Kalpna.. - 2 in Bengali Love Stories by Lotus.. books and stories PDF | Kalpna - 2 - My Real love stories..

Kalpna - 2 - My Real love stories..

कल्पना के जाने के बाद मेरी ज़िन्दगी में फिर एक नई लड़की आई इसी एप पर मेरी उसकी मुलाकात हुई थी पता नही कैसे फिर मोहब्बत हो गई ज़्यादा दिन हमारी ये मोहब्बत भी चली लडकी बहुत अच्छी थी मगर उसे केन्सर था मगर पागल ने मुझे बताया नही मे उससे मिलना चाहता था मगर वो रोज बहाने बनाती थी आज ये आज वो मे यहा हू मे वहा हू फिर मेने गुस्से मे बोल दिया मे आज ही आ रहा हूँ घर वो घबरा गई तब मुझे बताया ये प्रोबलम है ंुंुमुझे और गुस्सा आया ये पहले क्यो नही बताया. पता है क्या कहा उसने मे तुम्हें धोखा नही देना चाहती मे ये भी जानती हू मे 2 महिने ज्यादा से ज्यादा जी सकती हू अब बहुत देर हो गई है जान पर ये मूझे पहले भी बता सकती थी यार पता है मेने कितना कुछ सोचा था अपने बारे में... मे रो पढा था और वो भी मगर मे फिर भी उससे एक बार मिलना चाहता था मगर वो मानी नही और उसने बाते बंद कर दी.
मे आज भी उसे मैसेज करता हूँ मगर जवाब नही आता मगर मेने मेसेज बंद नही किया फिर एक दिन मेसेज आया उसकी भाभी का बोली वो नहीं रही रोहित सुनते ही मे माना नही भाभी आप झुठ बोल रही हो ..मगर सच यही था भाभी जानती थी हम दोनो के बारे में.. कुछ दिन भाभी से बात की फिर बंद.. मगर मे फिर से टूट गया... मेरे साथ ये दो बार हुआ इसलिए अब मेरा कीसी पर यकीन नही मतलबी है सब बस अपना टाईम पास करते कीसी का दर्द नही समझते.... 👍 अब मुझे कभी उनका ख्याल नही आता वो दोनो जानती थी मेरी कमजोरी वही है फिर भी छोड गई... मरना आसान है मगर येसे जीना बहुत मुश्किल है जाने वाले चले गए मगर अपनी यादे छोड गये मुझे तडपाने के लिए कुछ तो देके गये शुक्रीया

मगर मेने हार नही मानी मे एक बिजनेस मेने लडका हू माना मेरी फेमिली नही है अकेला हू पर मे कभी खुदको अकेला मेहसूस नही करता
खुश रहता हमेशा जब कभी गम होता है शायरी लिख देते हैं अपना गुस्सा निकाल लेते हैं लड़की की कमी नही हे पर मुझे मेरी जैसी चाहिए मेरे ऑफिस मे इन दोनों से भी अच्छी लडकीया काम करती है पर दिल कुछ और चाहता है कुछ अलग कुछ बेहतर मे एक सिपल सा बंदा हू 2घटे जीम 1 घटा खाना बनाने मे 8 घटे ऑफिस शाम को 1 घटा घुमने
टाईम बहुत कम मिलता पर कर लेता हूँ एकजेस My.. Hobis log drive.. अपनी कार मे... कही भी चला जाता हूँ बहुत दूर अकेले मे संडे को अपने फार्म हाऊस पर पुरा दिन ....लिखने का कोई शौक नही था मगर हालते सिखा दिया मजबुरी जिसे कहते हैं... शायरी जब तक नही बनते जनाब...
जब तक मोहब्बत मे धोका ना मिले
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अल्फाज अपने आप आ जाते है
कलम की नोक पर कागज अच्छे जानता बेवफाई मे लिखना

टूट गया है दिल आवाज़ भी नही हुई

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Deeksha Vohra

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