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Rewind ज़िंदगी - Chapter-7.1: जुदाई फिर से

माधव को जीत की ख़ुशी से ज़्यादा इस बात की ख़ुशी थी कि उसका प्यार उसे वापस मिल गया था। उसे यह सोच कर अच्छा लगा कि उसका प्यार सच्चा था जो एक बार गया तो मुड़ कर वापस भी आ गया। शो में फाइनल के विजेता घोषित होते ही माधव और कीर्ति के ख़ुशी का ठिकाना ना रहा। दोनों ने एक दूसरे को गले लगाया। सब ने उन दोनों को शुभकामनाएं दी। माधव ने इसी ख़ुशी के मौके पर कीर्ति को कहा, “हमें इस ख़ुशी को मनाने के लिए एक पार्टी रखनी चाहिए, तुम्हारा क्या कहना है?”

“हां, क्यों नहीं! पार्टी रखते है।”

सारी जगह माधव और कीर्ति के नाम के ही चर्चे थे। मीडिया, न्यूज़ चैनल, अखबार सभी पर दोनों ही छाए हुए थे। कुछ दिनों बाद एक होटल में माधव ने एक पार्टी ऑर्गनाइज की। सारे दोस्तों और रिश्तेदारों को बुलाया गया। माधव ने कीर्ति के घरवालों को भी बुलाने के लिए कहा, पर कीर्ति ने साफ मना कर दिया। माधव का विचार था कि उन सब के सामने ही कीर्ति को प्रपोज करें और उसका हाथ मांग ले।

माधव ने मन ही मन में सोचा, “कोई बात नहीं पर पूरी दुनिया के सामने तो मैं अपने प्यार का इज़हार कर ही लूंगा, घरवालों से बाद में बातचीत हो जाएगी।”

माधव ने इस मामले में अरुण की भी राय ली, और उसको भी पार्टी में बुलाया पर किसी कारणवश अरुण पार्टी में नहीं आ पाया। पर उसने माधव को शो के विजेता बनने की और कीर्ति के साथ आगे की ज़िंदगी बिताने के लिए शुभकामनाएं दी। माधव ने पार्टी के लिए सारी तैयारी कर रखी थी। उसने डायमंड रिंग और गुलाब का फूल और बहुत सारी तैयारियां कर रखी थी। बस उसे इंतज़ार था तो बस कीर्ति के हां कहने का।

पार्टी वाली शाम को माधव बहुत ही नर्वस था। पार्टी में कुछ गड़बड़ ना हो जाए इस मकसद से उसने कीर्ति को कॉल किया पर उसने कॉल रिसीव नहीं किया। माधव की बेचैनी और बढ़ने लगी। उसने सोचा क्यों ना कीर्ति को अभी सब कुछ बता दे, वैसे भी उसे सरप्राइज पसंद नहीं है। इसी मकसद से वो कीर्ति के घर बिना उसे इन्फॉर्म किए पहुंच गया।

वो उसके कमरे में दाखिल होने ही वाला था कि अचानक उसे अंदर से आवाज़ सुनाई दी। वो आवाज़ कीर्ति की थी।
“नहीं अजित, पागल हो गए हो क्या? मैं और माधव से शादी करूंगी? बिलकुल नहीं। मैं तुमसे प्यार करती हूं तो शादी उससे कैसे कर सकती हूं।”

माधव के पैरो तले से ज़मीन सरक गई। उसे ऐसा झटका लगा कि उसे 2 मिनिट लगे ख़ुद को संभालने में।

“अजित, तुझे मुझ पर विश्वास नहीं है क्या? मैंने बोला ना शादी तुझ ही से करूंगी। पहली नज़र से मुझे तू पसंद है। हां मैं जानती हूं तेरे प्यार को समझने में मुझे ही देर हो गई और इसके लिए मैं तेरी माफ़ी भी मांग चुकी हूं। चल अभी फ़ोन रखती हूं, माधव की पार्टी में भी तो जाना है, वहां तुझसे भी मिल लुंगी। बाय, लव यू।” कीर्ति ने कहा।

माधव बाहर खड़ा सब सुन रहा था, उसने दरवाजे पर दस्तक दी।
“कौन है?”
“माधव…!”
“आ जाओ।”
माधव कमरे के अंदर गया, और कीर्ति से पूछा,
“ऐसा क्यों किया?”
“मैंने क्या किया?” कीर्ति ने कहा।
“जब प्यार तुम अजित से करती थी तो फिर मुझे क्यों इस धोखे में रखा कि तुम मुझसे प्यार करती हो।”
“ओह! तू तुमने हमारी बात सुन ली?”
“हां, ख़ैरियत है कि तुमने अजित से फ़ोन पर बात की, अगर इस वक़्त अजित मेरे सामने होता तो उसकी हड्डी पसली एक कर देता।”
“तुम? और अजित की हड्डी पसली एक कर देते? कभी आईने में शक्ल देखी है अपनी? औकात ही क्या है तेरी अजित के सामने? अजित ने तुझे वापस से मौका देकर स्टार बनाया है, तू उसे उसकी औकात क्या बताएगा?”
“कहना क्या चाहती हो?”
“अभी तक नहीं समझा तू? तो सुन ले और समझ भी ले, मैंने कभी तुझसे प्यार किया ही नहीं था। पहले मुझे लगा था तू एक समझदार इंसान है और तेरे साथ लाइफ अच्छे से गुजर जाएगी। पर तू तो सब कुछ छोड़ कर मेरे पीछे ही पड़ गया था। जब तक तू स्टार था मैं तेरे साथ थी। जैसे ही तेरी स्टारडम छिनती गई मैं भी तुझसे दूर होती गई।”
“तो मेरे ज़िंदगी के इतने साल तूने क्यों बर्बाद किए? अगर तुझे मुझसे नहीं मेरे पैसो से ही प्यार था तो पहले ही बोल देती। मुझे धोखे में क्यों रखा?”
“मुझे लगा तू ख़ुद ही समझ जाएगा, पर तू प्यार में इतना अंधा हो चुका था कि तुझे कुछ दिखाई या सुनाई ही नहीं देता था। तुझे छोड़ने के बाद मेरा सामना अजित से हुआ, वो मुझसे सुरवंदना के समय से ही इकतरफा प्यार करता था, पर मैं ही उसके प्यार को समझ नहीं पाई। उसने अपनी मेहनत से जो मुकाम हासिल किया उस मुकाम तक तू कभी नहीं पहुंच पाएगा ये मैं जानती थी। वो मुझे तो चाहता ही था पर उसे अपने शो को भी हिट करना था इसीलिए उसने हम दोनों की जोड़ी बनाई, क्योंकि दुनिया वालो को ऐसा ही भ्रम था कि हम दोनों अब भी प्यार में है। उसी का फ़ायदा उठाते हुए उसने शो की T.R.P. के लिए हम दोनों की जोड़ी चुनी। मुझे क्या पता था कि तू अब भी मुझको उतना ही चाहता होगा। तेरी वज़ह से मेरी कैरियर की और इस शो की वाट लग रही थी। इसका हल भी अजित ने ही निकाला। उसने मुझे तुझसे प्यार का नाटक करने के लिए कहा और मैंने भी बिलकुल ऐसा किया। अब नतीजा तेरे सामने है। शो भी हिट गया, मैं भी हिट हुई, अजित से मेरी नजदीकियां भी बढ़ गई। हर मायने में मैं जीत गई।”


Chapter 7.2 will be continued soon…

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✍️ Anil Patel (Bunny)