Rewind Jindagi - 8.1 books and stories free download online pdf in Hindi

Rewind ज़िंदगी - Chapter-8.1: पुनर्मिलन फिर से

देखते ही देखते 15 साल बीत गए। इन सालों में माधव को कोई संतान नहीं हो सकी क्योंकि माधवी को थाइरोइड की प्रॉब्लम हो गई थी। उसकी वज़ह से माधव के यहां किसी बच्चे की किलकारीं नहीं सुनाई दी। उसने पैसे पानी की तरह बहा दिए पर माधवी का इलाज नहीं हो पाया, उलटा माधवी की तकलीफें और बढ़ने लगी। माधव ने भी सोच लिया कि बच्चे से ज़्यादा माधवी की तबीयत ज़्यादा जरूरी है। उसकी सासु का शादी के कुछ साल बाद ही देहांत हो गया था। माधवी के छोटे भाई को माधव ने पढ़ने के लिए विदेश भेजा था। वो पढ़ लिख कर वहीं पर सेटल हो गया था।

एक बार रूटीन चेक अप के लिए माधव और माधवी हॉस्पिटल गए, और निदान के बाद ये पता चला कि माधवी को हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज की वज़ह से हार्ट में पम्पिंग अच्छे से नहीं हो पा रही थी। अब माधवी के पास ज़्यादा वक़्त नहीं था। ज़्यादा से ज़्यादा वो 6 महीने जी सकती थी। कभी भी माधवी का हार्ट फैल हो सकता था। यह सुनते ही माधव के पैरो तले से ज़मीन सरक गई।

“इसका कोई इलाज नहीं है, डॉक्टर? कैसे भी कर के हम माधवी को बचा नहीं सकते?” माधव ने डॉक्टर से गिड़गिड़ाते हुए कहा।
“नहीं, माधव जी। माधवी जी का थाइरोइड कंट्रोल में नहीं आया उसकी वज़ह से उनको दूसरी सारी दिक्कतें आ गई। अब हालात ऐसे है कि उनको किसी भी तरीके से जिंदा रख पाना नामुमकिन हो गया है। ज़्यादा से ज़्यादा 6 महीने। जिस तरह से उनका हार्ट पम्पिंग कर रहा है, उसके चलते इनको कभी भी हार्ट फेलियर हो सकता है।”

माधव पूरी तरह से टूट गया, इतना सारा पैसा भी उसकी कोई मदद नहीं कर सकता था। कहीं ना कहीं माधव और माधवी से लापरवाही हुई थी जिसकी इतनी बड़ी सजा दोनों को मिलने जा रही थी। माधवी के आँखों में आंसू थे पर वो माधव को हिम्मत दे रही थी। डॉक्टर ने फिर भी माधवी को अपना ध्यान रखने को कहा। ज़्यादा टेंशन ना लेने को कहा। माधव ने भी माधवी का पूरी तरह से ध्यान देने का आश्वासन दिया। वो लोग हॉस्पिटल से बाहर निकल ही रहे थे कि सामने उन दोनों को एक चेहरा दिखाई दिया। वो चेहरा कुछ जाना पहचाना था पर वो चेहरा उम्र की वज़ह से थोड़ा सा मुरझा गया था। जैसे ही वो चेहरा नजदीक आया माधव और माधवी दोनों उसे पहचान गए। वो और कोई नहीं कीर्ति थी।

“अरे कीर्ति तुम यहां पर?” माधवी ने पूछा, माधव कीर्ति को देख कर भी अनदेखा कर रहा था।
“बस मैं यहां पर अपना चेक अप कराने के लिए आई थी।” कीर्ति ने कहा।
“क्यों क्या हुआ तुम्हें?”
“कुछ नहीं। थोड़ा सा पेट दर्द है, उल्टियां हो रही थी सो मैंने सोचा डॉक्टर से चेक अप करवा लूं। आप दोनों यहां पर?”
“हमें देर हो रही है, माधवी। घर चले? वैसे भी मुझे फालतू लोगों के मुंह नहीं लगना है।” माधव ने बीच में टोकते हुए कहा।
इतना कहकर दोनों वहां से चले गए। कीर्ति भी अपने चेक अप के लिए हॉस्पिटल के अंदर गई, जहां एक बुरी खबर उसका भी इंतज़ार कर रही थी।
“आपके सारे रिपोर्ट्स देखने के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे है कि आप का लिवर पूरी तरह से डेमेज हो गया है। आप लिवर डेमेज के स्टेज 4 तक आ पहुंची है, जहां आपका इलाज हो पाना लगभग नामुमकिन है। फिर भी हम उम्मीद रखते है कि आप लिवर ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन करवाए इससे आपके बचने के चांसिस 25% बढ़ जाएंगे।”
“मुझे कोई ऑपरेशन नहीं करवाना डॉक्टर बस आप मुझे ये बता दीजिए कि मेरे पास कितना वक़्त बचा है?”
“बिना ऑपरेशन के आपके बचने की संभावना बिलकुल ही कम है। इससे आप ज़्यादा से ज़्यादा 6 महीने अंदाजन जी पाएंगी। हमें अफ़सोस है कीर्ति जी पर इस मामले में हम आपकी इतनी ही सहायता कर सकते है, और आपसे गुजारिश करेंगे कि आप अपना लिवर ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन करवा लें। तब ही कोई उम्मीद बचेगी आपके पास।”
“थैंक यू!” कीर्ति इतना कहकर वहां से चली गई।

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“तुम उसकी बात क्यों कर रही हो? हमें इस वक़्त अपने बारे में सोचना चाहिए। तुम्हें इस वक़्त अपने से ज़्यादा उस कीर्ति का ध्यान क्यों आ रहा है?” माधव ने माधवी से पूछा।
“मेरे पास वक़्त कम है माधव मैं सोच रही थी मेरे बाद तुम्हारा ध्यान कौन रखेगा?”
“पागल हो गई हो? मैं अपना ध्यान ख़ुद रख सकता हूं, और पहली बात ये की तुम कहीं नहीं जा रही हो। मैं तुम्हें कुछ होने नहीं दूंगा।”
“शायद तुम भूल गए डॉक्टर ने क्या कहा! अब मेरे बचने का कोई चांस ही नहीं है।”
“डॉक्टर है वो, भगवान नहीं। डॉक्टरों का काम होता है पेशेंट को डराकर उनसे पैसे वसूल करना। हम किसी और डॉक्टर को दिखाएंगे। इससे भी बड़े डॉक्टर को।”
“हम जिस डॉक्टर के पास जा रहे है वो इस शहर का सबसे नामी डॉक्टर है, अब उसके ऊपर कौन है?”
“दूसरे शहर जाएंगे, वहां पर किसी को दिखाएंगे। अगर दूसरे देश भी बताना पड़ा तो वो भी करेंगे। तुम बस हार मत मानो। इसके बारे में ज़्यादा मत सोचो।”
“क्यों अपने आप को और मुझे धोखा दे रहे हो? हम और तुम दोनों जानते है कि मेरा अंजाम क्या होना है फिर क्यों इसे स्वीकार नहीं कर रहे हो?” माधवी ने कहा।
माधव कुछ बोल न सका बस उसकी आँखों से अश्रु धारा बहने लगी। वो ख़ुद को रोक ही नहीं पा रहा था। माधवी ने उसे दिलासा देते हुए कहा,
“वादा करो तुम मेरे जाने के बाद कीर्ति से शादी कर लोगे, मेरे बाद कोई तो होना चाहिए तुम्हारा ध्यान रखने वाला।”
“मुझे उस औरत का नाम भी नहीं सुनना तुम जानती नहीं उसने मेरे साथ क्या किया है। वो मेरे प्यार के तो क्या मेरे नफरत के भी काबिल नहीं है।”
“ऐसा क्या कर दिया था उसने? जहां तक मुझे याद है तुम दोनों एक दूसरे को प्यार करते थे। मैंने जब भी उस के बारे में कुछ पूछना चाहा, तब तब तुम बात का रुख ही मोड़ देते थे और मेरी बात को टाल देते थे। आज सच सच बताओ कि तुम दोनों के बीच ऐसा क्या हो गया था?”
“जाने दो मुझे इस बारे में बात ही नहीं करनी।”
“नहीं। इस बार तुम बात को टाल नहीं सकते, आज तो मेरी ज़िद है कि मुझे जानना है तुम दोनों के बारे में।”
“तुम जानना ही चाहती हो तो सुनो,”
माधव ने अपने और कीर्ति के बारे में माधवी को सब कुछ बता दिया।
“मैं उसे उसकी गलती की सजा तो नहीं दे सकता पर उसे कभी माफ भी नहीं करूंगा।”
माधवी अब तक गहरे सोच में पड़ चुकी थी। माधव ने पूछा, “क्या सोच रही हो?”
“तुमने जो कहानी सुनाई वो सच है?”
“एक-एक शब्द सच है। क्यों तुम्हें भरोसा नहीं है?”
“ऐसा नहीं है, पर जहां तक मुझे याद है कीर्ति अजित से प्यार नहीं करती थी। अजित उससे सुरवंदना के टाइम से इकतरफा प्यार करता था। कीर्ति ने इसीलिए शायद उसको थप्पड़ भी मारा था।”
“हां पर रियालिटी शो में जब उसे अजित के पैसो के बारे में पता चला तो वो उससे प्यार करने लगी।”
“ऐसा भी नहीं हो सकता। तुम्हें याद हो तो मैं वहां पर असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम करती थी। अजित हंमेशा तुम दोनों से जलता था और तुम दोनों को दूर करने की साजिश भी करता था। उसने एक बार तो हम दोनों की नजदीकियां देख कर ये भी कहा था कि मैं तुमसे प्यार का नाटक करु ताकि कीर्ति तुम्हें छोड़ कर चली जाए। पर मैंने ऐसा नहीं किया। वो किसी भी हाल में कीर्ति को पाना चाहता था। जब उसे पता चला तुम दोनों का ब्रेकअप हो गया है तो वो मन ही मन खुश हुआ था। पर शो के दरमियान तुम दोनों एक दूसरे के नजदीक आ गए थे ये सोचकर वो हंमेशा टेंशन में रहता था। शो के बाद भी जब तुम दोनों का ब्रेकअप हुआ तब उसने कीर्ति के सामने अपने प्यार का इज़हार किया था पर कीर्ति ने तब भी उसको थप्पड़ ही मारा था। उसके बाद कीर्ति को ना पाने के ग़म में वो अपने बिज़नेस में ध्यान ही नहीं दे पाता था और इसी वज़ह से उसका बिज़नेस ठप्प हो गया। वो कर्जे में डूब गया और आखिर में दुनिया से तंग आकर उसने ख़ुदकुशी कर ली।”



Chapter 8.2 will be continued soon…

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✍️ Anil Patel (Bunny)