरहम ने जवाब दिया, "कुछ विस्तार से नहीं था। कम से कम मुझे जो याद है व इतना ही है कि उसके बाएं हाथ में उसने एक बड़ा और महंगा हीरा पहना हुआ था।"

"ओह!" लाला फुसफुसाई।

उसने डरहम की बांह छोड़ी और आगे बढ़ी।

"क्या हुआ?" उसने पूछा। "क्या तुम्हें लगता है तुम उसे जानती हो?"

"मैं जानती थी उसे।" उसने जावा दिया। "जो आदमी डूबकर मारा, वही था। अब मुझे यकीन है, हीरे की अंगूठी की वजह से। तुमने कौनसे अखबार में पढ़ा? मैं खुद देखना चाहती हूँ।"

"मुझे ठीक से याद नहीं। शायद डेली मेल था।"

"क्या वह डूबा था?"

"मुझे लगता है- हाँ।" डरहम ने सतर्कता से कहा।

लाला हुआंग कुछ समय चुप रही और वह चलते रहा। फिर:

"कितना अजीब है!" उसने धीमी आवाज़ में कहा।

"माफ़ करना मैंने उसका ज़िक्र किया," डरहम ने कहा। "पर मुझे कैसे पता होता कि वह तुम्हारा दोस्त था?"

"वह मेरा दोस्त नहीं था," उसने स्पष्ट कहा। "मैं उससे नफरत करती थी। पर यह फिर भी अजीब है। मुझे यकीन है कि वह मेरे पिता को लूटना चाहता था।"

"इसलिए तुम्हें लगता है कि यह अजीब था?"

"हाँ।" उसने कहा पर उसकी आवाज़ लगभग न सुनने जैसी थी।

अब वह उस संकरी गली तक पहुँच चुके थे जो उस गली से जुडती थी जहाँ हुआंग चाउ का ट्रेज़र हाउस था और लाला एक कोने पर रुक गयी।

"मेरे साथ आने के लिए शुक्रिया," वह बोली। "क्या तुम लाइमहाउस में रहते हो?"

"नहीं," डरहम ने जवाब दिया, "नहीं रहता। सच तो यही है, मैं आज रात यहाँ इसी उम्मीद में आया था कि तुमसे मिल सकूं।"

"अच्छा?"

लड़की ने उसे संदेह से देखा, और अपने वरिष्ठ के दिए काम के प्रति उसकी नापसंदगी हर गुज़रते पल के साथ बढ़ रही थी। वह होशियार था, पढने-लिखने वाला शख्स था और पेशे में महत्वाकांक्षी था। उसे यह अच्छा लगता था कि चीफ इंस्पेक्टर केरी को उससे बड़ी उम्मीद थी, पर इस तरह के काम को लेकर उसका झुकाव कम ही था।

उसके किरदार में बहुत शिष्टता थी और वह उसे एक औरत की भावनाओं से खेलने से रोक रही थी। जो भी हो कोहेन अपनी मौत मरा था और चीनी पि लुंग उसी हाथ से मारा था या नहीं, लाला हुआंग इन मामलों में निर्दोष थी, उसे यकीन हो चला था।

संदेह उपजने बाद में शुरू होने थे जब वह उससे दूर चला जाता, जब उसे यह सोचने का मौका मिलता कि वह उसे अपने पिता के ट्रेज़र हाउस के तीसरे संभावित लुटेरे के रूप में भी देखती हो सकती थी। पर इस पल, उसकी काली आँखों में देखते हुए उसने खुद को संभाला और सोचने लगा कि उसका वास्तविक फ़र्ज़ क्या था।

"यहाँ सब कितना अँधियारा और बोझिल है," लड़की ने अँधेरी गली की तरफ देखते हुए कहा। "बात करने के लिए कोई नहीं।"

"पर दिन में व्यस्त रखने के लिए तुम्हारा कार्य है।"

"मैं इस सबसे नफरत करती हूँ। नफरत।"

"पर तुम्हें पूरी आज़ादी है?"

"हाँ। तुम्हें बता दूं मेरी माँ चीनी नहीं थी।"

"क्या तुम लाइमहाउस छोड़ना चाहती हो?"

"बिलकुल। इस समय यह इतना बुरा नहीं है पर जाड़े में मैं काले आसमान से, अंतहीन बारिश से परेशान हो जाती हूँ। ओह!" वह डरहम की बांह कसते हुए गलियारे की अँधेरी परछाई में चली गयी। "अह फु को मुझे देखने मत दो।"

"अह फु? यह कौन है?" डरहम ने थोडा पीछे हटते हुए पुछा, जब एक शख्स चुपचाप गली के दूसरी तरफ चला गया।

"मेरे पिता का नौकर। वही सुबह तुम्हें अन्दर लाया था।"

"तुम उससे छिप क्यों रही थी?"

"मुझे उस पर विश्वास नहीं। मुझे लगता है वह मेरे पिता से चुगली करता है।"

"वह हाथ में क्या लिए हुए था?"

"पंछियों का पिंजरा, मुझे लगता है।"

"पिंजरा?"

"हाँ।"

परछाई से निकलकर जैसे उसने उसकी ओर देखा तो उसने उसकी आँखों की चमक देखी।

"क्या वह पक्षी-प्रेमी है?"

"नहीं, नहीं, मैं नहीं बता सकती क्योंकि मैं खुद नहीं समझ पा रही। पर अह फु शैडवेल में किसी जगह नियमित रूप से जाता है और छोटे पंछी खरीदता है, हमेशा छोटे पंछी, बहुत छोटे?"

"क्यों और किसके लिए?"

"मैं नहीं जानती।"

"क्या तुम्हारे घर में कोई चिड़ियाखाना है?"

"नहीं।"

"तुम्हारे कहने का मतलब है अह फु जो पंछी खरीदकर लाता है, वह गायब हो जाते हैं?"

"मैं अक्सर उसे पंछियों के पिंजरे के साथ देखती हूँ पर हमारे घर में पंछी नहीं हैं।"

"कितना अजीब है!" डरहम बुदबुदाया।

"मुझे अह फु पर विश्वास नहीं है," लड़की ने बुदबुदाया। "अच्छा है उसने मुझे तुम्हारे साथ नहीं देखा।"

"छोटे पंछी," डरहम बुदबुदाया। "किस तरह के पंछी? कोई ख़ास प्रकार?"

"नहीं; चिड़िया, सभी तरह की। क्या यह मजेदार नहीं है?" लड़की बच्चों की तरह हंसी। "मुझे लगता है अह फु अब अन्दर चला गया होगा, इसलिए मुझे तुमसे विदा लेनी चाहिए।"

पर अब जब डिटेक्टिव डरहम वापस वेस्ट इंडिया डॉक रोड पर चल रहा था, उसकी सोच पंछियों का पिंजरा लिए जा रहे चीनी की चोरों जैसी चाल पर टिकी थी।

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