Apna Aakash book and story is written by Dr. Suryapal Singh in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Apna Aakash is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
अपना आकाश - Novels
by Dr. Suryapal Singh
in
Hindi Moral Stories
उपन्यास समाज का यथार्थ बिम्ब है विविधता से भरा एवं चुनौतीपूर्ण । उपन्यास लिखना इसीलिए समाज को विश्लेषित करना है। 'कंचनमृग', 'शाकुनपाँखी', ‘कोमल की डायरी' एवं 'मनस्वी' के पश्चात् 'अपना आकाश' मेरा पाँचवाँ उपन्यास है। कथा साहित्य ने एक लम्बी यात्रा तय की है। यह यात्रा विविधतापूर्ण एवं जटिल है। उपन्यासों ने मन की गहन गुत्थियों के साथ समाज के अन्तर्द्वन्द्रों को भी गहराई से उजागर किया है।
उत्तर प्रदेश के मध्य एवं पूर्वीक्षेत्र में बसाव छिटके हुए हैं। एक ही ग्राम पंचायत में अनेक पुरवे होते हैं। यद्यपि कुछ बड़े गाँव भी हैं पर उनकी संख्या कम है। गाँवों की दशा एवं दिशा में काफी बदलाव हुआ है। आबादी बढ़ी, प्रति व्यक्ति भूमि का क्षेत्रफल घटा। कभी-कभी पूरे पुरवे में सभी के पास प्रति घर एक-आध एकड़ ही खेत होते हैं। कुछ घरों के पास केवल एक दो बिस्वा ही । गाँवों और शहरों की सुविधाओं में काफी अन्तर दिखता है खासकर बिजली उपलब्धता में। इस अन्तर ने भी शहरों की आबादी को बढ़ाने में मदद की है। गाँव का विकास कैसे हो, यह एक बड़ा प्रश्न है। खेती के साथ अन्य सहयोगी धन्धों का जाल नहीं बन पाया। यद्यपि धन्धे की तलाश में बहुतों को घर छोड़ना पड़ता है पर इन पुरवों के बच्चों को अकुशल श्रम के रूप में भाग कर जीविका तलाश करनी पड़ती है। गाँवों के लिए महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी योजना चलाई गई पर उसकी कुछ कमियाँ अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाई ।
'क' से कथा ?उपन्यास समाज का यथार्थ बिम्ब है विविधता से भरा एवं चुनौतीपूर्ण । उपन्यास लिखना इसीलिए समाज को विश्लेषित करना है। 'कंचनमृग', 'शाकुनपाँखी', ‘कोमल की डायरी' एवं 'मनस्वी' के पश्चात् 'अपना आकाश' मेरा पाँचवाँ उपन्यास है। कथा ...Read Moreने एक लम्बी यात्रा तय की है। यह यात्रा विविधतापूर्ण एवं जटिल है। उपन्यासों ने मन की गहन गुत्थियों के साथ समाज के अन्तर्द्वन्द्रों को भी गहराई से उजागर किया है। उत्तर प्रदेश के मध्य एवं पूर्वीक्षेत्र में बसाव छिटके हुए हैं। एक ही ग्राम पंचायत में अनेक पुरवे होते हैं। यद्यपि कुछ बड़े गाँव भी हैं पर उनकी संख्या
अनुच्छेद-२ सपनों की खेतीवीरेश ने लालटेन जलाई। तख्ते पर बैठ गणित के प्रश्न हल करने लगा। तन्नी रोटी बना रही थी। तवे पर ही रोटी फुलाने की कला में वह प्रवीण हो चुकी है। लकड़ी जलाकर खाना ...Read Moreभी एक कला है। एक शीशी को ढिबरी बनाकर उसी के उजाले में तन्नी रोटी सेंकती रही। जुलाई का महीना, पूरा शरीर पसीने से तर। रोटी बना चुकी तो आलू उबालने के लिए रख बाहर आ गई। हाथ का पंखा झलकर पसीना सुखाने लगी। माँ भी बाहर ही बैठी थी। लड़कियों को भोजन बनाना माएँ सिखाती हैं। तन्नी का अभी
अनुच्छेद- ३ तुम लोगों का नाम तो न होगाआज डिग्री कालेज में प्रवेश सूची को सूचना पट्ट पर लगा दिया गया। बी.एस-सी. गणित में ६५.३% से ऊपर वालों का ही नाम देखकर द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण छात्र / छात्राएँ ...Read Moreहुए। तन्नी और तरन्ती भी सूची देखने के लिए पहुँचीं। सूची को जगह जगह लोगों ने फाड़ दिया था। सूची देखकर तन्नी हताश हो गई। शायद प्रवेश न हो पाए वह सोचने लगी। आस-पास ऐसे बच्चे अधिक थे जिनका नाम सूची में नहीं था । पिन्टू भी कुछ बच्चों के साथ बात कर रहा था। 'प्रवेश देना पड़ेगा। कैसे नहीं
अनुच्छेद-४ तू कितनी भोली है? सायंकाल मंगल खाना खाकर बैठे। भँवरी से बताया कि बोरिंग और पंपसेट की व्यवस्था बैंक से हो जाएगी। अलग से कुछ नहीं देना पड़ेगा। मड़हा की थूनी से टंगी लालटेन जल रही थी। 'बोरिंग ...Read Moreमशीन का खर्चा तो ज्यादा होगा ?' भँवरी जिज्ञासु की तरह पूछ बैठी । 'बहुत ज्यादा नहीं, कुल बाईस हजार लगेगा।' 'इतना तुमको ज्यादा नहीं लगता वीरू के बाबू?" भँवरी को आश्चर्य हो रहा था। एक साड़ी का डेढ़ सौ रूपया दाम तुम्हें ज्यादा लगता है और यह बाईस हजार. ।' 'पर इससे हमारे पास सिंचाई का साधन हो जायगा।
अनुच्छेद-5 आपका लक्ष्य? दशहरे के एक सप्ताह पूर्व कक्षाएँ प्रारम्भ हो गई। बी.एस-सी. प्रथम वर्ष की अन्तिम प्रवेश सूची में इण्टरमीडिएट में ६४.७ प्रतिशत से ऊपर जिनके अंक थे केवल उन्हीं का प्रवेश हो पाया। वे छात्र जो छात्रसंघ ...Read Moreचुनाव लड़ना चाहते थे, दौड़-धूप कर छात्र-छात्राओं को आश्वस्त करते रहे पर कोई दबाव नहीं बना सके । पिन्टू और उनके साथी क्रमिक अनशन पर बैठे । इसी बीच शासन ने लिंगदोह समिति की संस्तुतियों को आधार बनाकर छात्रसंघ गठन के नए नियम बना दिए। इन नियमों के आधार पर पिन्टू चुनाव नहीं लड़ सकते। उन्होंने कहना प्रारम्भ किया कि