Huaang Chaau ki Beti - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

हुआंग चाउ की बेटी - 9

हुआंग चाउ की बेटी

9 - पेड की तस्वीर

लाला हुआंग रात की चुप्पी में खलल डालती अस्पष्ट आवाजों को सुनते हुए लेटी हुई थी। इस समय उसके विचार उसे डरा रहे थे। उसकी माँ के जिंदा रहते, जो कि गुज़र गयी थीं जब लाला बहुत छोटी लड़की थी, ज़िन्दगी काफी अलग और खुश थी।

उसने कल्पना की कि बंदरगाह और नदी की जो मिश्रित आवाजें उसके पास आ रही थीं, में वह किसी स्वर्ण तट पर लहरों का शोर सुन पा रही थी। लाइमहाउस की जानी-पहचानी हवा टापू की खुशबू पर हावी हो रही थी और उसने फिर गहरी सांस ली पर इस बार, क्योंकि प्रशांत महासागर की आवाज़ से शांत होकर मन में वह एक बार बच्ची बन चुकी थी,

वह कितनी भी छोटी थी पर माँ की मौत ऐसा सदमा थी जिससे उबरने में उसे कई साल लगे थे। उसी समय उसके पिता के साथ लम्बे सफ़र शुरू हुए थे, एक बन्दरगाह से दुसरे बंदरगाह, एक समुद्र से दूसरे समुद्र, कभी कभी कहीं कुछ समय के लिए रह जाना पर हमेशा चलते रहना।

उसने उसे शिक्षित किया था और उसके प्यार के बारे में उसे कोई संदेह नहीं था। पर माँ का रक्त ज्यादा ज्यादा जोर मारता था बनिस्बत उसके उस हिस्से के जो चीनी था, और उसके स्वभाव में एक कोमलता और शिथिलता थी जो उसके पिता समझ नहीं पाते थे न ही वह उसे पसंद करते थे।

वह जानती थी कि वह धनी थे। वह यह भी जानती थी कि उनके तरीके सीधे नहीं थे, हालांकि अपने व्यवसाय के जिस हिस्से में उन्होंने उसे सहायक के रूप में शामिल किया था कानूनी था या कम से कम कानूनी दीखता था।

सामान रातों में लाइमहाउस में पहुँचता था और अपने पिता के कारोबार के इस हिस्से के लिए वह प्रतिबंधित थी। बड़े दोहरे दरवाज़े जो प्रांगन में खुलते थे, अह फु खोलता था और विभिन्न आकारों के डिब्बे अन्दर लाये जाते थे। कभी कभी इन गतिविधियों की आवाजें उसके कमरे में पहुँचती थीं जो कि वहां से काफी दूर था पर उनका महत्व वह सुबह समझ पाती थी जब गोदाम में वह देखती थी कि कुछ नयी चीज़ें आ गयी हैं।

वह सोचती थी कि उसके पिता का धन अर्जित करने का उद्देश्य क्या था और उम्मीद करती थी, अपनी सहज समझ के खिलाफ उम्मीद करती थी, कि वह पूर्व लौटना चाहता था, सेवानिवृत जीवन ओरिएंट की खूबसूरत और जानी मानी जगहों के बीच बिताने को जो लाला के सपनों का स्वर्ग था।

पिता के किस्से अक्सर वह सुनती थी। उसे पता था कि उसके पैदा होने से पहले वह चीन में ऊंचे ओहदे पर थे पर उन्होंने अपने अधिकारों का त्याग कैसे और क्यों किया था, इस बारे में वह अनुमान ही लगा सकती थी। अपनी माँ की बतायी कहानियों को समझने के लिहाज़ से उसकी उम्र बहुत कम थी, लेकिन हुआंग चाउ के किरदार की कुछ ऐसी बातें थीं जो उनकी बेटी को नहीं जाननी चाहिए थीं और वह इस बात को समझती भी थी तथा उसे एक गुप्त दुःख की तरह स्वीकार भी कर चुकी थी।

उन्होंने उसे सारी आज़ादी दी थी शिक्षा के तहत जिसकी वह हकदार थी। उसकी ज़िन्दगी एक यूरोपीय की तरह थी न कि किसी ओरिएण्टल महिला की तरह। वह अपने पिता से एक कोण से प्यार भी करती थी और दूसरे से डरती भी थी। वह उनके किरदार के अंधियारे और क्रूर रूप से डरती थी, जिसके बारे में कि अपनी ज़िन्दगी के विभिन्न हिस्सों में वह झलक पाती रहती थी।

वह इस नतीजे पर पहुँच चुकी थी कि क्रूरता उनकी बुराई थी। किस तरीके से वह इसे कृतार्थ करते थे, इस बारे में न वह कभी जान सकी और न उसमें जानने की इच्छा थी। पुलिस के फेरे समय-समय पर लगते रहते थे, पर वह बहुत पहले समझ चुकी थी कि उसके पिता इतने चालक तो थे कि क़ानून की पकड़ में नहीं आने वाले थे।

उनके कारोबार का एक हिस्सा कितना भी कुटिल था, अपने ग्राहकों के साथ उनके सौदों में कोई खोट नहीं होती थी, इसलिए कोई उनसे दगा के बारे में नहीं सोचता था, और कार्य कानूनी हों या नहीं उनके विदेशी रिश्ते उनके खिलाफ ऐसा कोई मामला नहीं बनने देते थे कि अधिकारी उनके खिलाफ कारवाई करना चाहें या कर सकें।

अमेरिका में रिश्वत उनका रक्षा कवच थी। उसे यह बात संयोग से पता चली थी यह उसे पता नहीं था कि लन्दन में भी इसी तरीके से उन्हें बचाव हासिल था।

उस तक पहुंचने वाली कुछ अफवाहें डराने वाली थीं। इधर उसने लाइमहाउस पर पड़ने वाली बहुत अजीब नज़रों का सामना किया था। ऐसे माहौल के बाद हमेशा उनका साझा घर टूटता था। किसी तरह उसने यह तथ्य समझ लिया था कि हुआंग चाउ का लन्दन के चाइनाटाउन में आवास खतरे में था। उनका अगला ठिकाना क्या होगा, इसकी कल्पना वह नहीं कर पायी थी पर वह दुआ करती थी कि वह कुछ गर्म जलवायु में हो।

उसने खुद को जॉन हैंपडेन के बारे में सोचते हुए पाया। उसका किरदार संदेह से परे नहीं था, पर ऐसे माहौल में उसे किसी वास्तविक गोरे व्यक्ति से मिलने की उम्मीद कम ही थी।

लाला को यह सोचना अच्छा लग सकता था कि वह गोरा था पर वह खुद को यह जबरन मानने के लिए मजबूर नहीं कर सकती थी। उसे यह सोचना अच्छा लग सकता था कि वह उसका साथ इसलिए चाहता था कि वह उसे आकर्षित करती थी, पर उसने यह सच्चाई जान ली थी कि उसके प्रति आकर्षण में उसके कुछ और इरादे छिपे थे। उसने सोचा कि वह भी उन कई भंवरों में से हो सकता था जो उसके पिता के कथित धन के कारण खिंचा आया था।

उसे लगा यह अजीब था कि हुआंग चाउ ने कभी - खुलकर- उसकी दोस्ती की जांच नहीं की थी, जो कि इत्तेफाक से मिले कई लोगों से थी, भले ही उसकी अपनी अन्दर की आवाज़ उसे बताती थी की वे पुरुष बदमाश थे और अपने पिता के ज़हनियत के कारण वह जानती थी कि उन्हें भी इसका पता ही होगा।

उसके कई कथित प्रेमी मर चुके थे। यह वह बिंदु था जो कई बार उसके ज़ेहन में आया था पर उस पर अब भी गौर करना वह ज़रूरी नहीं समझती थी। पर जॉन हैंपडेन - जॉन हैंपडेन अलग था। वह पूरी तरह से गंभीर नहीं था। उसने एक चिंतित सांस ली। पर इसके बावजूद वह बाकी लोगों की तरह नहीं था।

अचानक वह बिस्तर पर उठकर बैठी, एक खतरनाक विचार उसके मन में आया। वह एक जासूस था!

अब वह समझी कि क्यों उसे उसमें गोरा दीखता था, पर उसमें काफी कुछ असत्य था। उसे अपने पास उसकी उपस्थिति का अहसास हुआ। उसकी आवाज़ का कोई मधुर तत्व उसके ज़ेहन में गूंजने लगा। वह अचानक लाइमहाउस की और अपने बेहद निकट बहती नदी की शांत आवाजें सुनने लगी।

बचपन की घर के लिए उसकी पुरानी चाहत दसगुना होकर लौटी और आंसू उसके गालों को भिगोने लगे। वह उस व्यक्ति से प्यार करने लगी थी जिसका मकसद उसके पिता की बर्बादी था। उसके दिल में कंपकंपी सी हुई। इस समय भी जब उनकी दोस्ती नयी-नयी थी, अजीब थी, एक सवाल, एक भयावह सवाल उसके सामने खड़ा था।

यदि चुनना पड़े तो वह किसे चुनेगी?

वह इस मुद्दे का सामना करने के लिए तैयार नहीं थी और वापस वह तकिये पर लेट गयी, सिसकारी को दबाते हुए।

हाँ, वह एक जासूस था। आखिरकार उसके पिता ने किसी तरह क़ानून का गंभीर ध्यान अपनी ओर खींचा था। चाइनाटाउन में अफवाहें फ़ैल रही थीं, जिनकी तरफ से वह बिलकुल अनजान नहीं थी। उसने सौ से ज्यादा सवालों के बारे में सोचा, सौ चुप्पियाँ और वह अधिक से अधिक सच को समझने लगी।

वह क्या करना चाहता था? उसके सामने भूतों जैसी कुछ आकृतियाँ खड़ी हुईं - उन कुछ लोगों की परछाईयां जो उसके पिता के खिलाफ थे। जॉन हैंपडेन की साज़िश अलग थी। पर क्या वह उस रहस्यमयी टोली में से नहीं हो सकता था।

अब वह फिर उठकर बैठी, इस बार कोई स्पष्ट आवाज़ उसे कानों तक घर के ही अन्दर से पहुंची थी, बेहद धीमी, घंटी बजने जैसी जो फिर अचानक ही बंद हो गयी थी। उने यह आवाज़ एक बार पहले भी सुनी थी, हालही में, जॉन हम्प्दें से मिलने से एक रात पहले। कोहेन - कोहेन, यहूदी, उस रात मरा था!

उसने फर्श पर कदम रखे, अपने चप्पल पहने और अपने रात के गाउन पर एक कीमोनो ओढा। वह धीरे-धीरे चलते हुए दरवाज़े तक पहुंची और दरवाज़ा खोला।

लगभग उसी पल हुआंग चाउ, जो अपने कमरे में सोया था, घंटी की आवाज़ से जागा जो उसके ठीक सर के ऊपर थी। वह तुरंत उठा और उसने घंटी बंद की। उसके चेहरे के भाव, अगर कोई देख पाता, तो नाखुशी के भाव था। साथ ही एक विजयी भाव था उनमें और कुटिल क्रूरता।

उसकी लम्बी पीली उँगलियाँ अपने चश्मे तक पहुंची जो बगल के टेबल पर पड़ा था। उन्हें लगाते हुए, उसने परदे खींचे और कमरे एक एक छोर से दूसरे छोर तक तय गया।

राइटिंग टेबल तक पहुँचने के बाद, उसने अपनी ठूंठ उस पर रखी और ब्लॉटिंग पैड को घूरने लगा जिसने डरहम की भी उत्सुकता जगाई थी और अब अगर वह देख पा रहा होता तो रहस्य सुलझ गया होता। यह एक कैमरा उपकरण था और उसकी सतह पर नीचे स्थित स्टोरहाउस का एक हिस्सा दिख रहा था! जो हिस्सा दिख रहा था एक इलेक्ट्रॉनिक टॉर्च की रौशनी के दायरे में था और टॉर्च एक पुरुष लिए हुए था जो तख़्त पर रखे लाख के ताबूत की दिशा में फर्श पर चला जा रहा था।

बूढ़े हांग चाउ ने उँगलियाँ बजायीं और उसकी पीली उँगलियों ने टेबल के सिरे को कसकर पकड़ा और अधिक ध्यान से तस्वीर की तरफ देखने लगा।

"बेवकूफ है बेचारा!" उसने चीनी में कहा। "बेवकूफ!

वह वही शख्स था जो श्री इस्सक के परिचय से आया था - नया बहरूपिया जो उसे लूटना चाहता था, उसकी बेटी से उसके बारे में जानकारी लेना चाहता था, जिसने कल रात घर की ख़ाक छानी थी और ऊपर तक भी पहुंचा था जिससे बूढा हुआंग चाउ उपकरण बंद करने को मजबूर हो गया था तथा ऐसे दर्शा रहा था जैसे सोया हुआ हो जबकि आगंतुक उसके सर पर था।

आज इसका उल्टा होगा। आज इसका उल्टा होगा।

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