Rewind Jindagi 10 books and stories free download online pdf in Hindi

Rewind ज़िंदगी - Chapter-10: Rewind ज़िंदगी

दूसरे दिन सुबह उठते ही दोनों को ऐसा लगा कि जैसे एक नई दुनिया में आ गए है।
“माधव, तुम्हारे लिए चाय बना दूं?” कीर्ति ने पूछा।
“नहीं, मैं चाय नहीं पीता। तुम्हें पीनी हो तो बोलो मैं बना देता हूं।”
“मुझे भी नहीं पीनी।”
कुछ देर दोनों मौन रहे। दोनों के लिए एक नया ही माहौल था। वैसे तो दोनों एक दूसरे को अच्छे से जानते थे पर इतने सालों के बाद भी दोनों अजनबी थे। कुछ देर बाद माधव ने ही सन्नाटा भंग किया और कहा,
“कल मैं जज्बाती हो गया था। कुछ सूझ नहीं रहा था इसीलिए तेरी बांहों में पनाह ले ली।”
“कोई बात नहीं। तुम माधवी को बहुत मिस कर रहे होंगे ना इसीलिए मैं समझ सकती हूं।”
“ये क्या तुम तुम लगा रखा है? तू कर के बात कर, दो अजनबी की तरह हम दोनों क्यों बात कर रहे है?” माधव ने कहा।
“ठीक है बाबा। जैसी तेरी मर्जी!”
“माधवी की बहुत याद आ रही है, इतने साल हम साथ थे तो उसकी कमी कभी महसूस ही नहीं हुई।”
“समझ सकती हूं, पर होनी को कोई नहीं टाल सकता। कभी कभी लगता है काश हम अपना पुराना वक़्त बदल पाते। काश कुछ लम्हे हम उनके साथ बिता पाते जिनके साथ हम बिताना चाहते थे। काश अपनी की हुई गलती सुधार पाते। काश ज़िंदगी में भी कोई Rewind बटन होता तो जब चाहे तब अपने हसीन पल को दोहरा लेते और पुरानी भूलो को सुधार भी लेते। गुजरे हुए लोगों से मिल भी लेते। ज़िंदगी पर बस अपना ही कंट्रोल होता तो कैसा होता ना?” कीर्ति ने कहा।
“हम कुछ भी कर ले पर मरे हुए लोग वापस नहीं आते। हम उनसे कितना भी प्यार क्यों ना करते हो।” माधव ने कहा।
“सच कहा तूने!” कीर्ति ने कहा।
कुछ पल दोनों शांत रहे, उसके पश्चात माधव ने एक दम से कीर्ति की ओर देखा। कीर्ति भी चौंक गई उसने पूछा,
“क्या हुआ? एक दम से ऐसे क्यों देख रहा है?”
“ज़िंदगी सब को दूसरा मौका नहीं देती पर कुदरत ने हम दोनों को ये मौका दिया है तो इसकी कोई ना कोई वज़ह जरूर होगी। तूने सच कहा कि काश हमारी ज़िंदगी में भी Rewind बटन होता तो हम लाइफ को जिस मोड़ पर जाना चाहते उस मोड़ पर जा सकते थे। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि हमारी ज़िंदगी हमारे ही कंट्रोल में है। देखा जाए तो हम कभी भी किसी भी वक़्त ज़िंदगी को Rewind कर ही सकते है।” माधव ने उत्साहित होते हुए कहा।
“कहना क्या चाहता है? कुछ समझ में नहीं आ रहा।” कीर्ति ने कहा।
“हम चाहे तो अपनी ज़िंदगी अपने मन मुताबिक जी सकते है। क्यों हम अपनी आने वाली ज़िंदगी ये बोझ ले कर जीए की हम वो ज़िंदगी नहीं जी पाए जो ज़िंदगी हम जीना चाहते थे! हम अपनी ज़िंदगी अभी भी अपनी मर्जी से जी सकते है। जिन पलो को हमने गंवाया है वो पल वापस तो नहीं आ सकता पर आने वाली ज़िंदगी इस अफ़सोस के साथ जीए इससे तो अच्छा है कि हम लोग वो ज़िंदगी जीए जिसे हम जीना चाहते थे।” माधव ने कहा।
“माफ करना मैं अभी भी नहीं समझ पाई! तू क्या कहना चाहता है?”
“मैं सिर्फ ये कहना चाहता हूं कि,
खुशियों का दामन छोड़ कर क्यों चुनते हम दर्द को,
फिर करते हम खुशियों के लिए खुदा से बंदगी,
ज़िंदगी का कंट्रोल होता है हंमेशा अपने हाथ में,
आ दोनों मिल के कर ले थोड़ी सी Rewind ज़िंदगी।”
“मतलब?”
“मतलब ये की हमने अपनी ज़िंदगी में जो जो गलती की है उन गलती को सुधार ले, जिससे माफ़ी मांगनी थी उससे माफ़ी मांग ले, जिससे प्यार करना था उससे प्यार कर ले, जिससे नफरत करनी थी उससे नफरत कर ले। हम क्यों ये बोझ ले कर भगवान के पास जाए कि हमें जो करना था, हमें जैसी ज़िंदगी जीनी थी वो हम नहीं जी पाए? अब समझ आ रहा है?” माधव ने पूछा।
“हां अब थोड़ा सा समझ आ रहा है, पर ये आईडिया फ्लॉप है तेरा, हम वो कभी नहीं कर पाएंगे जो हम करना चाहते थे।” कीर्ति ने कहा।
“हम एक लिस्ट बनाते है। तू अपनी लिस्ट बना मैं मेरी बनाता हूं। फिर देखते है हम क्या कर सकते है क्या नहीं!” माधव ने कहा।
“तू सीरियस है?”
“100% सीरियस। मैं अपनी ज़िंदगी के आखिरी पल अफ़सोस के साथ नहीं बिताना चाहता।”
“मैं भी। चल लिस्ट बनाते है।” कीर्ति ने कहा।
दोनों लिस्ट बनाने बैठे आधे घंटे बाद दोनों ने नाश्ता किया फिर इधर उधर की बात की, फिर से दोनों लिस्ट बनाने बैठ गए। पूरे दो दिन लगे उन दोनों को लिस्ट बनाने में।
“मैंने तुझे कहा था लिस्ट बनानी है, पर वो बकेट लिस्ट (अपनी इच्छाओं की लिस्ट जिसे आप मरने से पहले पूरा करना चाहते हो) जैसी नहीं बनानी थी।” माधव ने कहा।
“तो मुझे जो समझ में आया वो मैंने बनाई। जैसा तूने कहा था वैसा ही तो किया।”
“चल कोई बात नहीं। सारी लिस्ट कंप्लीट है? कुछ बाकी तो नहीं रह गया ना?”
“नहीं। बिलकुल नहीं।”
“अब हम एक-एक कर के एक दूसरे की लिस्ट को देखेंगे और वो पूरा कर सकते है या नहीं वो सोचेंगे फिर उसको Rewind कर के कैसे अपनी ज़िंदगी से जोड़ना है ये फैसला लेंगे। डन?”
“डन!”
“तो कल से शुरू करते है। अभी के लिए गुड नाइट।”
“शुभ रात्रि!” कीर्ति ने कहा और दोनों सो गए।
दूसरे दिन उठते ही दोनों लिस्ट देखने लगे। कीर्ति ने माधव की लिस्ट चेक की और माधव ने कीर्ति की लिस्ट चेक की। लिस्ट बहुत लंबी थी इसीलिए टाइम तो लगना ही था। लिस्ट को देखते देखते और उनमें से क्या क्या हो सकता है और क्या क्या नहीं हो सकता ये सब शॉर्ट लिस्ट किया गया। अब वक़्त था उस लिस्ट की सारी चीज़ों को Rewind करने का।
“कल से शुरू करें?” माधव ने पूछा।
“आज से।” कीर्ति ने कहा।
“ये हुई ना बात! तो क्या करना है?”
“मुझे उस ट्यूशन टीचर, संगीत गुरु और उस दूर के चाचा को सब लोगों के सामने थप्पड़ मारनी है। जब से मुझे मालूम हुआ कि उन लोगों ने मेरे साथ क्या किया है तब से उन लोगों को मारने की ख्वाहिश थी।”
“तो फिर चलो काम पे लग जाते है।”
बस फिर क्या था। अपनी लिस्ट को ख़त्म करने और ज़िंदगी को Rewind करने 50 साल के दो जवान दोस्त निकल लिए थे।
कीर्ति और माधव दोनों उन तीनों की तलाश में चल दिये। कहते है ढूंढने से भगवान भी मिल जाते है तो ये तीनों तो शैतान थे।
ट्यूशन टीचर अब 70 साल का हो चुका था वो अपनी फैमिली के साथ ही रहता था। कीर्ति और माधव दोनों उसके घर पहुंचे, थोड़ी बहुत जान पहचान के बाद दोनों वहां पर बैठे तभी वो ट्यूशन टीचर व्हीलचेयर पर आया। माधव ने कीर्ति को देखा और कीर्ति ने माधव को।
“मैं आप से मिलने के लिए बेताब थी, आपने पहचाना मुझे?” कीर्ति ने कहा।
“नहीं बेटी!” टीचर ने कहा।
“बेटी?” ये कहकर कीर्ति ने उस टीचर के गाल पर 2-3 थप्पड़ रसीद कर दिए।
सभी मौजूद लोग ये देखकर हैरान हो गए और कीर्ति को भला बुरा कहने लगे। कीर्ति को उससे कोई फर्क नहीं पड़ता था उसने जो करना था वो कर लिया था।
“ये थप्पड़ मैंने इसको क्यों मारा ये इसी हैवान से पूछ लेना। इसको मेरा पूरा नाम बता देना, कीर्ति जैन। वो समझ जाएगा और अगर ना भी समझे तो अब समझने और समझाने के लिए इसके पास उम्र ही कितनी है?” कीर्ति ने इतना कहा फिर वहां से चल दी। उसे और काम जो करने थे।
उसके बाद संगीत गुरु और दूर का चाचा उन सब को भी मारने जाना था पर पता चला वो दोनों इस दुनिया में है ही नहीं। उनको मरे हुए कई साल हो चुके थे।
“अच्छा है, भगवान ने ही उन सब को अपनी तरफ से सजा दे दी।” कीर्ति ने कहा।
“तो फिर इस एक बुड्ढे ट्यूशन टीचर को क्यों सजा नहीं दी भगवान ने?” माधव ने कहा।
“क्योंकि भगवान चाहते थे कि मेरे दिल दिमाग में जो इतने सालों से भरा पड़ा था उसकी सारी भड़ास निकाल दूं। अब अपने आप को हल्का महसूस कर रही हूं।”
“अब खुश?” माधव ने कहा।
“बहुत खुश!”
“तो चल अभी बहुत सारा काम बाकी है, अभी तो हमने शुरुआत की है।”
“थैंक्स माधव!”
“वो किस लिए?”
“तुझे नहीं पता मुझे कितना अच्छा फील हो रहा है, जैसे सर से एक बोझ कम हो गया हो ऐसा लग रहा है।”
“थैंक्स की जरूरत नहीं है, एक दोस्त दूसरे दोस्त के इतना तो काम आ ही सकता है।”
“हां, और तेरा आईडिया फ्लॉप नहीं सुपर हिट है। वाकई में ज़िंदगी को Rewind कर के जीने में बहुत अच्छा लग रहा है।”
“अभी तो शुरुआत है कीर्ति तू बस देखती जा आगे आगे क्या होता है!”
बस फिर क्या था दोनों एक के बाद एक, एक दूसरे की ज़िंदगी के पुराने पन्ने खोलने लगे और उसमें की हुई गलतियां सुधारने लगे और बाकी रही ख्वाहिशें भी पूरी करने लगे। एक दिन दोनों ये देखने बैठे की उन्होंने कितनी लिस्ट कंप्लीट कर ली है।
“तो मेरी लिस्ट जो मैंने अब तक ख़त्म कर ली है वो कुछ इस तरह से है।”

माधव की (डन) लिस्ट

-अपने सारे कर्जदारों को फ़ोन कर के थैंक यू कहना, उनकी वज़ह से मुझे पैसा कमाने की राह मिली। - डन
-अपनी माँ जो अब इस दुनिया में नहीं है उन से खुल कर बात करना। (मन ही मन में) - डन
-जब भी वक़्त मिले तो अरुण को दिल से थैंक यू बोलना। उसके जैसा कोई दोस्त ना ही था और ना कोई और हो सकता है। - डन
-उस स्कूल में जहां मैं बांसुरी बजाना सिखाता था वहां के लोगों से एक बार मिलना। क्योंकि वही से मेरी आमदनी शुरू हुई थी। - डन
-उन ऑर्केस्ट्रा वालो से मिलना जहां मैं गाना गाया करता था। - डन
-बॉलीवुड और सभी जान पहचान वाले लोग जिन्होंने मेरी मदद की है उन सभी को तहे दिल से शुक्रिया अदा करना। - डन
-कीर्ति का घर बेच के उसे अपने घर बुला लेना – डन
-माधवी की याद में एक चेरिटेबल ट्रस्ट शुरू करना। ताकि किसी जरूरतमंद लोगों के साथ कुछ बुरा ना हो। - डन

“इतनी लिस्ट कंप्लीट है मेरी।” माधव ने कहा।
“वाह! हमने इतने कम समय में बहुत कुछ कर लिया।” कीर्ति ने कहा।
“चल अब तू अपनी लिस्ट चेक कर और बता कितना कंप्लीट हुआ है हमारा काम?”

कीर्ति की (डन) लिस्ट

-संगीत गुरु, ट्यूशन टीचर, दूर का चाचा, राघव इन सब को उनके किए की सजा मिले। उसके लिए उन लोगों को ढूंढ कर थप्पड़ भी मारना पड़े तो ठीक है। - डन
-भोपाल के रिश्तेदारों से मिल कर उनका शुक्रिया अदा करना। - डन
-उस गुरु को शत शत नमन (अगर वो अब भी जिंदा हो तो) जिन्होंने मुझे गायकी क्षेत्र में जाने की सलाह दी। - डन
-उन सभी का शुक्रिया अदा करना जिन्होंने मेरे बुरे वक़्त में मेरा साथ दिया जैसे कि, पेइंग गेस्ट की एक सहेली, शराब की लत छुड़वाने वाले डॉक्टर, वगैरह, वगैरह। - डन
-अपने माँ-बाप (जो अब इस दुनिया में नहीं है) और भाई को दिल से माफ कर देना क्योंकि वो मुझे समझ नहीं पाए उसकी सज़ा मैं उन्हें क्यों दूं? ये सभी मुझसे बहुत प्यार करते थे बस यही मायने रखता है। - डन
“तो मेरी इतनी लिस्ट कंप्लीट हुई है, अभी भी बहुत कुछ बाकी है। खास कर के सुरवंदना संगीत वालो को मुझे शुक्रिया कहना है उन लोगों ने हमें ये मौका दिया।” कीर्ति ने कहा।
“हां मुझे भी उन लोगों को शुक्रिया अदा करना है। दूसरी बात ये कि हम दोनों पहली बार वहीं पर मिले थे तो क्यों ना उस पल को फिर से जीया जाए? माधव ने कहा।
“हां। ये भी है मेरे लिस्ट में। तेरे साथ मैंने जो भी ग़लत किया है उसे सुधार लिया जाए या उसकी माफ़ी मांग ली जाए।”
“तो माफ़ी मत मांगना, क्योंकि मेरी भी ऐसी ही ख्वाहिश है कि जो मैंने तेरे साथ किया और तेरे संग जो ज़िंदगी जीया उसको फिर से जी जाए।”
“तो कब चलना है सुरवंदना?” कीर्ति ने पूछा और माधव ने जवाब में हल्की सी मुस्कान के साथ कीर्ति को देखा और कहा, “आज और अभी।”
दोनों सुरवंदना संगीत गए वहां के लोगों से मिले और रमेश जी तो अब जिंदा नहीं थे पर उनकी तस्वीर के सामने दोनों ने अपना मस्तिष्क झुका दिया। कुछ देर इधर उधर घूमने के बाद उन्हें वो जगह मिली जहां दोनों पहली बार मिले थे। माधव और कीर्ति दोनों ही अपनी पुरानी यादों में खो गए। होश में आए तो सोचा कि क्यों ना पुरानी यादों को अपनी नई यादें बनाए। दोनों ने बिलकुल वैसा ही किया।
“पेन देंगे?” कीर्ति ने पूछा
“जी मेडम ये लीजिए।” माधव ने कहा और पेन दे दिया।
“आप बहुत अच्छे है। थैंक यू पेन के लिए!” कीर्ति ने कहा।
दोनों जोर से हँसने लगे उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि ये पल उन दोनों को फिर से जीने को मिलेंगे। धीरे धीरे वो फिर से एक दूसरे को प्यार करने लगें और एक नए जोड़े की तरह छुप छुप कर मिलने लगे, बिलकुल पुराने दिनों की तरह, Rewind कर के जीने का मजा ही कुछ और था दोनों के लिए, पर अब की बार माधव कीर्ति से शादी के लिए बात नहीं करता था। ऐसे ही मुलाकातों में और बातों ही बातों में माधव और कीर्ति के बीच ये तय हुआ कि अब तो उनकी लिस्ट ख़त्म हो चुकी थी तो अब क्या करें?
“हमने जो लिस्ट लिखी थी वो ख़त्म हुई है, पर हमारे दिल और दिमाग में बहुत सारी ख्वाहिशें है जो पूरी करनी बाकी है।” माधव ने कहा।
“ऐसी क्या ख्वाहिशें है?” कीर्ति ने कहा।
“बुरा तो नहीं मानेगी?” माधव ने पूछा।
“नहीं मानूंगी।”
“मेरी हंमेशा से ये ख्वाहिश थी कि मेरी कोई संतान हो, बॉलीवुड में गाने गाए और खूब पैसे कमाए पर अब इस उम्र में वो सब नहीं कर सकता ये सब पैसा किस काम का? मुझे परिवार का सुख कभी नहीं मिल पाया। माधवी ने और मैंने बहुत कोशिश की पर हम सफल नहीं हो पाए।” माधव ने कहा।
“तुम लोगों ने I.V.F. के लिए ट्राय नहीं किया?”
“नहीं! क्योंकि उस समय में ये तकनीक नहीं थी, और जब तक ये तकनीक आई तब तक देर हो चुकी थी। माधवी को थाइरोइड की प्रॉब्लम शुरू हो चुकी थी।”
“तो अब क्या कर सकते है?”
“क्या हम दोनों I.V.F. के लिए ट्राय कर सकते है?” माधव ने पूछा और इस डर के साथ कीर्ति को देखने लगा कि कहीं उसे बुरा ना लग जाए।
“हां। क्यों नहीं! I.V.F. करने के लिए हम दोनों की बॉडी संपर्क में आए ये जरूरी नहीं है। तो इसके लिए मुझे कोई दिक्कत पेश नहीं आएगी।” कीर्ति ने कहा।
“तू सच कह रही है? मुझे तो लगा कहीं तू बुरा ना मान जाए।”
“ये ख्वाहिश तो मेरी भी थी कि मेरी कोई औलाद हो पर अपने अतीत के डर से मैंने किसी को अपने पास आने ही नहीं दिया। पर अब ज़माना बदल गया है। अब हम इस तकनीक के हम ये कर सकते है।”
“तू मानेगी नहीं मैं कितना खुश हूं। तो ये तय रहा हम I.V.F. के लिए ट्राय करेंगे।”
“हां। पर उससे पहले एक चीज़ और है।” कीर्ति ने कहा।
“वो क्या?”
“मुझे ऋषिकेश दर्शन करने जाना है, और वहीं से कुछ दूरी पर एडवेंचर स्पोर्ट्स होते है, उसमें हिस्सा लेना है।” कीर्ति ने कहा।
“ऋषिकेश दर्शन तो समझ में आता है, पर एडवेंचर?”
“मैं बहुत ही डरपोक हूं और कई लोगों ने मुझे ये बार बार मुझे एहसास भी कराया है। दूसरों की परवाह नहीं है पर मरने से पहले मैं अपने आप को ये साबित करना चाहती हूं कि मैं डरपोक नहीं हूं। बस इतना समझ ले कि ये उन लिस्ट में से एक है जो मैंने लिखी नहीं थी। तुझे भी तो ये करना था, भूल गया क्या?”
माधव ने कुछ नहीं कहा बस कीर्ति को देखता रह गया फिर बोला “तुझे अभी भी ये याद है?” कीर्ति का ये नया अवतार देख कर माधव भी खुश था और इस बदलाव से कीर्ति भी खुश थी।
उन्होंने इंटरनेट पर रिसर्च किया और मोहन चट्टी, जहां पर एडवेंचर स्पोर्ट्स होते है वहां जाने के लिए इंतज़ाम कर लिया। दोनों पहले ऋषिकेश गए। वहां पर मंदिर में दर्शन किया, प्रसाद लिया और आगे जो वो दोनों करने जाने वाले थे इसके लिए भगवान से भरपूर हिम्मत मांगी। फिर वो दोनों मोहन चट्टी के लिए रवाना हो गए।

वर्तमान दिन,

दोनों तैयार थे, बंजी जंपिंग के लिए।
“अगर हमें कुछ हो गया तो?” कीर्ति ने कहा।
“कुछ नहीं होगा। बस ये सोच की अगर हमें कुछ नहीं हुआ तो आगे हम क्या क्या करेंगे?”
“मुझे तो बस ऊंचाई से डर लगता है, अगर ये मैं पार कर गई तो बाकी सारे स्पोर्ट्स जो यहां पर होते है वो ट्राय करेंगे। उसके बाद I.V.F. की सारी प्रोसीजर करेंगे।”
“पक्का?”
“हां!”
“तो अपनी आँखें बंद कर ले और अपनी ज़िंदगी को Rewind….”
“नहीं!” कीर्ति ने माधव की बात को बीच से ही काटते हुए कहा, “मैं ये अपने खुली आँखों से देखना चाहती हूं। अपने डर को ख़त्म करना चाहती हूं। पुरानी यादों के साथ नहीं अपने आने वाले भविष्य के साथ ये डर ख़त्म करना चाहती हूं और मेरा भविष्य तू है, माधव। सिर्फ तू!”
“आई लव यू, कीर्ति!”
“आई लव यू टू, माधव!”
3… 2… 1… जम्प!
दोनों ने जम्प लगाई अपनी खुली आँखों से और भरपूर चीख के साथ। दोनों को अब कोई डर नहीं था। उन दोनों को देख कर कोई जवान भी शर्म के मारे डूब जाए ऐसी उन दोनों की केमिस्ट्री थी। ये उन दोनों की ज़िंदगी का बेस्ट पल था। दोनों सारी पुरानी बातों को उसी गहराई में छोड़ आए जिनका कोई वजूद नहीं था। अब इंतज़ार कर रहा था बस उनका आने वाला भविष्य।
दोनों ने अच्छे से बंजी जंपिंग की और अब कीर्ति को कोई डर नहीं था मन में। लोगों ने भी तालियां और सीटियां बजा के दोनों की हिम्मत की हौसला अफजाई की। सभी ने दोनों की जोड़ी की भी तारीफ़ की। उसके बाद दोनों ने रिवर राफ्टिंग, ट्रैकिंग, कैंपिंग, इत्यादि स्पोर्ट्स में हिस्सा लिया और खूब एन्जॉय किया। दुनिया की उनको कोई परवाह नहीं थी। माधव और कीर्ति की ये सबसे हसीन यादें थी।



Last Chapter will be continued soon…

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✍️ Anil Patel (Bunny)