यहाँ कुछ लोग थे - राजेन्द्र लहरिया - Novels
by राज बोहरे
in
Hindi Moral Stories
देखिए साहब ये ….लेकिन इससे पहले मैं आपको यह बताना .जरूरी समझता हूँ कि इस जगह का एक लंबा किस्सा है ….।जी हाँ साहब, इन मूर्तियों–मंदिरोें को यदि आप अलग–अलग करके देखेंगे, तो ये आपके लिए सिर्फ बेजान पत्थर ...Read Moreसाबित होंगे, किंतु आप यदि इनके साथ जुड़ी कहानी से रू–ब–रू हो लेंगे तो ….।वैसे मैं सोचता हूँ–यदि आप निकले ही हैं तो वह सब आपको जानना ही चाहिए! खैर, यह तो रही मेरी बात। पर यह तो आपको ही तय करना है कि यह सब आपको देखना–भर है या सारा–कुछ जानना भी ….।ऐं ? पूरा किस्सा जानना चाहेंगे ? …. …. बहुत अच्छा साहब, यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई है साहब, कि आप इस विषय में इतनी रूचि रखते हैं। मैं आपसे वादा करता हूँ कि आपको बोरियत नहीं होने पाएगी। आपको यह मालूम नहीं है साहब, कि जिस दिन पहली बार मैंने इस जगह की कहानी सुनी थी उस दिन मेरे शरीर में कई बार रोमांच हो उठाा था। अब तो मैं खुद गाइड हूँ–लोगों को कई बार सुना चुका हूँ। ….।खैर, आप मेरे पीछे–पीछे आइए। आपको सब कुछ बताऊँगा मैं। फिर भी कहीं कोई शंका या जिज्ञासा हो तो तुरंत मुझसे पूछ लीजिएगा …
राजेन्द्र लहरिया कहानी यहाँ कुछ लोग थे 1 – देखिए साहब ये ….लेकिन इससे पहले मैं आपको यह बताना .जरूरी समझता हूँ कि इस जगह का एक लंबा किस्सा है ….।जी हाँ साहब, इन मूर्तियों–मंदिरोें को यदि आप अलग–अलग ...Read Moreदेखेंगे, तो ये आपके लिए सिर्फ बेजान पत्थर ही साबित होंगे, किंतु आप यदि इनके साथ जुड़ी कहानी से रू–ब–रू हो लेंगे तो ….।वैसे मैं सोचता हूँ–यदि आप निकले ही हैं तो वह सब आपको जानना ही चाहिए! खैर, यह तो रही मेरी बात। पर यह तो आपको ही तय करना है कि यह सब आपको देखना–भर है या सारा–कुछ
राजेन्द्र लहरिया कहानी यहाँ कुछ लोग थे 2 ….हुआ यह क एक बार आषाढ, सावन और भादों–पूरे तीन महीने गुजर गए और इस ...Read Moreकी धरती पर आसमान से एक बूँद न गिरी। इससे गाँव के कुओं का पानी धरती में बिला गया। नदी सूख–सूखकर दुबली और गँदली हो गई। पानी न रहा तो लोग नदी के उसी गँदली पानी को निथार–निथारकर पीने पर म.जबूर हो गए। ….अब क्वार आ गया था और सब लोग चिंता में डूब उठे कि अब भी पानी न बरसा तो कुछ दिनों में नदी सूख जाएगी, और उकठी पड़ी जमीन से दाना
राजेन्द्र लहरिया कहानी यहाँ कुछ लोग थे 3 और साहब, बाबा के निर्देशानुसार कार्य शुरू हो गया। लोगों ने गाँव में ...Read Moreइक्ट्ठा करना शुरू कर दिया। सातों जात ने खुशी–खुशी दिया चंदा। जिनकी गाँठ खाली थी, उन्होंने इधर उधर से लाकर लिदए। जो अभी प्रबंध न कर पाए थे, वे भी एक दो दिन में कहीं न कहीं से इंतजाम कर देने को तत्पर थे। धरम–पुण्य की बात है। और फिर सब अपने ही लिए तो हो रहा है। ….भगवान प्रसÙ होंगे, तभी तो बरसेगा पानी। …. किसी तरह का अवरोध न आया था अब तक
राजेन्द्र लहरिया कहानी यहाँ कुछ लोग थे 4 और साहब, बाकी रहे लोगों का तनाव उनके चेहरों से ऐसे उड़ गया जैसे ...Read Moreहवा लगने से पसीना उड़ जाता है। उन्होंने चैन की साँस ली। बाबा न आते तो चमरूआ ब.ढता ही जाता। धरम की रक्षा कर ली बाबा ने आकर ! ….सबकी ही रक्षा करते हैं बाबा। सबकी रक्षा के खातिर जतन कर रहे हैं बाबा । पानी किसी एक के लिए थोड़े ही बरसेगा–सभी के लिए बरसेगा। पर चमरूओं को तो परीक्षित बनने की पड़ी थी। अब मीन–मेख की जरूरत न रही थी । दस